पटना: क्या यही सीएम का जनता दरबार है? दो बार आ चुका हूं. जो नियम के अनुसार कार्रवाई नहीं करता है, आवेदन उसी के पास भेज दिया जाता है. सोचा था कि मुख्यमंत्री आवेदन पर कार्रवाई करेंगे, पर उन्होंने तो मंत्री के पास भेज दिया.
मंत्री के पास जाते ही आवेदन उनके पीए ने रख लिया, तो कार्रवाई क्या होगी? यही प्रक्रिया चलती है, तो यहां आने का क्या मतलब? यह पीड़ा गया जिले के गुरूआ से आये धर्मेद्र कुमार की थी. धर्मेद्र सहित कई आवेदकों की पीड़ा पर मंत्री परवीन अमानुल्लाह कई बार नाराज भी हुईं. एक फरियादी तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष ही जोर-जोर से कहने लगा कि आप नहीं सुनेंगे, तो कौन सुनेगा? एक तो आत्महत्या तक की बात करने लगा. जनता दरबार में कुल 433 फरियादी आये. सीएम के अलावा मंत्रियों में पीके शाही, जीतन राम मांझी, परवीन अमानुल्लाह, शाहिद अली खां सहित अन्य अधिकारियों ने शिकायतों का निबटारा किया.
दो माह में भी नहीं हुई कार्रवाई: धर्मेद्र की शिकायत समाज कल्याण विभाग से थी. उसने बताया कि आंगनबाड़ी सेविका की बहाली के लिए 11 लोगों ने आवेदन दिये. सात का नाम आया. मेधा सूची के पहले चार स्थानों पर रहनेवालों ने प्रमाणपत्र पेश नहीं किया. पांचवें स्थान पर मेरी पत्नी रेणु कुमारी का नाम आया. चयन होना था, पर नहीं हुआ. सीडीपीओ ने पैसा लेकर पूर्व प्रमुख की पत्नी को भरती कर दिया. अपने साथ हुई धांधली की शिकायत लेकर नौ सितंबर को आया था. दो महीने बाद आया, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. सोमवार को जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम में आये कई शिकायतकर्ताओं ने इसी अंदाज में अपनी बात रखी. दुसरा सोमवार होने के कारण स्वास्थ्य, शिक्षा व समाज कल्याण विभाग से संबंधित शिकायतों का निबटारा होना था, पर अधिकतर मामले समाज कल्याण से जुड़े थे.
सेविका-सहायिका की बहाली में धांधली: भागलपुर के कहलगांव प्रखंड से आये सुबोध कुमार पासवान पर मंत्री परवीन अमानुल्लाह नाराज हो गयीं. शिकायतकर्ता का कहना था कि 2004 से 2012 तक नियम के विरुद्ध सेविका-सहायिका की बहाली की गयी. सीडीपीओ रिश्वत लेकर बहाली कर रही हैं. मंत्री की नाराजगी पर फरियादी ने बताया कि आरटीआइ में भी जानकारी मांगे जाने पर विभाग ने गलत सूचना दी. जो योग्य नहीं हैं, उनकी बहाली हो रही है. नालंदा के चंडी से आये सत्येंद्र कुमार ने कहा कि 2012 में धांधली कर सेविका की बहाली की गयी. जिसका चयन हुआ, उसकी बहाली नहीं की गयी. जांच में एडीएम ने बहाली रद्द करने का आदेश दिया गया. आठ महीने बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है. विभागीय सचिव ने कहा कि डीएम को कार्रवाई करने के लिए कहा जायेगा. गया से आये विजय कुमार आत्महत्या की बात करने लगे. इनका कहना था कि पिता गोपाल प्रसाद राय मुख्यमंत्री के साथ जेपी आंदोलन में शामिल हुए थे. जेपी सेनानी पेंशन योजना के तहत उन्हें पेंशन मिलता था. पिता की मौत के बाद खाने के लाले हैं.
वहीं, लखीसराय से आये चंदन पटेल ने कहा कि आम्रपाली इंस्टीट्यूट से बी-टेक में पढ़ाई करने के लिए 2010 में एडमिशन कराया. अब न तो पढ़ाई हो रही है और न ही अन्य शैक्षणिक कार्य. आपसी विवाद के बाद सीएमडी भी खुद को अक्षम बता रहे हैं. दूसरे कॉलेज में भेजने की बात हो रही है. वहां अधिक पैसे खर्च होंगे. सीएम ने इस मामले पर कार्रवाई के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया.