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डेंटल कॉलेज में नामांकन पर ग्रहण
डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया ने राज्य सरकार को चेतावनी देते हुए एक सप्ताह में कमियां दूर करने को कहा है. अगर समयसीमा के अंदर कमियां दूर नहीं की गयीं तो इस साल भी बीडीएस के कोर्स में नामांकन संभव नहीं हो पायेगा. पटना : डेंटल काउंसिल आफ इंडिया (डीसीआइ) ने एक प्रदेश के एक मात्र […]
डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया ने राज्य सरकार को चेतावनी देते हुए एक सप्ताह में कमियां दूर करने को कहा है. अगर समयसीमा के अंदर कमियां दूर नहीं की गयीं तो इस साल भी बीडीएस के कोर्स में नामांकन संभव नहीं हो पायेगा.
पटना : डेंटल काउंसिल आफ इंडिया (डीसीआइ) ने एक प्रदेश के एक मात्र सरकारी डेंटल कॉलेज अस्पताल की मान्यता को लेकर राज्य सरकार को चेतावनी दी है. राजकीय डेंटल कालेज अस्पताल, पटना के प्राचार्य को भेजे गये पत्र में डीसीआइ ने सात दिनों के अंदर कमियों को दूर कर रिपोर्ट देने का सशर्त निर्देश दिया है. उसने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि सात दिनों के अंदर कमियां दूर नहीं होती हैं, तो इस साल भी बैचलर ऑफ डेंटल साइंसेज (बीडीएस) की 40 सीटों पर नामांकन की अनुमति नहीं दी जायेगी.
राजकीय डेंटल कॉलेज अस्पताल, पटना में बीडीएस कोर्स में 40 सीटों पर नामांकन होता है. कॉलेज में शैक्षणिक पदों की कमी को देखते हुए डीसीआइ ने वर्ष 2015 के सत्र में नये विद्यार्थियों के नामांकन पर रोक लगा दी थी.
उस वर्ष भी डीसीआइ द्वारा कॉलेज का निरीक्षण कर उसकी कमियों को पूरा करने का निर्देश राज्य सरकार को दिया था. अभी तक सरकार ने इन कमियों को दूर नहीं किया है. इधर नये सत्र में नामांकन के लिए परीक्षा आयोजित होने जा रही है, जिसके माध्यम से डेंटल साइंसेज के विद्यार्थियों का नामांकन अगस्त महीने में होना है. सरकार ने अभी तक शिक्षकों के रिक्त पदों पर नियुक्ति नहीं की है. ऐसे में इस बार भी नामांकन पर रोक लगना तय माना जा रहा है.
जानकारों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभिन्न पदों पर नियुक्ति को लेकर पैनल गठित किया गया है पर अभी तक नियुक्ति नहीं की जा सकी है.
डेंटल कॉलेज में स्थिति यह है कि उसके पास अभी तक अपना स्थायी प्राचार्य भी नहीं है. पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल के प्राचार्य डॉ एसएन सिन्हा को डेंटल कॉलेज का प्रभारी प्राचार्य बनाया गया है. मालूम हो कि एमसीआइ के नियम के अनुसार कोई भी शिक्षक एक सत्र में एक ही मेडिकल कॉलेज अस्पताल में अपनी उपस्थिति बता सकता है. काउंसिल अलग होने के कारण पीएमसीएच प्राचार्य यहां पर भी प्राचार्य के रूप में अपना नाम दर्ज कराते रहे हैं.
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