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गंगा किनारे मिला मरा डॉल्फिन

पटना : शनिवार सुबह एनआइटी घाट पर गंगा किनारे एक मरा हुआ डॉल्फिन पाया गया. डॉल्फिन एनआइटी घाट के किनारे में आकर फंस गया जिसे लोगों ने सुबह में देखा और पुलिस को इसकी सूचना दी. जानकारी के बाद वन विभाग के अधिकारी मृत डॉल्फिन को पटना जू ले गये जहां उसका डाक्टरों की टीम […]

पटना : शनिवार सुबह एनआइटी घाट पर गंगा किनारे एक मरा हुआ डॉल्फिन पाया गया. डॉल्फिन एनआइटी घाट के किनारे में आकर फंस गया जिसे लोगों ने सुबह में देखा और पुलिस को इसकी सूचना दी. जानकारी के बाद वन विभाग के अधिकारी मृत डॉल्फिन को पटना जू ले गये जहां उसका डाक्टरों की टीम ने पोस्टमार्टम किया. पोस्टमार्टम के बाद फोटोग्राफी करायी गयी अौर वहीं दफना दिया गया.
मौत का कारण लिवर डैमेज
वन विभाग के अधिकार कह रहे हैं कि डाल्फिन कहीं से बह कर पटना के घाट पर आ गया था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक मृत्यु का कारण डॉल्फिन का लिवर डैमेज होना बताया गया है.
वन प्रमंडल पदाधिकारी डॉ गोपाल सिंह ने बताया कि डाक्टरों ने जो रिपोर्ट दी है उसके अनुसार डॉल्फिन की लाश दो दिन पुरानी है. आंतरिक जख्म के कारण डॉल्फिन को इन्फेक्शन हो गया था. यह चोट या ताे किसी बोट से टकराने के कारण हुई है या फिर किसी दूसरी चीज से. कहीं भी बाहरी जख्म नहीं पाया गया.
2005 में बोट से टकराने से हो चुकी है मौत
गंगा नदी का यह प्रक्षेत्र डॉल्फिन के आवासन के लिए जाना जाता है. यूपी और बंगाल की तुलना में बिहार के गंगा-गंडक और कोशी नदी क्षेत्र में ही डॉल्फिन रहते हैं. राष्ट्रीय जलीय जंतु डॉल्फिन के संरक्षण का दावा सरकार भी करती रही है. 35 वर्षों से डॉल्फिन पर शोध कर रहे विज्ञानी आरके सिन्हा ने बताया कि इसी साल अक्तूबर में एक और डॉल्फिन की मौत हो चुकी है.
उन्होंने कहा कि पूरे प्रकरण की जांच होने से कुछ और स्पष्ट होगा क्याेंकि 2005 में एक डॉल्फिन की मौत बोट से टकराने के कारण हुई थी. उन्होंने बताया कि तीन महीने पहले यह जानकारी मिली थी कि कुछ मछुआरे अपनी मछली डॉल्फिन से बचाने के लिए प्वायजनिंग करते हैं. मछली के पेट में सल्फास की गोली डाल कर उसे डॉल्फिन के इलाके में छोड़ देते हैं. इससे भी मौत हो सकती है.

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