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इस बार भी शहर को डुबाने की तैयारी

लेटलतीफी. नाला उड़ाही ही नहीं, अतिक्रमण हटाने में भी कोताही बरत रहा निगम शहर को मॉनसून में डूबने से बचाने के िलए हाइकोर्ट के आदेश को भी निगम प्रशासन मानने को तैयार नहीं दिख रहा है. एक ओर जहां नाला उड़ाही का काम सुस्त है, वहीं नाले के ऊपर से अतिक्रमण हटाने को लेकर अभियान […]

लेटलतीफी. नाला उड़ाही ही नहीं, अतिक्रमण हटाने में भी कोताही बरत रहा निगम
शहर को मॉनसून में डूबने से बचाने के िलए हाइकोर्ट के आदेश को भी निगम प्रशासन मानने को तैयार नहीं दिख रहा है. एक ओर जहां नाला उड़ाही का काम सुस्त है, वहीं नाले के ऊपर से अतिक्रमण हटाने को लेकर अभियान भी शुरू नहीं किया गया है.
पटना : हर में नाला उड़ाही की यही रफ्तार रही, तो मॉनसून के आने से पहले नाला उड़ाही का काम पूरा होना संभव नहीं है. वर्तमान में यह स्थिति है कि निगम क्षेत्र में एक माह से छोटे-बड़े नालों की उड़ाही शुरू कर दी गयी है, लेकिन एक माह में केवल 20 से 25 प्रतिशत ही उड़ाही का काम हो पाया है. वहीं, नाले के ऊपर से अतिक्रमण हटाने का काम तो बिल्कुल ठप है.
खास बात यह है कि नगर निगम पर अधिकारियों ही नहीं, हाइकोर्ट के आदेश का भी असर नहीं हो रहा है. 2014 में भयंकर जलजमाव की समस्या पर हाइकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था और निगम को सख्त निर्देश दिया था कि मॉनसून से पहले दो बार नाला उड़ाही करनी है. साथ ही निगम क्षेत्र के सभी बड़े नालों पर से अतिक्रमण हटाया जाये. इसके बाद भी आदेश का शत-प्रतिशत पालन नहीं किया किया गया.
ज्यादातर बड़े नालों की उड़ाही शुरू नहीं
नूतन राजधानी अंचल (एनसीसी) में बड़े नालों की संख्या सबसे बधिक है, जिसमें सर्पेंटाइन, मंदिरी, बाकरगंज, राजीव नगर में नालों के अलावा अनिसाबाद से दशरथा तक कच्चा नाला और बेऊर नाला शामिल हैं. इसमें सिर्फ न्यू बाइपास के किनारे के नालों की उड़ाही की जा रही है. बाकी बड़े नालों की स्थिति जस-की-तस है. हां, वार्डों में छोटे-छोटे नालों की उड़ाही करायी जा रही है. हालांकि, नाला उड़ाही कार्य की गति काफी धीमी है और इसी रफ्तार में उड़ाही का कार्य चलता रहा, तो आधी-अधूरी नाला उड़ाही के बीच ही मॉनसून आ जायेगा.
अतिक्रमण देखने वाला भी कोई नहीं
हाइकोर्ट ने निगम क्षेत्र के सभी नालों के ऊपर से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था, लेकिन इस आदेश को निगम प्रशासन आज तक अनदेखा कर रहा है. स्थिति यह है कि कमोबेश सभी नालों पर अतिक्रमण है, जो पानी के प्रवाह में बाधक बना हुआ है. मॉनसून से पहले नाले के ऊपर से अतिक्रमण नहीं हटाया गया, तो दर्जनों इलाकों में जलजमाव की समस्या बनेगी.
निगम प्रशासन सवाल पूछने पर बताता है कि नाला उड़ाही के साथ ही अतिक्रमण हटाने का कार्य किया जा रहा है. हालांकि, यह हकीकत नहीं है. नालों पर से अतिक्रमण अब तक नहीं हटा है.
आयुक्त के आदेश नहीं मान रहे इओ
दस दिन पहले नगर आयुक्त ने नाला उड़ाही कार्य बेहतर हो, इसको लेकर अंचल से लेकर मुख्यालय स्तर पर अधिकारियों की तैनाती की, ताकि मॉनसून से पहले शत प्रतिशत
