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बिहार : शराब की तरह ताड़ी पीने से हुई मौत मामले में भी फांसी की सजा

पटना : बिहार उत्पाद (संशोधन) विधेयक 2016 में शराब (जहरीली) पीने से हुई मौत के मामले में फांसी का प्रावधान मिलावटी ताड़ी का उत्पादन और बिक्री के मामले पर भी लागू होगा. सहायक उत्पाद आयुक्त ओम प्रकाश मंडल ने बताया कि मिलावटी ताड़ी पीने से किसी की मौत होने की स्थिति में उसका उत्पादन और […]

पटना : बिहार उत्पाद (संशोधन) विधेयक 2016 में शराब (जहरीली) पीने से हुई मौत के मामले में फांसी का प्रावधान मिलावटी ताड़ी का उत्पादन और बिक्री के मामले पर भी लागू होगा. सहायक उत्पाद आयुक्त ओम प्रकाश मंडल ने बताया कि मिलावटी ताड़ी पीने से किसी की मौत होने की स्थिति में उसका उत्पादन और बिक्री करने वालों पर भी बिहार उत्पाद (संशोधन) विधेयक 2016 के तहत मिलावटी देशी, मसालेदार और भारत में बनी विदेशी शराब का उत्पादन एवं बिक्री करने वालों की तरह ही फांसी की सजा का कानून लागू होगा.

उन्होंने कहा कि अगर कोई भी व्यक्ति सार्वजनिक स्थल पर ताड़ी पीते पाया जायेगा तो उसके लिए वही सजा का प्रावधान होगा जो कि देशी, मसालेदार और भारत में बनी विदेशी शराब का सार्वजनिक स्थल पर उपभोग करने पर है. मंडल ने कहा कि सभी जिलाधिकारियों को शराब की तर्ज पर ताड़ी का उत्पादन, बिक्री, परिवहन और उसका उपभोग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई किये जाने को कहा गया है.

गत मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ताड़ी को पूर्ण शराबबंदी के दायरे से बाहर रखे जाने की घोषणा की थी. ताड़ी को लेकर व्याप्त गलतफहमियां मुख्यमंत्री के यह घोषणा किये जाने कि ताड़ी के उपभोग पर तत्काल कोई प्रतिबंध नहीं है पर इसको लेकर वर्ष 1991 के नियम कड़ाई से लागू किये जायेंगे.

ताड़ी को लेकर एक अप्रैल 1991 के उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग की अधिसूचना-187 के तहत ताड़ी की दुकानें किसी हाट-बाजार के स्थान पर, किसी हाट-बाजार के प्रवेश स्थल पर, शहरी क्षेत्रों में किसी स्नानागार, शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल, धार्मिक स्थान, फैक्टरी, पेट्रोल पंप, रेलवे स्टेशन, रेलवे यार्ड, बस स्टैंड, अनुसूचित जाति या मजदूर काॅलोनी, राष्ट्रीय उच्च पथ या राज्य उच्च पथ अथवा जनता द्वारा उपयोग किये जाने वाले स्थानों से 50 मीटर की दूरी के भीतर और ग्रामीण इलाके में इन्हीं स्थानों से 100 मीटर की दूरी के भीतर या किसी गांव के सघन आबादी वाले क्षेत्र में नहीं खोली जा सकतीं हैं.

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