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मैट्रिक रिजल्ट के पहले ही 85 छात्रों ने स्कूल छोड़ने का दिया आवेदन
सिमुलतला आवासीय विद्यालय रिंकू झा पटना : पढ़ाई में अव्वल, रिजल्ट सौ फीसदी, 24 घंटे शिक्षकों का साथ, फिर भी छात्र स्कूल में पढ़ना नहीं चाहते हैं. यह हाल बिहार का नेतरहाट कहा जाना वाला सिमुलतला आवासीय विद्यालय का है. विद्यालय में 12वीं तक की पढ़ाई की व्यवस्था है. लेकिन, मैट्रिक के बाद इस विद्यालय […]
सिमुलतला आवासीय विद्यालय
रिंकू झा
पटना : पढ़ाई में अव्वल, रिजल्ट सौ फीसदी, 24 घंटे शिक्षकों का साथ, फिर भी छात्र स्कूल में पढ़ना नहीं चाहते हैं. यह हाल बिहार का नेतरहाट कहा जाना वाला सिमुलतला आवासीय विद्यालय का है.
विद्यालय में 12वीं तक की पढ़ाई की व्यवस्था है. लेकिन, मैट्रिक के बाद इस विद्यालय को छात्र छोड़ कर कहीं और नामांकन ले लेते हैं. 2015 में मैट्रिक के रिजल्ट निकलने के बाद 73 छात्र-छात्राओं ने विद्यालय को छाेड़ कहीं और नामांकन ले लिया. वहीं, इस बार मैट्रिक का रिजल्ट निकला भी नहीं है और 85 छात्र-छात्राओं ने एसएलसी और माइग्रेशन सर्टिफिकेट के लिए आवेदन दिया है.
ये 85 विद्यार्थी सिमुलतला आवासीय विद्यालय से इंटर की पढ़ाई नहीं करना चाह रहे हैं. ज्ञात हो कि विद्यालय में एक क्लास में 120 विद्यार्थी का नामांकन लिया जाता है. इसमें 60 छात्र और 60 छात्राएं होती हैं.
2015 में टॉप टेन में सिमुलतला के विद्यार्थियों का कब्जा: 2015 में पहली बार सिमुलतला आवासीय विद्यालय के विद्यार्थी मैट्रिक की परीक्षा में शामिल हुए थे. प्रदेश भर के मैट्रिक के रिजल्ट में टॉप टेन लिस्ट में सिमुलतला आवासीय विद्यालय के विद्यार्थियों का ही कब्जा रहा.
कुल 120 विद्यार्थी में सारे के सारे प्रथम श्रेणी में पास हुए. इसके बाद भी आधे से अधिक छात्र-छात्राओं ने स्कूल छाेड़ दिया था. विद्यालय में साइंस, आर्ट्स और काॅमर्स स्ट्रीम का एक भी सेक्शन पूरा नहीं हो पाया. 120 में से मात्र 47 छात्र-छात्राओं में कुछ ने साइंस तो कुछ ने आर्ट्स और कॉमर्स में नामांकन लिया. लेकिन, इसमें से भी छह छात्रों ने कुछ महीनों के बाद स्कूल छोड़ दिया. वर्तमान में 41 बच्चे इंटर में पढ़ रहे हैं.
442 छात्रों पर 26 शिक्षक हैं विद्यालय में
विद्यालय में कुल विद्यार्थी की संख्या 442 है और 26 शिक्षक हैं. मतलब 17 विद्यार्थी पर एक शिक्षक की व्यवस्था है. लेकिन, शिक्षकों की क्वालिटी सही नहीं है. विद्यालय के सूत्रों की मानें तो शिक्षक की नियुक्ति सही नहीं होने के कारण पढ़ाई में क्वालिटी नहीं है. थ्योरी तो होती है, लेकिन प्रैक्टिकल नहीं हो पाता है. 2015 की बात करें तो 11वीं में मात्र तीन और चार दिन ही प्रैक्टिकल हो पाया है.
आवासीय विद्यालय होने के कारण हर साल करोड़ों रुपये विद्यालय पर खर्च होते हैं. सालाना खर्च विद्यालय का छह करोड़ है. इसमें छात्र-छात्राअों के रहने, खाने-पीने, पढ़ाई के साथ शिक्षकों के सारे खर्च शामिल होते हैं. ज्ञात हो कि सिमुलतला आवासीय विद्यालय पूरी तरह से नि:शुल्क शिक्षा देता है. यहां रहने वाले बच्चों से किसी तरह की कोई फीस नहीं ली जाती है.
ये बोले
इस बार तो सेशन समय से शुरू कर दिया गया था. हम कोशिश में हैं कि कोई भी छात्र स्कूल न छोड़ के जाये. इंटर स्तर पर इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं होने से छात्र की पढ़ाई पूरी नहीं हो पाती है.
राजीव रंजन, प्राचार्य, सिमुलतला विद्यालय
इस बार भी हमें विश्वास है मैट्रिक के रिजल्ट में सिमुलतला आवासीय विद्यालय के छात्र काफी अच्छा करेंगे. लेकिन, इंटर की पढ़ाई के लिए स्कूल में इंफ्रास्ट्रक्चर की काफी कमी है. इस कारण छात्र विद्यालय छोड़ देते हैं.
डाॅ शंकर प्रसाद, फाउंडर मेंबर, सिमुलतला
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