– पंकज कुमार सिंह –
पटना : पिछले आठ वर्षो में कृषि के क्षेत्र में कई बदलाव हुए. फसलों व सब्जियों की पैदावार बढ़ी. बिहार पहला राज्य बना, जहां 18 विभागों के मंत्रियों की अलग कृषि कैबिनेट का गठन किया गया. कृषि में इंद्रधनुषी क्रांति के लिए पंचवर्षीय (2012-17) रोड मैप लागू किया गया.
तीन अक्तूबर, 2012 को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इसे लांच किया. पहले कृषि का कुल वार्षिक बजट महज 20 करोड़ होता था, लेकिन सात वर्षो में इसमें 100 गुनी से अधिक वृद्धि हुई. 2013-14 में कृषि का योजना बजट 2176 करोड़ है. कृषि रोड मैप की योजना को पूरा करने के लिए पांच वर्षो में डेढ़ लाख करोड़ की राशि का प्रावधान किया गया है. मधु उत्पादन में बिहार देश का नंबर वन प्रदेश बन गया है.
धान की खेती में विश्व रिकॉर्ड
धान, गेहूं, मक्का, दलहन व तेलहन के साथ ही फल व सब्जी की पैदावार बढ़ाने के लिए योजनाएं बनायी गयीं. बीज विस्थापन (नये गुणवत्तापूर्ण बीज का प्रयोग) दर 30-40 प्रतिशत हो गयी है. श्री विधि तकनीक को बढ़ावा देने से धान व गेहूं की पैदावार बढ़ा. श्री विधि से धान की खेती के लिए तीन हजार व गेहूं के लिए 1650 रुपये प्रति हेक्टेयर किसानों को दिया जा रहा है.
किसान पाठशाला के माध्यम से कृषि वैज्ञानिक किसानों को बेहतर खेती की जानकारी दे रहे हैं. श्री विधि से धान की खेती करनेवाले नालंदा के किसान सुमंत कुमार ने 235 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन कर विश्व रिकॉर्ड बनाया.
इंटर में विज्ञान व कला की तरह ही कृषि अलग विषय के रूप में पढ़ाई होगी. कृषि व फिशरीज के छात्रों को छात्रवृत्ति दी जा रही है. चार वर्ष पहले बिहार कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी.
23 जिलों में मिट्टी जांच प्रयोगशाला
वर्मी कंपोस्ट यूनिट लगाने के लिए किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है. सभी जिलों में मिट्टी जांच प्रयोगशाला स्थापित करने की कार्रवाई की जा रही है. अभी 23 जिलों में प्रयोगशाला हैं. कृषि यंत्रों पर अनुदान राशि बढ़ायी गयी. जिला स्तर पर कृषि यांत्रिकीकरण मेला लगाया जा रहा है.
रासायनिक खाद के उपयोग को कम करने के लिए हरा खाद उत्पादन योजना शुरू की गयी है. बगीचा बचाओ अभियान के तहत प्रति हेक्टेयर एक हजार रुपये का प्रावधान किया गया. औषधीय व सुगंधित पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार किसानों को 90 प्रतिशत अनुदान दे रही है.
अब 25 जिलों में दियारा विकास योजना के तहत किसानों को सब्जी लगाने और बांस बोरिंग के लिए अनुदान की व्यवस्था की गयी. मधु व मशरूम उत्पादन बढ़ाने के लिए योजना शुरू हुई. प्रत्येक पंचायत में किसान सलाहकार की नियुक्ति की गयी. खेतों में लगी फसल को बचाने के लिए डीजल अनुदान की व्यवस्था की गयी है. कृषि के लिए बिजली का अलग फीडर लगाने की व्यवस्था शुरू की गयी है.