पटना: अतिपिछड़ा वर्ग के छात्रों का शहर के सरकारी छात्रावास में रह कर पढ़ने का सपना अधूरा है. इनके लिए हर जिले में कपरूरी ठाकुर छात्रावास बनाने की योजना वर्ष 2008-09 में शुरू की गयी. पांच वर्षो में अब तक केवल बांका में ही छात्रावास तैयार हो सका है. दरभंगा व वैशाली में जमीन भी उपलब्ध नहीं हो सकी है.
प्राथमिकता में पीछे : जमीन की उपलब्धता के बावजूद खगड़िया, समस्तीपुर, शिवहर, पटना व सीवान में छात्रावास निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका है. कटिहार, सुपौल, मधुबनी, नालंदा, शेखपुरा व जमुई में निर्माण कार्य अधूरा है. शिवहर में छात्रावास के लिए उपलब्ध जमीन पर विवाद है. कुछ जिलों में विधिवत जमीन हस्तांतरण पिछड़ा व अतिपिछड़ा विभाग को नहीं हो सका है.
सभी जिलों में 100 -100 बेडों के छात्रावास का निर्माण बिहार राज्य पुल निर्माण निगम के माध्यम से कराया जा रहा है. निगम के पास राज्य में बड़े पुलों के साथ ही छोटे पुल और अन्य विभागों की भी कई योजनाएं पूरी करने के लिए हैं. ऐसे में छात्रावास निर्माण निगम की प्राथमिकता में पीछे है. हालांकि, जल्द निर्माण कार्य पूरा करने के लिए पिछड़ा व अतिपिछड़ा विभाग ने पुल निर्माण निगम को अब 42.12 करोड़ की राशि पहले ही दे दी है. 2013-14 वित्तीय वर्ष में 9.35 करोड़ भी पुल निर्माण निगम को उपलब्ध करा दी जायेगी. निर्माण जल्द पूरा करने के लिए विभाग की ओर से निगम को कई पत्र भेजे गये हैं. इसके बाद भी काम में तेजी नहीं है.
गरीबों को आगे बढ़ने का मौका : छात्रावास में दसवीं और इससे उच्च कक्षा के छात्र रह सकते हैं. मैट्रिक से ऊपर की प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करनेवाले छात्र भी यहां रह सकेंगे. सुदूर गांव में अतिपिछड़ा वर्ग के गरीब परिवार के मेधावी छात्रों को आगे की शिक्षा पाने में मदद के उद्देश्य से छात्रावास का निर्माण कराया जा रहा है. फिलहाल इन छात्रवासों में सरकार की ओर से सिर्फ रहने की व्यवस्था की जायेगी. बाद में संसाधन भी उपलब्ध कराये जा सकते हैं. छात्रावास की देखरेख के लिए एक केयरटेकर भी होगा. महिला कॉलेज कैंपस या आसपास बननेवाले हॉस्टल में छात्रएं रहेंगी, जबकि अन्य में छात्र रहेंगे.