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पुस्तक मेला में मेड इन इंडिया का आकर्षण

पुस्तक मेला में मेड इन इंडिया का आकर्षणलाइफ रिपोर्टर पटनागांधी मैदान के पटना बुक फेयर में लगी हर चीज लोगों को आकर्षित कर रही है. यहां पुस्तकों के अलावा भी कई चीजें हैं, जो लोगों को आकर्षित कर रही हैं. दरअसल इस बार पुस्तक मेले में ‘मेड इन इंडिया’ का स्टॉल लगाया गया है, जिसमें […]

पुस्तक मेला में मेड इन इंडिया का आकर्षणलाइफ रिपोर्टर पटनागांधी मैदान के पटना बुक फेयर में लगी हर चीज लोगों को आकर्षित कर रही है. यहां पुस्तकों के अलावा भी कई चीजें हैं, जो लोगों को आकर्षित कर रही हैं. दरअसल इस बार पुस्तक मेले में ‘मेड इन इंडिया’ का स्टॉल लगाया गया है, जिसमें लोक एवं जनजातीय कला को प्रदर्शित किया गया है. इस स्टॉल में देश के 10 से अधिक राज्यों के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित कलाकारों की कृतियां देखने और खरीदने को मिल रही हैं, जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ बढ़ती जा रही है. ‘मेड इन इंडिया’ द इंडिया आर्ट इन्वेस्टमेंट कंपनी की खास पहल है. यह भारत की लोक और जनजातीय कला को जीवन दे रहे कलाकारों को बढ़ावा देती है. भारत में खेती के बाद सबसे अधिक रोजगार देने वाला यह ग्रामीण उद्योग भारतीय हस्तशिप 2.3 करोड़ से अधिक शिल्पियों को अाजीविका देता है और सबसे खास बात यह भी है कि इसमें 70 प्रतिशत महिलाएं हैं. इस बात की जानकारी देते हुए द इंडिया आर्ट इन्वेस्टमेंट कंपनी के सीइओ प्रशांत सिंह का कहना है कि कला और शिल्पकारों को देखने का नजरिया घनी देशों का अलग है और हम जैसे आर्थिक रूप से कमजोर देशों का अलग है. हमारे यहां अक्सर शिल्पियों को उनका शिल्प और कौशल ताख पर रख कर रोजी-रोटी की तलाश में भटकना पड़ता है. ऐसे में यदि हम चाहते हैं कि दिलचस्प कथानक वाली यह कला का ज्ञान और संस्कृति अगली पीढ़ी में जाये और शिल्पियों को हाथ देना होगा. बुक फेयर में आये सभी लोग इस कला को बखूबी देख रहे हैं. एक जगह लोगों को कई तरह की चित्रकला देखने का मौका मिल रहा है. सांझी आर्ट है सबसे खाससांझी आर्ट मथुरा का आर्ट है. इसमें लोगों को बेहतरीन कला देखने का मौका मिलता है. सांझी आर्ट में कृष्ण की लीला को दिखाया जाता है. इसलिए इसमें कृष्ण की आर्ट को दर्शाने की कोशिश की जाती है. इस बारे में राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित राम सोनी राय कहते हैं कि इस आर्ट को कैंची से बनाया जाता है. कागज के पन्नों पर कैंची चलायी जाती है. कैंची से पतला राइज पेपर पर डिजाइन बन जाता है. इस आर्ट में एक बार भी कैंची गलत चल जाती है, तो पूरी पेंटिंग खराब हो जाती है. इसलिए इसे फिर से बनाया जाता हैै. इसलिए कलाकार पूरे भाव में डूब जाते हैं. कलाकारों का मानना है कि अगर हम कैंची गलत चलाते हैं तो भगवान को चोट पहुंचती है. इसलिए पूरे कैंची सहीं चलानी होती है.मधुबनी पेंटिंगमधुबनी पेंटिंग बिहार के साथ-साथ कई राज्यों में फेमस है. इसलिए मेड इन इंडिया द्वारा यहां मधुबनी पेंटिंग की कला को भी दर्शाया जा रहा है. यहां मधुबनी पेंटिंग को बनाते हुए राज्य पुरस्कार से सम्मानित रेहमंत कहते हैं कि मैं 8 साल की उम्र से मधुबनी पेंटिंग का शौक था. क्योंकि यह मेरे पुर्वजों से बनते आया है. इस बार स्टॉल में 200 से 25000 तक की पेंटिंग मिल रही है, जिसमें मधुबनी पेंटिंग और कैनवास मौजूद है. मधुबनी पेंटिंग में हम देवी-देवताओं की पेंटिंग को बनाते हैं . पहले की अपेक्षा मधुबनी पेंटिंग की डिमांड बढ़ते जा रही है. इसलिए कलाकारों को देश और विदेश में सम्मान पाने का मौका मिलता है.