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स्कूल में पार्किंग नहीं, सड़क पर बन जाता स्टैंड

स्कूल में पार्किंग नहीं, सड़क पर बन जाता स्टैंड- पटना के अधिकतर स्कूलों के बाहर ही खड़े होते हैं स्कूली बस और ऑटो – स्कूली वाहनों के गेट पर ही लगने से छुट्टी के समय हो जाती जाम की स्थितिसंवाददाता, पटनास्कूल की छुट्टी हुई नहीं कि सारे बच्चे कैंपस से बाहर. इसके बाद स्कूली बस […]

स्कूल में पार्किंग नहीं, सड़क पर बन जाता स्टैंड- पटना के अधिकतर स्कूलों के बाहर ही खड़े होते हैं स्कूली बस और ऑटो – स्कूली वाहनों के गेट पर ही लगने से छुट्टी के समय हो जाती जाम की स्थितिसंवाददाता, पटनास्कूल की छुट्टी हुई नहीं कि सारे बच्चे कैंपस से बाहर. इसके बाद स्कूली बस और ऑटो तक जाना और बैठना. एक-एक कर सारे बच्चे जब ऑटो या बस में बैठेंगे, तभी तो गाड़ी आगे बढ़ेगी. इस सारी प्रक्रिया में लगभग आधे घंटे का समय लग जाता है. बच्चे के बस और ऑटो में बैठने के बाद स्कूली वाहन अपनी दिशा की ओर टर्न लेंगे. इसके लिए उन्हें स्पेस चाहिए. आगे पीछे सवारी करने के लिए भी काफी देर तक मशक्कत होती है. इतनी देर में सड़क जाम की स्थिति हो जाती है. यह कोई एक दिन नहीं, बल्कि हर दिन का हाल है. पटना में अधिकतर स्कूलों के बाहर कुछ ऐसी ही स्थिति होती है. स्कूलों के बाहर चल रहे नो पार्किंग जोन में गाड़ियों के पार्क होने की वजह से ही सबसे अधिक जाम लगता है. अगर इन स्कूली बसों, ऑटो और वैन को कैंपस में लगाने की जगह मिल जाये, तो इस जाम से बचा जा सकता है. इसके अलावा बच्चे भी सुरक्षित रह पायेंगे. गेट के बाहर अघोषित स्टैंड पटना के अधिकतर स्कूल शहर के मेन रोड पर ही हैं. ऐसे में सड़क किनारे स्कूली बसों और ऑटो का अघोषित स्टैंड बन जाता है. इससे वहां पर जाम की समस्या हो जाती है. इस जाम से बचने के लिए चार साल पहले पटना ट्रैफिक पुलिस की तरफ से प्रयास किया गया था. लेकिन, एक-दो स्कूलों को छोड़ कर किसी ने इसे फॉलो नहीं किया और यह समस्या आज भी बनी हुई है. हर इलाके में लग जाता जाम स्कूल की छुट्टी के समय का जाम भले उन इलाकों में लगे, जिन इलाकों में स्कूल हैं. लेकिन, इसका कुप्रभाव कई घंटों तक पूरे शहर में देखने को मिलता है. सेंट जोसेफ कॉन्वेंट स्कूल की बात करें या माउंट कार्मेल की बात करें. जब स्कूल की छुट्टी होती है, तो बेली रोड से लेकर अशोक राजपथ तक सड़क जाम हो जाता है. अशोक राजपथ तो कई घंटों तक पैक हो जाता है. वहीं हाल हाइकोट वाली सड़क की है. सड़क पर ही स्कूल की सवारी लगी रहती है. स्टूडेंट्स की सुरक्षा पर सवाल स्कूल की छुट्टी के बाद जब स्टूडेंट्स स्कूल के बाहर होते हैं, तो उन्हें टोकने के लिए शिक्षक होते हैं और न ही अभिभावक का ही डर बना रहता है. ऐसे बच्चे पूरी तरह से फ्री होते हैं. उन्हें न तो सड़क क्राॅस का ध्यान और न ही ऑटो या बस में बैठने का होश. 15 से 20 मिनट तक काफी धमा-चौकड़ी करते हैं. इससे बच्चों की सुरक्षा पर भी अब सवाल उठने लगा है. स्कूल की छुट्टी के समय थोड़ी ही देर सही, बच्चों की सुरक्षा