संडे की छुट्टी मनी बुक फेयर मेंलाइफ रिपोर्टर पटनागुलाबी ठंड में गुनगुनी धूप को सेंकते हुए लोगों के हाथ में एक से बढ़ कर एक किताबें दिख रही थीं. यहां बच्चों के लिए मनोहर पोथी से लेकर बुजुर्गों के लिए बड़े-बड़े साहित्यकार की किताबें नजर आ रही थी. संडे को यह नजारा सीआरडी पटना बुक फेयर में देखने को मिला. संडे की छुट्टी होने की वजह से यहां लोगों की चहल-पहल ज्यादा देखने को मिली. सुबह से लेकर शाम तक कई लोग बुक फेयर में आ कर अपने पसंद की किताबें खरीद रहे थे. वहीं स्टूडेंट्स किताब खरीदने के साथ-साथ ड्रीफ्ट आर्ट और मेड इन इंडिया आर्ट के पास जा कर सेल्फी लेने में भी बिजी थे. यहां कई लोग फैमिली के साथ, तो कई लोग फ्रेंड के झुंड में बुक फेयर और मौसम का मजा लेते हुए मस्ती कर रहे थे, तो वहीं पुस्तक प्रेमी ज्यादातर समय किताबों के पन्नों को उलट कर देख रहे थे. इसके अलावा यहां पूरे दिन नुक्कड़ नाटक, जन संवाद, परिचर्चा और पुस्तक विमोचन जैसे कार्यक्रमों का सिलसिला चलता रहा. यहां लोगों ने इस ऐसे कार्यक्रमों का भी लुत्फ उठाते दिखे. संडे होने की वजह से इस दिन महिलाएं और बच्चों की भीड़ ज्यादा देखने को मिली.‘किशोर व किशोरियों की बातें’ का हुआ विमोचनपटना बुक फेयर में रविवार को मुख्य पेक्षागृह में कोशी मुक्ताश मंच पर प्रभात प्रकाशन की पुस्तक किशोर व किशोरियों की बातें का विमोचन किया गया. इस पुस्तक की तीन लेखिकाएं हैं. डॉ पूनम दीक्षित, डॉ नीलम और डॉ कल्पना सिंह. इसका विमोचन प्रख्यात शल्य चिकित्सक पद्मश्री डॉ नरेंद्र प्रसाद द्वारा किया गया. इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत में युवाओं की तादाद ज्यादा है और उन्हें अपने स्वास्थ पर ध्यान देना चाहिए. इसलिए चिकित्सकों को भी उन्हें स्वस्थ रहने का उपाय बताना चाहिए. मौके पर शांति राय ने कहा कि हमने यह किताब पढ़ी है, जो आठ वर्षों से 12 वर्षों के किशोर और किशोरियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी. इस अवसर पर डॉ पूनम दिक्षित और डॉ कल्पना सिंह भी मौजूद थी, जिन्होंने इस किताब के बारे में अपनी राय रखी.माओइज्म इन इंडिया का विमोचनइस दिन मुख्य पेक्षागृह में इंगलिश की बुक माओइज्म इन इंडिया का विमोचन किया गया. इसका विमोचन गांधी वादी डॉ रजी अहमद द्वारा किया गया. मौके पर चिंतक विचारक डॉ अरविंद सिन्हा और बिहार पुलिस के पूर्व महानिदेशक डीएम गौतम भी मौजूद थे. इस किताब को प्रभात प्रकाशन ने प्रकाशित किया है. मौके पर रजी अहमद ने कहा कि यह किताब महत्वपूर्ण हैं. मार्क्सवाद अपने आप में जीवंत विचारधारा रही है.आजादी के लिए लड़ने वालों ने संविधान दिया है, लेकिन आज राजनीतिक का अपराधिकरण हो गया है. वहीं डीएस गौतम ने कहा कि बुक में माओइज्म और नक्सलवाद में अंतर बताया है. मौजूद परिस्थिति में भारत इसी दशा से गुजर रहा है. इस किताब के लेखक अरूण श्रीवास्तव हैं. इसके अलावा यहां प्रोफेसर डॉ अम्रेंद्र कुमार एवं पुर्नवास विशेषज्ञ वाणी चटर्जी द्वारा भौतिकी चिकित्सा किताब का विमोचन किया गया. यह पुस्तक डॉ ब्रोतोमय द्वारा रचित है.