पटना: 1997 बैच के जम्मू-कश्मीर कैडर के आइपीएस अधिकारी व सारण के तत्कालीन डीआइजी आलोक कुमार के खिलाफ कानूनी शिकंजा कस गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है. इससे उनके खिलाफ भ्रष्टाचार से संबंधित दर्ज मुकदमे में कोर्ट में आरोपपत्र दाखिल करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है. जल्द ही सारण पुलिस उनके खिलाफ कोर्ट में आरोपपत्र दाखिल करेगी.
-कोर्ट में आरोपपत्र जल्द
गृह विभाग के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार दो दिन पूर्व मुख्यमंत्री से अभियोजन स्वीकृति से संबंधित प्रस्ताव पर सहमति मिली है. इसके बाद सारण पुलिस को जल्द ही आरोपपत्र तैयार कर स्थानीय कोर्ट में दाखिल करने का निर्देश दिया जा रहा है. उनके खिलाफ गृह विभाग की ओर से विभागीय कार्यवाही भी चलायी जा रही है. मार्च माह में आरोप गठित कर उनसे 15 दिनों के अंदर अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया था. उन्होंने बचाव में अपना पक्ष भी रख दिया है. जल्द ही विभागीय जांच का काम पूरा हो जायेगा. इसके बाद डीजीपी का मंतव्य प्राप्त कर कार्रवाई के लिए संघ लोक सेवा आयोग व केंद्रीय गृह मंत्रलय को भेजा जायेगा.
-कैडर वापसी पर निर्णय अगले हफ्ते
अधिकारियों के अनुसार सरकार उनकी सेवा उनके मूल कैडर जम्मू-कश्मीर भेजने पर भी विचार कर रही है. गृह विभाग ने इससे संबंधित प्रस्ताव तैयार कर मुख्यमंत्री के यहां सहमति के लिए भेजा है.सहमति के बाद प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास भेजा जायेगा. इस पर अगले सप्ताह तक निर्णय हो जाने की संभावना है. बिहार में डीआइजी स्तर के अधिकारी के खिलाफ यह पहला मामला है, जिन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा. उन पर अपने स्वार्थ के लिए पद का दुरुपयोग करने, वरीय पुलिस पदाधिकारी की गरिमा के विरुद्ध कार्य करने, भ्रष्ट आचरण एवं कर्तव्य के प्रति लापरवाही का आरोप है.