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बदल जाते है आइओ, फिर ठंडे बस्ते में केस

बदल जाते है आइओ, फिर ठंडे बस्ते में केस- फर्जी दस्तावेज के आधार पर दुर्गेश की जमानत लेनेवाले मामले में भी नहीं हुई कोई कार्रवाई संवाददाता, पटना आमतौर पर घटना होती है और मामले दर्ज किये जाते हैं. लेकिन, इन केसों पर पटना पुलिस अनुसंधान नहीं कर पाती है. कई केस ऐसे हैं, जिनके अनुसंधानकर्ता […]

बदल जाते है आइओ, फिर ठंडे बस्ते में केस- फर्जी दस्तावेज के आधार पर दुर्गेश की जमानत लेनेवाले मामले में भी नहीं हुई कोई कार्रवाई संवाददाता, पटना आमतौर पर घटना होती है और मामले दर्ज किये जाते हैं. लेकिन, इन केसों पर पटना पुलिस अनुसंधान नहीं कर पाती है. कई केस ऐसे हैं, जिनके अनुसंधानकर्ता भी कई बार बदल गये, लेकिन अनुसंधान एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पायी. केस को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया और उसकी किसी ने भी खोज खबर तक नहीं ली. वर्ष 2011 में फर्जी दस्तावेज पर दुर्गेश शर्मा की जमानत लेने और फिर फरार होने के मामले में कोतवाली थाने में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. इस केस के कई अनुसंधानकर्ता बदल गये. एक साल से कोतवाली थाने के एक एसआइ के पास यह केस है, जबकि इसके पूर्व इस केस के अनुसंधानकर्ता दूसरे थे. लेकिन, चार साल बाद भी इस केस में अनुसंधान एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाया. आखिर किस तरह से और किसके सहयोग से दुर्गेश ने जमानत ली, यह अब तक राज बना हुआ है. इस मामले में अब तक किसी की संलिप्तता नहीं पायी गयी और न ही उस पर किसी प्रकार की कानूनी कार्रवाई की गयी. जिसका नतीजा यह है कि दुर्गेश शर्मा के साथ ही उसे संरक्षण देनेवाले लोग भी छुट्टे घूम रहे हैं. गौरतलब है कि वर्ष 2010 में पटना पुलिस ने ही उसे दिल्ली से पकड़ा था और जेल भेजा था, लेकिन जमानत लेने के बाद फिर उसने अपने ऊपर दर्ज किसी भी केस में न्यायालय में उपस्थित नहीं हुअा. हां, जब कोई मामला सामने आता है, तो पुराने केस की याद पुलिस के जेहन में ताजा हो जाती है.

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