खतरे में होती है. लेकिन, इस पर न तो पुलिस प्रशासन का ध्यान होता है और न स्कूल प्रशासन का ही. अभिभावक की गाड़ियां भी बड़ा कारण चूंकि कई स्कूलों के पास अपना साधन नहीं होता है. ऐसे में छुट्टी के समय उन अभिभावकों की प्राइवेट गाड़ियां वहां जमा हो जाती हैं, जो बच्चों को स्कूल से लेने आते हैं. सड़क पर ही बच्चे अपनी गाड़ी में बैठते हैं और इससे जाम की स्थिति लग जाती है. अभिभावकों की गाड़ियों में बाइक से लेकर फोर व्हीलर्स तक शामिल रहते हैं. इस से लें सीखसेंट माइकल ने की पहल सेंट माइकल हाइस्कूल, कुर्जी के बाहर स्कूल की छुट्टी के समय हर दिन घंटे-दो घंटे के लिए जाम लगता था. इससे दीघा, दानापुर आदि तरफ से आनेवाली सवारी गाड़ियां जाम में फंसी रहती थीं. स्टूडेंट्स भी घंटों जाम में जूझते रहते थे. जाम की सबसे बड़ी वजह स्कूल गेट के बाहर स्कूली बसों का लगना था. स्कूल के प्रिंसिपल फादर पीटर बताते हैं कि पटना ट्रैफिक पुलिस के निर्देश के बाद सेंट माइकल हाइस्कूल ने तमाम प्राइवेट स्कूली बसों को स्कूल कैंपस में लगाने की इजाजत दे दी. अब छुट्टी होने के साथ सारे स्टूडेंट्स कैंपस में ही बस में बैठते हैं. इससे उस इलाके में अब जाम नहीं लगता है. स्कूल का नहीं है अपना कोई वाहनस्कूल की अपना कोई वाहन नहीं है. ऐसे में हम स्कूल कैंपस में इसकी अनुमति नहीं देते हैं. यह सही है कि बच्चे कैंपस के बाहर जाकर ऑटो और बस में बैठते हैं. स्कूल आवर से ही स्कूल के बाहर गाड़ियां लगी रहती हैं. इससे जाम की स्थिति बनी है. – ब्रदर सतीश, प्रिंसिपल, लोयेला हाइस्कूल प्राइवेट ऑटो से बच्चे स्कूल आते जाते हैं. ये ऑटो बाहर गेट के पास लगे होते हैं. छुट्टी के बाद सारे ट्रैफिक को रोक दिया जाता है. बच्चे को रोड क्रास करवाया जाता है. असुरक्षा तो है ही, लेकिन हम क्या कर सकते हैं. स्कूल का अपना कोई वाहन नहीं है. – फादर जैकब, प्रिंसिपल, सेंट जेवियर हाइस्कूलगाड़ियों को कैंपस में ही लगाना चाहिएजो स्कूल मुख्य सड़क के किनारे हैं, उन स्कूलों में तो गाड़ियों को कैंपस में ही लगाने की पहल करनी चाहिए. इससे बच्चे की सुरक्षा होगी. इसके अलावा उन इलाकों में जाम की समस्या से भी निजात मिलेगी. इसको लेकर हम डीएम को एक पत्र देंगे. स्कूल के लगने के समय और छुट्टी के समय स्कूली बसों और स्कूली आॅटो को स्कूल कैंपस में ही लगाया जाये. इससे बच्चों की सुरक्षा हो पायेगी. – डीके सिंह, अध्यक्ष, बिहार राज्य पब्लिक चिल्ड्रेन एसोसिएशनस्कूलों की मनमानी नहीं चलेगीपटना के सभी स्कूल बच्चों की सुरक्षा के लिए गाड़ियां कैंपस के भीतर लगाना सुनिश्चित करें. अपनी गाड़ियां तो कैंपस के अंदर लगाते हैं, जो गाड़ियां उनकी नहीं है, उसे भी कैंपस के भीतर लगाएं. जब कैंपस है, तो गाड़ियों को बाहर रखना बिल्कुल गलत है. प्रशासन किसी की मनमानी नहीं चलने देगा. हम सभी स्कूल प्रबंधन को नोटिस भी जारी करेंगे. बच्चों की सुरक्षा को लेकर कोई भी लापरवाही बरदाश्त नहीं होगी.- संजय कुमार अग्रवाल, डीएम, पटना\\\\B

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