पट चित्र में दिख रही है आकर्षिक डिजाइन पटचित्र एक ऐसी कला है, जिसे नेचुरल तरीके से तैयार किया जाता है. इसलिए इसे लोग काफी पसंद करते हैं. अब तक देश के कई कोने में पट चीत्र को पसंद किया जा रहा है, लेकिन पटना में पहली बार लगाने का मौका मिला है. इसलिए लोग इसे पसंद कर रहे हैं. इस बात की जानकारी कलाकार आशीष और विजय लक्ष्मी स्वाई ने दी. उन्होंने बताया कि यह पेंटिंग इमली के बीज से बनायी जाती है., जिसका पेस्ट बना कर उसे कलर किया जाता है. साथ ही ताड़ के पत्ते पर कला को बिखेरा जाता है. इसमें नीडल और लिंक बनाया जाता है. इस आर्ट को बनाने में भी कलाकार डूब जाते हैं. इसलिए गलत नीडल चलने से चित्रकला खराब हो जाती है. इसमें ट्रेडिशनल डिजाइन बनाया जाता है. गीतों के साथ बताती हैं अपनी पेंटिंग का संदेशवैसे तो इस स्टॉल में कई तरह की पेंटिंग देखी जा रही है, लेकिन पश्चिम बंगाल की कालीघाट और संथाल आर्ट कई जगह प्रसिद्ध है. इस आर्ट को बनाते हुए मामोनी चित्रकार कहती हैं कि यह बंगाल की कला है. इसे बनाने से पहले कलाकार एक गाना तैयार करते हैं, जो पेंटिंग के लिए गाते हैं. इस गाने से पेंटिंग की जानकारी दी जाती है. मामोनी सात साल की उम्र से पेंटिंग बनाते आयी है. वे कहती हैं कि यह मेरे पुर्वजों द्वारा दिया गया है. स्टॉल में उन्होंने दिल्ली में निर्भया केस जैसी गंभीर मुद्दों को भी उठाया. इसके अलावा भी कई तरह की चित्रकला बनाते हुए लोगों को आकर्षित कर रही हैं. इस आर्ट की वजह से उन्हें विदेशों में भी जाने का मौका मिला है, जहां उन्हें सम्मानित किया गया था.फड़ चित्र शैली में दिखी में दिखी ट्रेडिशनल डिजाइनफड़ चित्र राजस्थान की कला है. यह कला कहानियों के ऊपर आधारित रहता है, जिसमें देवी-देवताओं की कहानी को बनाया जाता है. इस बारे में स्टॉल में मौजूद मुकेश, नंदू और नताशा कहती हैं कि इस कला को राजस्थान में खूब सराहा जाता हैै. पटना में भी इसकी मांग बढ़ने लगी है. यहां नताशा विदेशी हैं, जो विदेशी रहते हुए भी पिछले तीन साल से इस पेंटिंग में अपना टैलेंट दिखा रहे हैं. यहां 500 से लेकर 21 हजार रुपये तक की पेंटिंग मौजूद है, जिसे लोग पसंद कर रहे हैं. कम समय में ही शहर में इसकी खरीदारी होने लगी है.एक दिन में 20 से ज्यादा स्केचिंग कर सकते हैंबुक फेयर में एक ओर जहां कई लोग अपनी पसंद की किताबें खरीदने में बीजी हैं. वहीं कई लोग खुद की स्केचिंग कराने में बीजी हैं. लोग यहां नंबर लगा कर खुद को पन्ने पर उतार रहे हैं. लोगों को 10 मिनट पर ऑन द स्पॉट स्केचिंग कर देने के लिए यहां रवि भूषण सुबह से शाम तक मौजूद रहते हैं, जो लोगों के ऑर्डर पर उनका स्केच बनाया जाता है. इस बारे में वे कहते हैं कि हम आठ साल की उम्र से स्केचिंग करते आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि अगर टाइम मिला, तो हम एक दिन में हम 20 से ज्यादा स्केचिंग कर सकते हैं. बुक फेयर में पिछले 8 सालों से लोगों का स्केचिंग करते आ रहे हैं. यहां बच्चों से लेकर बड़े तक हर उम्र के लोग अपनी स्केचिंग बनवाने में व्यस्त हैं. बुक फेयर के अलावा वे इको पार्क जैसे जगहों पर भी मिलते हैं.

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