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स्कूल से जवान हटें, तब तो हो पढ़ाई

कभी चुनाव, तो कभी गणतंत्र दिवस के नाम पर जमे रहते हैं फौज व पुलिस के जवान पटना : कभी चुनाव को लेकर, तो कभी गणतंत्र दिवस के नाम पर, तो कभी विधानसभा सत्र के नाम पर स्कूल कैंपस में फौजियों का डेरा जमा रहता है. क्लास रूम से लेकर एसेंबली हॉल तक पूरा कैंपस […]

कभी चुनाव, तो कभी गणतंत्र दिवस के नाम पर जमे रहते हैं फौज व पुलिस के जवान
पटना : कभी चुनाव को लेकर, तो कभी गणतंत्र दिवस के नाम पर, तो कभी विधानसभा सत्र के नाम पर स्कूल कैंपस में फौजियों का डेरा जमा रहता है. क्लास रूम से लेकर एसेंबली हॉल तक पूरा कैंपस छावनी में तब्दील हो जाता है. हर जगह जवानों का सामान भरा रहता है. इससे स्कूल प्रशासन से लेकर बच्चे तक परेशान हैं. इन परिस्थितियों में भला बच्चे पढ़ाई करें, तो कैसे.
यह हाल राजधानी के अदालत गंज स्थित राजकीय कन्या मध्य विद्यालय का. वहां लगभग 50 से 100 की संख्या में जवानों का समूह अक्सर ठहराये जाते हैं. गौरतलब है कि राजकीय कन्या मध्य विद्यालय में ही बालक मध्य विद्यालय गोलघर पार्क का भी संचालन हो रहा है.
कुछ ऐसा ही हाल बांकीपुर गर्ल्स हाइस्कूल का भी है और वहां के बच्चे भी इसी परेशानी से गुजर रहे हैं और ठीक से उनकी पढ़ाई नहीं हो पा रही है. इसे लेकर कई बार शिकायत की गयी है लेकिन हालात में कोई सुधार अब तक नहीं हुआ है.
छह माह ही चलता है स्कूल, सिलेबस नहीं होता पूरा
शिक्षण सत्र 2015-16 बच्चों की पढ़ाई बाधित होने का सिलसिला अब तक जारी है. सत्र की शुरुआत में अप्रैल से मई माह तक नियोजित शिक्षकों की हड़ताल से पूरे एक माह तक पढ़ाई बाधित रही़ उसके बाद भूंकप के कारण समय से पहले ही गर्मी की छुट्टी दे दी गयी. फिर चुनाव आ गया. बिहार विधानसभा चुनाव में पूरे दो माह तक स्कूल में फौजियों के डेरा होने से स्कूल पूरी तरह से बाधित था. उसके बाद दीवाली और छठ की छुटि्टयां लग गयीं. इससे सितंबर से नवंबर तक पढ़ाई नहीं हुई. दिसंबर में क्लास शुरू हुए लेकिन जनवरी में ठंड की छुट्टी हो गयी.
फिर स्कूल खुला तो गणतंत्र दिवस पर एक बार फिर से फौजियों का आगमन स्कूल कैंपस में हो गया. इससे लगातार स्कूल बंद है. फौजियों के आने से दो दिन पूर्व और जाने के दो दिन बाद तक स्कूल कैंपस में साफ-सफाई के बाद स्कूल कैंपस में बच्चे पढ़ाई कर पाते हैं. ऐसे में बच्चे, जहां स्कूल बंद होने से परेशान है, वहीं, शिक्षक-शिक्षिकाएं भी फौजियों के बीच काम करने में खुद को असहज महसूस कर रहे हैं. स्कूल शिक्षकों की मानें, तो ऐसी स्थिति में सिलेबस तक पूरा नहीं करा पाते हैं. बच्चे परीक्षा की भी तैयारी ठीक से नहीं कर पाते हैं.
बच्चे स्कूल आते भी हैं, तो उनको बैठने के लिए क्लास रूम नहीं है. पुलिस के रहने की वजह से उनका क्लास नहीं चल पाता है.
– नंद किशोर शर्मा , प्रधानाचार्य, बालक मध्य विद्यालय गोलघर पार्क
हमारे यहां आये दिन कभी आर्मी के जवानों का ठहराव होता है. तो कभी परीक्षा व शिक्षक ट्रेनिंग का सेंटर बना दिया जाता है.
– विजया कुमारी, प्राचार्या, बांकीपुर गर्ल्स हाइस्कूल
जवानों के जाने के बाद कैंपस की स्थिति इतनी खराब हो जाती है, कि साफ-सफाई कराने में दो दिन लग जाते हैं.
शशि भूषण प्रसाद सिंह, प्रधानाचार्य, राजकीय कन्या मध्य विद्यालय

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