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बैंकों को रजिस्ट्री के पैसे का देना होगा ब्याज, 15 दिनों की मोहलत

पटना : सरकारी रुपये को निर्धारित समयसीमा से ज्यादा दिनों तक अपने पास रोक कर रखने के कारण बैंकों को इसका हर्जाना भरना पड़ेगा. राज्य के वित्त विभाग के प्रधान सचिव रवि मित्तल ने एसबीआइ समेत आठ सरकारी बैंकों के महाप्रबंधक को पत्र लिखकर 15 दिनों के अंदर रोके गये रुपये और इन पर लगने […]

पटना : सरकारी रुपये को निर्धारित समयसीमा से ज्यादा दिनों तक अपने पास रोक कर रखने के कारण बैंकों को इसका हर्जाना भरना पड़ेगा. राज्य के वित्त विभाग के प्रधान सचिव रवि मित्तल ने एसबीआइ समेत आठ सरकारी बैंकों के महाप्रबंधक को पत्र लिखकर 15 दिनों के अंदर रोके गये रुपये और इन पर लगने वाले ब्याज को सरकारी खजाने में जमा कराने के लिए कहा है.
इस निर्धारित समयसीमा में अगर बैंक वाले रुपये जमा नहीं कराते हैं, तो आरबीआइ को राज्य सरकार इसके लिए पत्र लिखेगी और नियमानुसार, रिजर्व बैंक सरकार के खाते में ब्याज के रुपये स्वत जमा करा देगा. अब तक हुई जांच में सबसे ज्यादा निबंधन विभाग के ही रुपये बैंक खातों में रोके जाने की बात सामने आयी है. 2006 से अब तक करीब 525 करोड़ रुपये ऐसे हैं, जिसे बैंकों ने निर्धारित समय से ज्यादा दिनों तक अपने पास रोके रखा.
इसका ब्याज करीब 74 करोड़ रुपये निकलता है, जो बैंकों को निबंधन विभाग को देना है. अभी अन्य विभागों की गणना की जा रही है. निबंधन विभाग के प्रधान सचिव केके पाठक ने जांच के दौरान इस मामले को उजागर किया. उन्होंने पाया कि बैंक वाले निबंधन फीस समेत अन्य राशि को निर्धारित समय से ज्यादा समय तक अपने खाते में जमा किये रखते हैं और उसका ब्याज भी सरकारी खजाने में जमा नहीं करते हैं. इस ब्याज का सीधा फायदा उन्हें होता है.
इससे सरकार को राजस्व का नुकसान होता है. इन रुपयों को ट्रेजरी में जमा कराने में देरी होने के कारण इन पर लगने वाले ब्याज का भुगतान कराने के लिए निबंधन विभाग के प्रधान सचिव ने वित्त विभाग के माध्यम से बैंकों और आरबीआइ से कहा. इसके बाद वित्त विभाग ने सभी संबंधित बैंकों को ब्याज का भुगतान करने के लिए 15 दिनों की मोहलत देते हुए पत्र लिखा है.
यह है पूरा मामला
जमीन रजिस्ट्री समेत अन्य निबंधन संबंधित कार्य में निबंधन शुल्क समेत अन्य मदों में चालान के माध्यमों से बैंकों में फीस जमा कराये जाते हैं. आरबीआइ के निर्देशों के अनुसार, इसे अलग-अलग प्रावधानों के तहत 3 से 5 दिनों के अंदर सरकारी खजाने में जमा करा देना है, लेकिन बैंक वाले इसे महीनों तक अपने खाते में रोके रखते हैं. इसका सीधे तौर पर फायदा संबंधित बैंक शाखा को होता है.
इन बैंकों को लिखा पत्र
भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, इलाहाबाद बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, यूको बैंक ऑफ इंडिया, यूको बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया और उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक.

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