पटना: अब सूबे में कोई भी व्यक्ति भुखमरी का शिकार न हो, इसका जिम्मेवारी केवल मुखिया व स्थानीय स्तर के सरकारी अधिकारियों पर ही नहीं होगी, बल्कि सरपंच, पंच व वार्ड सदस्यों को भी इसके लिए अधिकार संपन्न बनाया जायेगा. सरकार ‘शताब्दी अन्न कलश’ योजना की नियमावली में संशोधन करने की तैयारी कर रही है. इस प्रस्ताव को विभागीय मंत्री समेत वित्त व विधि विभागों की सहमति मिल चुकी है. अब इसे मंत्रिमंडल की स्वीकृति का इंतजार है.
आपदा प्रबंधन विभाग के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सरकार ‘शताब्दी अन्न कलश’ योजना के नियम 6 के उपनियम (6) एवं (7) में प्रावधान कर रही है कि आघातयोग्य वर्गो का कोई व्यक्ति यदि भुखमरी की दशा का सामना करता पाया जाता है, तो यथास्थिति मुखिया के अलावा सरपंच, पंच और वार्ड सदस्यों को भी यह अधिकार होगा कि वह संबंधित जनवितरण प्रणाली की दुकान के चक्रीय स्टॉक से अनाज का उठाव कर संबंधित व्यक्ति या परिवार को उपलब्ध करा सकता है. पूर्व में इसका अधिकार केवल मुखिया और वार्ड सदस्यों को ही दिया गया था. सरकार योजना के नियम संशोधन कर प्रयुक्त किये गये शब्द ‘मुखिया’ के स्थान पर मुखिया, सरपंच, पंच व वार्ड सदस्य शब्द को जोड़ेगी. इस संशोधन के बाद ये जनप्रतिनिधि भी प्रति व्यस्क के लिए सप्ताह का अनाज उपलब्ध करा सकते हैं.
वयस्क को दस, तो अवयस्क को सात किलो
इसमें प्रति वयस्क के लिए दस किलोग्राम तथा अवयस्क के लिए सात किलोग्राम अनाज एक सप्ताह के लिए देय होगा. विभागीय सूत्रों ने बताया कि इस योजना को अधिक प्रभावी बनाने के लिए इसका व्यापक प्रचार करने करने की तैयारी कर रही है, ताकि ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को इस संबंध में पूरी जानकारी उपलब्ध हो सके. सरकार की मंशा यह है कि अब भूख से सूबे में किसी भी व्यक्ति की जान नहीं जाये. ‘शताब्दी अन्न कलश’ खाद्य सुरक्षा की दृष्टि से सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है. इसका मूल उद्देश्य राज्य में निवास करने वाले निर्धन, वृद्ध, विकलांग, विधवा, निराश्रित तथा कमजोर वर्ग के लोगों के बीच भुखमरी की रोकथाम करना तथा भुखमरी की स्थिति में इन लोगों तक खाद्यान्न की पहुंच सुनिश्चित कराना है.