राम कथा के चौथे दिन सुधीर जी महाराज ने कहा
पटना : राम कथा अमृत के चौथे दिन सुधीर जी महाराज ने धनुष यज्ञ प्रसंग पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि जब सत्य व समर्पण साथ नहीं होगा, तो कोई कार्य भी पूरा नहीं हो पायेगा. जीवात्मा का जब तक परमात्मा से मिलन नहीं होता है, वह भटकती रहती है.
महाराज जी ने भक्तों को गौतम ऋषि व अहिल्या देवी प्रकरण को सुनाते हुए कहा कि इंद्र तपस्विनी अहिल्या से विवाह करना चाहता था, इस पर ब्रह्मा जी ने सोचा कि ऐसा होने से अनर्थ हो जायेगा. ऐसे में अहिल्या का विवाह गौतम ऋषि से कराया गया, लेकिन भाेगी इंद्र की काम इच्छा अहिल्या के प्रति कम नहीं होती है.
उसने गौतम ऋषि के समरूप भेष धारण कर काम प्रसंग में सफल हो जाता है. इस पर गौतम ऋषि ने अहिल्या को शाप दे देते हैं कि जाकर पत्थर हो जा. तुम्हें शाप से तब मुक्ति मिलेगी, जब भगवान राम के चरण तुम्हें स्पर्श करेंगे. गुरु विश्वामित्र के कहने पर भगवान राम ने चरण स्पर्श कर देवी अहिल्या का उद्धार किया.
सुधीर जी महाराज ने कहा कि काम में सत्यता व समर्पण की अत्यंत आवश्यकता है. देवी अहिल्या के उद्धार के संबंध में कहते हैं कि साधु अगर क्रोध में गाली देता है, तो गाली भी आशीर्वाद बन जाती है. अगर गौतम ऋषि देवी अहिल्या को शाप नहीं देते, तो देवी अहिल्या को भगवान का दर्शन नहीं होता. संसार में कोई भी श्रापित अहिल्या देवी का नाम लेकर मुक्त हो सकता है. जब तक काम व वासना से दूर नहीं होंगे, भगवान का दर्शन मुश्किल है.
वहीं महाराज जी ने राम-जानकी विवाह पूर्व पुष्प वाटिका प्रसंग बड़ा ही अलौकिक व्याख्यान किया, जिसमें भक्तगण मंत्रमुग्ध होकर सुना. कथा में ओम प्रकाश टिबड़ेवाल, राजेंद्र बुबना, नारायण बरनवाल, मोती लाल खेतान, कृष्ष्ण मुरारी शरण, ओंकारनाथ, सुषमा अग्रवाल, चंद्र प्रकाश खंडेलिया, विनोद डाबरीवाला, मोतीलाल रूंगटा सहित अन्य लोग मौजूद थे.