नुक्कड़ नाटकबुक फेयर के बीच यहां का आकर्षण नुक्कड़ नाटक है, जो हर दिन यहां आयोजित किया जाता है. रविवार के दिन अभियान संस्कृत मंच द्वारा गड्ढा नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया गया. यह नाटक हर तबके में बढ़ रही संवेदनहीन को बड़े ही अच्छे तरीके से सामने आता है. नाटक में गांव से शहर आया एक आदमी एक सड़क पर गड्ढे में गिर जाता है. वो निकालने के लिए चिल्लाता है. लोग उसकी आवाज सुनते हैं, लेकिन यहां सब अपनी बात कह कर और आगे निकल जाते हैं. यह नाटक राजनीतिक और प्रशासनिक भ्रष्टाचार पर प्रहार करता है. इस नाटक में कुणाल, मनोज, सुबोध, अतुल, हीरा लाल, ने शानदार अभिनय किया है.हिंदी सिनेमागढ्ढ़ा नुक्कड़ और छोटे शहरबुक फेयर में इस दिन मंच पर हिंदी सिनेमा और छोटे शहर पर परिचर्चा हुई. परिचर्चा में रंगकर्मी और सीरियल के लेखक ने कहा कि सिनेमा में सारी कुलाएं निहित है. यह कला व्यावसायिक हैं और तकनीक और भावनाओं का मेल है. उन्होंने कहा कि भारतीय सिनेमा का हर्दय अपने शुरुआती दिनों से ही छोटे शहरों में बसता है. रविशंकर ने बताया कि आर्थिक उदारीकरण में दुनिया में प्रतियोगिता खड़ी की है. इस अवसर पर वृत चित्र निर्माता रविराज पटेल ने कहा कि, जो सिनेमा जितना लोकल होगा उतना ग्लोबल होगा. इस अवसर पर सिने सोसायटी से संबंध और अनुभूति के सदस्य जयमंगल, फिल्म समीक्षक विनोद अनुपम जैसे कई लोग मौजूद थे, जिन्होंने इस विषय पर अपनी-अपनी बात रखी. बुक फेयर में आजनुक्कड़ नाटक- 1.30 बजेअनीश अंकुर की पुस्तिका का विमोचन- 3.15 बजेकवि सम्मेलन- 4.30 बजेसंगीत ऑडिशन- 6 बजे लोगों से बातचीत संडे होने की वजह से आज पूरी फैमिली के साथ बुक फेयर में आने का मौका मिला. संडे होने की वजह से बुक खरीदने के साथ-साथ फैमिली के साथ थोड़ी मस्ती करने का मौका मिल गया. यहां आकर मैंने टर्निंग प्वाइंट और रामचरीतमानस खरीदा है.शबाना, अनीषाबादमुझे बहुत दिन से बुक फेयर आने का मन कर रहा था. क्योंकि हर दिन न्यूज पेपर में बुक फेयर की खबरें मिल रही थी. मुझे रेसिपी के लिए बुक खरीदना था. बुक फेयर में ऐसे बुक के भी कई ऑप्शन है. इसलिए मैंने सबसे पहले बुक रेसिपी की बुक ली.याशिमी, गर्दनीबागमैं संडे का इंतजार कर रहा था, ताकि इस दिन अपने फ्रेंड्स के साथ बुक फेयर में टाइम स्पेंट कर सकूं. यहां बुक के अलावा भी कई चीजें हैं, जो लोगों को आकर्षित कर रही है. मैंने यहां फ्रेंड्स के साथ सेल्फी भी ली. पूरा संडे बुक फेयर में ही बीता. रोहित, राजापुल मैं शुरू से बुक पढ़ने की शौकिन हूं. मुझे इतिहास से जुड़ी किताबें बहुत पसंद है. संडे के दिन घर के बच्चे बुक फेयर आ रहे थे. इसलिए मैंने भी आने में दिलचस्पी रखी. यहां आकर बहुत अच्छा लगा. बहुत चहल-पहल है. नये जेनरेशन के बच्चे भी बुक खरीद रहे हैं. नजमा, अनीषाबाद
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संडे की छुट्टी मनी बुक फेयर में
संडे की छुट्टी मनी बुक फेयर मेंलाइफ रिपोर्टर पटनागुलाबी ठंड में गुनगुनी धूप को सेंकते हुए लोगों के हाथ में एक से बढ़ कर एक किताबें दिख रही थीं. यहां बच्चों के लिए मनोहर पोथी से लेकर बुजुर्गों के लिए बड़े-बड़े साहित्यकार की किताबें नजर आ रही थी. संडे को यह नजारा सीआरडी पटना बुक […]
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