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नये आंदोलन का नेतृत्व करें वकील : पीएम

पटना हाइकोर्ट के शताब्दी वर्ष का समापन समारोह. लोकतंत्र के िलए सुदृढ़ न्याय व्यवस्था पर प्रधानमंत्री ने दिया जोर शनिवार को पटना हाइकोर्ट के शताब्दी वर्ष समापन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शािमल हुए और कार्यक्रम को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने हाइकोर्ट परिसर में शताब्दी वर्ष स्मृति चिह्न का रिमोट से उद्घाटन िकया. इस […]

पटना हाइकोर्ट के शताब्दी वर्ष का समापन समारोह. लोकतंत्र के िलए सुदृढ़ न्याय व्यवस्था पर प्रधानमंत्री ने दिया जोर
शनिवार को पटना हाइकोर्ट के शताब्दी वर्ष समापन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शािमल हुए और कार्यक्रम को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने हाइकोर्ट परिसर में शताब्दी वर्ष स्मृति चिह्न का रिमोट से उद्घाटन िकया. इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर, केंद्रीय विधि व न्याय मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा, राज्यपाल रामनाथ कोिवंद, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व पटना हाइकोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश आइए अंसारी ने भी अपने विचार रखे. करीब डेढ़ घंटा पटना में रुकने के बाद पीएम हाजीपुर के िलए रवाना हुए.
पटना : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कोई भी व्यवस्था डायनामिक (गतिशील) और प्रोग्रेसिव (प्रगतिशील) नहीं होगी, तो वह समय के साथ चल तथा बढ़ नहीं पायेगी. व्यवस्था लोकतंत्र के प्रति उत्तरदायी होनी चाहिए. लोकतंत्र के प्रति आम लोगों का विश्वास बना रहे, इसके लिए न्याय व्यवस्था सुदृढ़ होनी चाहिए. पीएम शनिवार को पटना हाइकोर्ट के शताब्दी दिवस के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे. इन्हें प्राणवान बनाये रखना सबसे चुनौतीपूर्ण है.
इसके लिए लंबे अरसे तक जुझना पड़ता है. पीएम ने न्याय व्यवस्था से कहा कि वे सब मिलकर समाज को जोड़ने वाले नये आंदोलन की शुरुआत करें. अभी समाज को जोड़ने वाले नये आंदोलन की जरूरत देश को है. मौजूदा समय की यही मांग है. जब-जब देश में संकट आया है, तब-तब कोर्ट या बार काउंसिलों ने ही आवाज उठायी है. आजादी के आंदोलन के दौरान अंग्रेजी सल्तनत के सामने लड़ने की मिसाल वकीलों ने ही पेश की है.
भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में सक्रिय प्रयास करने की आ‌वश्यकता है. कोर्ट-कचहरी के माध्यम से ऐसे आंदोलन शुरू करें. इससे बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं.
पुराने मामलों के निबटारे पर करें विचार : पीएम ने कहा कि क्या हमारे कोर्ट हर वर्ष एक बुलेटिन नहीं निकाल सकते हैं. इसमें वे सबसे लंबे समय से लंबित मामलों की उल्लेख विस्तारपूर्वक करें.
इससे एक तो यह पता चल सकेगा कि कोर्ट में कितने वर्षों से मामले लंबित पड़े हुए हैं. दूसरा, वकीलों और कोर्ट में भी ऐसे लंबित मामलों को निबटाने के प्रति संवेदनशीलता पैदा होगी. वकीलों को भी लगेगा कि इतने साल से यहां बैठते आ रहे हैं, फिर भी इतने पुराने मुकदमों को अभी तक नहीं सुलझा पाये हैं. परिणाम लक्ष्ति योजना के लिए एक मनोवैज्ञानिक वातावरण तैयार होगा. इससे मुकदमों की संख्या को कम करने में बेहद मदद मिलेगी.
पीएम ने सुनाया एक ‘टची मोमेंट’
पटना : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाइकोर्ट के शताब्दी समारोह के समापन समारोह के संबोधन के दौरान एक ‘टची मोमेंट’ भी सुनाया. उन्होंने न्यायालय से जुड़े एक वाक्या को सुनाते हुए कहा कि ‘टची फॉर मी’ (मेरी भावनाओं को छूने वाला है). कहा कि हाल में ब्रिटेन दौरे के दौरान वहां की सरकार ने मुझे श्यामजी कृष्ण वर्मा की कानून की सनद (पदवी) को वापस लौटाया.
श्यामजी स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ऐसे क्रांतिकारी भारतीय थे, जो ब्रिटेन में वहां की सरकार के नाक के नीचे भारत की आजादी के लिए आंदोलन करते थे. वह शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वाले स्वतंत्रता सेनानी थे. वह उन दिनों वहां ब्रिटिश बार काउंसिल में वकालत की प्रैक्टिस करते थे.
इस कारण उनकी सनद को वहां की सरकार ने वापस ले लिया था. ताकि वे वकालत नहीं कर सके. परंतु 1920 के बाद इस बार वहां की बार काउंसिल ने आधिकारिक रूप से विचार-विमर्श करके दशकों बाद उनकी सनद को मुझे वापस लौटाया. यह मेरे लिए बेहद टची मूमेंट था. यह मूल्यों की प्रतिबद्धता में वैश्विक सोच का नतीजा है. पीएम ने इस संस्मरण को सुनाते हुए कहा कि यह मेरी जीवन के बेहद अविस्मरणीय पल थे.
तकनीक को इंजेक्ट करें कोर्ट और बार में
कोर्ट में नवीन तकनीकों के प्रयोग पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कोर्ट, बेंच और बार काउंसिलों को टेक्नो-सैवी (तकनीक समझ) बनाये. ज्यादा से ज्यादा उन्नत डिजिटल सिस्टम को कोर्ट प्रणाली में इंजेक्ट (समावेश) करें. उन्होंने कहा कि पहले आपको कोई मुकदमा लड़ना होता था, तो इसके लिए काफी रिसर्च करने की जरूरत पड़ती थी, लेकिन आज के दौर में गूगल ऐसा एक्सपर्ट आ गया है कि इसकी मदद से किसी तरह की रिसर्च या जानकारी एकत्र की जा सकती है.
देश को बहुत कुछ दे
सकता है हाइकोर्ट
पटना हाइकोर्ट के इतिहास और शौर्य गाथा का बखान करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जिसकी एक शताब्दी की विरासत हो, वह देश को बहुत कुछ दे सकता है. अनेक गण्यमान्य इस कोर्ट से निकल कर आये हैं. इस परंपरा को आगे भी बनाये रखने की जरूरत है.
हाइकोर्ट की शताब्दी वर्ष पूरा होने से यहां के लोगों की जिम्मेवारी काफी बढ़ गयी है. लोकतंत्र के प्रति आम लोगों का विश्वास गहरा बनाये रखने के लिए न्याय व्यवस्था पर जवाबदेही बढ़ जाती है. हाइकोर्ट का शताब्दी वर्ष एक तरह से नयी सदी की जिम्मेवारी का आरंभ है. इसने जिस ऊंचाई को प्राप्त किया है, समाज में आशा बढ़ गयी है. इसे आगे बढ़ाने की जरूरत है.

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