पटना. भाजपा विधायक दल में नेता पद की कवायद शुरू हो गयी है. जो विधायक दल का नेता होगा, वही विपक्ष का नेता भी होगा. नंदकिशोर यादव नेता बने रहेंगे या कोई नया चेहरा सामने आयेगा, यह अभी तय नहीं है. छठ के बाद नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक होगी, जिसमें नये नेता का चयन होगा. प्रेम कुमार के नाम की भी चर्चा है. एक चर्चा यह भी है कि किसी बिल्कुल नये चेहरे को भी यह जिम्मेवारी दी जा सकती है. भाजपा अभी तक हार की पीड़ा से उबर नहीं पायी है.
पार्टी के प्रमुख नेता राजनीतिक चर्चा से बचना चाहते हैं. चुनाव में दल के कई दिग्गज हार गये. निवर्तमान विधायक दल के नेता नंदकिशोर यादव भी मामूली अंतर से चुनाव जीत सके. चुनाव के पूर्व से ही गया के विधायक प्रेम कुमार को नेता बनाने की मांग उठती रही है. कुमार सातवीं बार चुनाव जीते हैं. पूरे सूबे में इनकी पहचान भी है. वे अति पिछड़ा वर्ग से भी आते हैं. श्री कुमार वर्तमान में दल के सबसे वरीय विधायक हैं.
वे कहते हैं कि में दल का सिपाही हूं, निर्णय पार्टी को करना है. पार्टी ने अब तक जो भी जिम्मेवारी दी है, उसे सफलतापूर्वक निभाया है. आगे भी जो जिम्मेवारी मिलेगी, तो उसे निभाऊंगा. विधानसभा के नये सत्र को एक- दो दिन पहले नये नेता का चयन होगा. नये नेता का नाम दल के संसदीय बोर्ड तय करेगा.
एक चर्चा यह भी है कि अभी तत्काल कोई परिर्वतन नहीं हो, मौजूदा व्यवस्था को जारी रखा जाये और जब विधानसभा चुनाव में हार की जिम्मेवारी तय की जा रही है, तब किसी और को यह जिम्मेवारी दी जाये. कुछ नेताओं से दिल्ली में लाॅबिंग शुरू कर दी है. भाजपा विधानमंडल दल के नेता सुशील कुमार मोदी बने रहेंगे. पार्टी के भीतर एक खेमा यह भी चाह रहा है कि अब पटना का वर्चस्व समाप्त होना चाहिए.