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अमली को कर्ज तो मिल गया, पर घर-इज्जत सब चला गया

अमली को कर्ज तो मिल गया, पर घर-इज्जत सब चला गयाहिंदी रंगमंच दिवस नाट्योत्सव के आखिरी दिन बिहार आर्ट थियेटर की प्रस्तुतिकालिदास रंगालय के मंच पर अमली नाटक का किया गया मंचन लाइफ रिपोर्टर, पटनाहम पहली बार घर-दुआर और तोहरा के छोड़ के जायेंगे, तबही दू पइसा के आदमी बन पायेंगे. तब जा कर इज्जत […]

अमली को कर्ज तो मिल गया, पर घर-इज्जत सब चला गयाहिंदी रंगमंच दिवस नाट्योत्सव के आखिरी दिन बिहार आर्ट थियेटर की प्रस्तुतिकालिदास रंगालय के मंच पर अमली नाटक का किया गया मंचन लाइफ रिपोर्टर, पटनाहम पहली बार घर-दुआर और तोहरा के छोड़ के जायेंगे, तबही दू पइसा के आदमी बन पायेंगे. तब जा कर इज्जत मर्यादा मिल पायेगी और गांव में भी सब बना रहेगा. पइसा रहेगा, तब त तू साटन वाला ब्लाउज की साड़ी पहन पायेगी और गांव वाले तोहरा के अमली मैडम, अमली मैडम कह कर बुलायेंगे. कलकत्ता जाने से पहले अमली का पति रमेसर उसे कुछ इसी अंदाज में समझाता है, ताकि वह उसे कलकत्ता जाने की इजाजत खुशी-खुशी दे दे. अमली की यह कहानी देखने को मिली कालिदास रंगालय के मंच पर. गुरुवार को हिंदी रंगमंच दिवस नाट्योत्सव के आखिरी दिन बिहार आर्ट थियेटर की प्रस्तुति अमली नाटक का मंचन किया गया. इस नाटक में एक गांव की कहानी को बखूबी दर्शाया गया, जिसे देख दर्शक नाटक के अंत तक अपनी जगह पर बैठे रहे. नाटक में कई दृश्यों को देख दर्शक कभी भावुक हुए, तो कभी नाटक के डायलोग्स सुन कर हंस रहे थे. इस नाटक के लेखक ऋषिकेष सुलभ हैं, वहीं इसका निर्देशन नीरज कुमार ने किया है. नाटक शुरू होने से पहले दिखायी गयी फिल्महिंदी रंगमंच दिवस के समापन समारोह के अवसर पर नाटक शुरू होने से पहले बिहार के प्रसिद्ध लोक कथा पर आधारित जट-जटिन फिल्म का प्रदर्शन किया गया, जिसमें प्रेम कहानी को दिखाया गया. यह बिहार की लोक संस्कृति पर ए पतंग फिल्मस के बैनर तले बनी पहली फिल्म है. इस फिल्म के लेखक और निर्माता अनिल पतंग हैं, वहीं फिल्म के निर्देशक रघुवीर सिंह हैं. फिल्म में लोगों को बिहार की लोक संस्कृति से अवगत होने का मौका मिला. इस अवसर बिहार आर्ट थियेटर के सचिव कुमार अनुपम, वरिष्ठ रंगकर्मी सुमन कुमार, वरीय कलाकार अमिया चटर्जी और उषा वर्मा के साथ कई वरीय कलाकार मौजूद थे. इस मौके वरीय कलाकार अनिल पतंग को डॉ चतुर्भुज शिखर सम्मान और ऋषिकेश सुलभ को अनिल मुखर्जी शताब्दी सम्मान दे कर सम्मानित किया गया. नाटक की कहानीअमली नाटक एक सच्ची घटना पर आधारित है, जिसमें जिला का गांव मनरौली की अमली की शादी रमेसर नाम के लड़के से होती है. शादी के बाद रमेसर अपनी बूढ़ी मां और पत्नी अमली को समझा कर किसी तरह पैसे कमाने के लिए कलकत्ता चला जाता है. कलकत्ता जाने के बाद उसकी एक चिट्ठी आती है, जिसके बाद उसकी कोई खबर नहीं आती. ऐसे में अमली की आर्थिक स्थिति दिन प्रतिदिन खराब होती जाती है. इधर, अमली की सास की तबियत भी ज्यादा खराब हो जाती है. इस वजह से अमली अपने गांव के जमीन्दार अबरार खां और महादेव राय से घर चलाने व सास की दवा के लिए कर्ज लेने जाती है. कर्ज तो मिल जाता है, लेकिन कुछ दिनों के बाद महादेव राय अमली का बलात्कार कर देता है और सास के मर जाने के बाद बची हुई जमीन भी हड़प लेता है. इसके बाद मुंशी जी दोनों आरोपियों और सारे ग्रामीण के साथ मिल कर अमली को गांव से बाहर निकाल देते हैं.

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