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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के बयान का किया खंडन

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के बयान का किया खंडन बिहार में स्वास्थ्य के क्षेत्र में हुआ व्यापक काम, पैसे भी हुए खर्च : रामलषण राम रमणसंवाददाता, पटना बिहार में स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुत काम हुआ है. सरकारी अस्पतालों के प्रति लोगों की उम्मीद बढ़ी है. मरीज हित में अस्पतालों में व्यापक काम किया गया है. […]

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के बयान का किया खंडन बिहार में स्वास्थ्य के क्षेत्र में हुआ व्यापक काम, पैसे भी हुए खर्च : रामलषण राम रमणसंवाददाता, पटना बिहार में स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुत काम हुआ है. सरकारी अस्पतालों के प्रति लोगों की उम्मीद बढ़ी है. मरीज हित में अस्पतालों में व्यापक काम किया गया है. अस्पतालों में इलाज के साथ-साथ मुफ्त जांच व दवा की सुविधा मुहैया करायी गयी है. भरती मरीजों को खाना तक दिया जाता है. ये बातें रविवार को स्वास्थ्य मंत्री रामलषण राम रमण ने अपने आवास पर प्रेस वार्ता कर केंद्रीय मंत्री जेपी नडडा के इस बयान का खंडन किया है कि बिहार सरकार पैसा खर्च करने में अक्षम है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से अक्तूबर में पैसा आया था, जिसके बाद से लगातार पैसा खर्च किया जा रहा है.स्वास्थ्य के क्षेत्र में हुई उपलब्धि- मातृ व शिशु मृत्यु दर काफी घटा है. शिशु मृत्यु दर के मामले में बिहार राष्ट्रीय औसत का स्तर प्राप्त कर चुका है. जबकि एक समय था कि हम राष्ट्रीय औसत से काफी पीछे थे. यह आंकड़ा 312 से घट कर आज 208 पर है. वहीं, शिशु मृत्यु दर 54 से घट कर 42 पर है. – आशा कार्यकर्ताओं की ओर से घर-घर जाकर नवजात शिशुओं की देखभाल की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है. 2013-14 में जहां यह 36 प्रतिशत था पिछले वर्ष यह आंकड़ा 51 प्रतिशत पहुंच गया है और वर्तमान वित्तीय वर्ष में यह 53 प्रतिशत है. – नवजात शिशु की देखभाल के लिए एनबीसीसी की संख्या 496 से बढ़ कर 504 हो चुकी है. एनबीएसयू की संख्या 22 से बढ़ कर 35 और एसएनसीयू की संख्या 12 से बढ़ कर 22 हो चुकी है. इस प्रकार एसएनसीयू में नवजात शिशुओं की संख्या जो 12344 वर्ष 2013-14 में प्रतिवेदित किये गये थे. वह इस वित्तीय वर्ष में बढ़ कर 13870 हो चुकी है. केंद्र सरकार से अपेक्षित सहयोग नहीं मिलने के कारण कठिनाइयां- केंद्र सरकार के असहयोगात्मक रवैये के कारण बिहार को पर्याप्त लाभ नहीं मिल पा रहा है. बिहार की आबादी को ध्यान में रखते हुए लगभग 22 मेडिकल कॉलेजों की आवश्यकता है, जबकि आज की तिथि में मात्र 13 कार्यरत है. बिहार सरकार ने तीन नये मेडिकल कॉलेजों की पूर्ण डीपीआर बना कर केंद्र सरकार को स्वीकृति के लिए भेजा गया है. लेकिन, उस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है. – एंबुलेंस और रेफरल ट्रांसपोर्ट के मद में केंद्र सरकार एनआरएचएम के पार्ट बी मद में हर वर्ष कटौती करती जा रही है. वर्तमान में इस मद में मात्र 20 प्रतिशत की राशि दी जा रही है.

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