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इस बार नहीं बच पायेंगी एमबीबीएस की 50 सीटें
समय पर दूर नहीं हो पायी हैं कमियां पटना : स्वास्थ्य विभाग के उदासीन रवैये का खामियाजा एक बार फिर राज्य को उठाना पड़ सकता है. पिछले वर्ष पीएमसीएच प्रशासन ने एमसीआइ को हलफनामा देकर किसी तरह एमबीबीएस की 50 सीटें बचा लेने में सफलता प्राप्त की थी. लेकिन, अब इन सीटों के छीन लिये […]
समय पर दूर नहीं हो पायी हैं कमियां
पटना : स्वास्थ्य विभाग के उदासीन रवैये का खामियाजा एक बार फिर राज्य को उठाना पड़ सकता है. पिछले वर्ष पीएमसीएच प्रशासन ने एमसीआइ को हलफनामा देकर किसी तरह एमबीबीएस की 50 सीटें बचा लेने में सफलता प्राप्त की थी. लेकिन, अब इन सीटों के छीन लिये जाने का खतरा मंडरा रहा है.
लगातार दो एमसीआइ निरीक्षण में पीएमसीएच संस्थान अपेक्षाओं पर खरा नहींउतरा. सुधार के लिए पांच दिनों (18 जनवरी तक) का समय भी दिया गया, लेकिन समयसीमा के भीतर कई काम अधूरे रह गये.
एमसीआइ की फटकार के बाद हाल ही में पीएमसीएच के प्रिंसिपल डॉ एसएन सिन्हा ने व्यवस्था दुरुस्त किये जाने की रिपोर्ट पेश की है. उन्होंने दिल्ली जाकर एमसीआइ को पूरी रिपोर्ट पेश की. हालांकि एमसीआइ द्वारा बतायी गयीं कई अनिवार्यताएं पूरी नहीं हुई हैं. एमसीआइ ने 10 प्रोफेसरों की नियुक्ति के लिए कहा था. अब तक सिर्फ एक प्रोफेसर की नियुक्ति हुई है. इसके अलावा न तो कॉमन रूम बना पाया और न ही ट्रेनिंग के लिए गाड़ी फतुहा आ पायी.
फरवरी में फिर होगा निरीक्षण : एमसीआइ की पांच सदस्यीय टीम फरवरी महीने के पहले सप्ताह में निरीक्षण करने फिर पीएमसीएच आयेगी. सूत्रों की मानें, तो इसकी तारीख भी तय हो गयी है. पीएमसीएच अगर उस निरीक्षण में भी एमसीआइ के पैमानों पर खरा नहीं उतरता है तो एमबीबीएस की 50 सीटें कम कर दी जायेंगी. एमसीआइ को पीएमसीएच में मानव संसाधन, फैकल्टी, लैब, ओपीडी, वार्ड सहित कई मामलों पर गंभीर आपत्ति है.
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