नाला उड़ाही हो सके. नगर आयुक्त ने चारों अंचलों के कार्यपालक पदाधिकारियों (इओ) को निर्देश दिया था कि प्रतिदिन नाला उड़ाही की रिपोर्ट निगम मुख्यालय को उपलब्ध करायी जाए. उप नगर आयुक्त को एक दिन बीच कर रिपोर्ट उपलब्ध करनी है. हालांकि, अंचल के इओ रिपोर्ट नहीं नहीं दे रहे हैं. उप नगर आयुक्त मुमुक्षु कुमार चौधरी ने बताया कि किसी अंचल से नाला उड़ाही की रिपोर्ट नहीं आ रही है. इससे नगर आयुक्त को चारों अंचलों में से किसी की रिपोर्ट उपलब्ध नहीं करायी जा रही है.
सर्पेंटाइन नाला
यह नाला हड़ताली मोड़ के धोबी घाट से शुरू होता है और विधायक आवास के पीछे से होते हुए एजी ऑफिस, कमला नेहरू नगर होते हुए मंदिरी नाले में मिलता है. इस नाले की अब तक उड़ाही नहीं की गयी है और न ही अतिक्रमण हटाया गया है. इन नाले के आस-पास झुग्गी-झोंपड़ी वालों का अतिक्रमण है. विधायक आवास के पीछे, एजी ऑफिस के पीछे और कमला नेहरू नगर में नाले पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा है.
न्यू बाइपास नाला
न्यू बाइपास नाला मीठापुर बस स्टैंड मोड़ से शुरू होता है और जीरो माइल तक जाता है. इन नाले पर प्रत्येक 50 व 100 मीटर पर अवैध सड़क बनी हुई है. सड़क पर अतिक्रमण की वजह से नाले की चौड़ाई कम हो गयी है. इससे पानी की निकासी पर का बहाव प्रवाह में अवरोध करता है. यह स्थिति मीठापुर मोड़ से लेकर बहादुरपुर हाउसिंग कॉलोनी मोड़ तक है. इसके बावजूद निगम प्रशासन अतिक्रमण हटाने के बदले हाथ पर हाथ रख कर बैठा है.
मंदिरी नाला
मंदिरी नाला तारामंडल के समीप से शुरू होता है और मंदिरी होते हुए बांस घाट तक जाता है. यह नाला कूड़ा डंपिंग यार्ड बना हुआ है. इसके साथ ही दर्जनों जगहों पर गैरेज व गुमटी वालों का अतिक्रमण है. वे सब अपनी-अपनी दुकानें चला रहे हैं. उनके फेंके गये सामान से नाला जाम भी हो रहा है और गंदा भी हो रहा है. इन गंदगी के कारण पानी का समुचित प्रवाह नहीं होता है.
नगर आयुक्त भी बोले-नाला उड़ाही का काम धीमा
पटना. मंगलवार को नगर आयुक्त शीर्षत कपिल अशोक ने नाला उड़ाही का निरीक्षण किया. उन्हाेंने सबसे पहले रामलखन पथ में चल रहे नाला उड़ाही का काम देखा. यहां उड़ाही का काम काफी धीमा था. नगर आयुक्त ने कार्यपालक पदाधिकारी को निर्देश दिया कि रामलखन पथ नाला की बेहतर सफाई सुनिश्चित कराएं, ताकि अशोक नगर जीरो प्वाइंट पर निर्बाध पानी पहुंचे. यहां से वे योगीपुर संप हाउस पहुंचे. इसके बाद सैदपुर संप हाउस पहुंचे, जहां ऑपरेटर गायब मिला. इस पर ऑपरेटर पर कार्रवाई करने का आदेश दिया. आयुक्त ने रामपुर संप हाउस के साथ-साथ शनिचरा पुल का भी जायजा लिया. नगर आयुक्त ने बताया कि शनिचरा पुल का निर्माण काफी धीमा है.
इसकी सूचना नगर आवास विकास विभाग के प्रधान सचिव को दी जायेगी. इधर नगर आयुक्त शीर्षत कपिल अशोक कंकड़बाग अंचल में चल रहे नाला उड़ाही के निरीक्षण के दौरान रास्ते में चिरैयाटांड़ पुल के नीचे कचरा का ढेर देखा. इस पर उन्हाेंने मुख्य सफाई निरीक्षक से स्पष्टीकरण मांगा.

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