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पेश किये जा रहे गलत आंकड़े, अफसरों को निरीक्षण का फरमान

न तो खर्च हो रही राशि और न ही योजनाओं में आ रही तेजी पटना : हर हिंदुस्तानी की थाली में बिहारी व्यंजन परोसने के मुख्यमंत्री के सपने को अधिकारी तोड़ने पर तुले हैं. तीन अक्तूबर, 2012 को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कृषि रोड मैप लांच किया था, लेकिन इसका खर्च औसत भी नहीं है. […]

तो खर्च हो रही राशि और ही योजनाओं में रही तेजी

पटना : हर हिंदुस्तानी की थाली में बिहारी व्यंजन परोसने के मुख्यमंत्री के सपने को अधिकारी तोड़ने पर तुले हैं. तीन अक्तूबर, 2012 को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कृषि रोड मैप लांच किया था, लेकिन इसका खर्च औसत भी नहीं है. योजनाओं की प्रगति के गलत आंकड़े पेश किये जा रहे हैं.

हर माह मुख्य सचिव के स्तर पर होनेवाली समीक्षा बैठक में यह खुलासा हुआ है. सितंबर में हुई समीक्षा में उभर कर आया कि कृषि रोड मैप से जुड़े 12 विभागों को 3452.71 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं. इसमें से मात्र 28 फीसदी ही राशि खर्च हो सकी है. तेजी से काम नहीं हो रहा है. कुछ विभागों के आंकड़े पर मुख्य सचिव अशोक कुमार सिन्हा ने शंका जाहिर की है और विभागीय अधिकारियों को खुद निरीक्षण करने का आदेश दिया है.

जल संसाधन : विभाग को एक लाख 20 हजार 778 हेक्टेयर में अतिरिक्त सिंचाई क्षमता वृद्धि करनी है. अब तक मात्र 24 हजार हेक्टेयर में ही काम हुआ है. छह लाख 18 हजार 924 हेक्टेयर में से मात्र तीन लाख 35 हजार 863 हेक्टेयर में ही सिंचाई क्षमता बहाल हुई है. मुख्य सचिव ने विभाग के आंकड़ों पर शंका जाहिर की और प्रधान सचिव को खुद निरीक्षण करने को कहा है. जलजमाव से मुक्ति के क्ष्य 17,806 हेक्टेयर में मात्र 400 हेक्टेयर में ही काम हुआ है.

लघु जल संसाधन : विभाग को 4.31 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता विकसित करनी है. मात्र 38 हजार हेक्टेयर ही सिंचाई क्षमता सृजित हुई है. खो चुकी सिंचाई क्षमता 27 हजार में से मात्र 6160 हेक्टेयर, नये सामुदायिक नलकूप योजना में 1905 में से मात्र 278 नलकूप और आहरपइन योजना में 28 हजार हेक्टेयर में से 27 हजार हेक्टेयर क्षेत्र की उपलब्धि है.

मुख्य सचिव ने आहरपइन योजना का भौतिक निरीक्षण करने का आदेश विभागीय सचिव को दिया. बिहार शताब्दी नलकूप योजना की प्रगति शून्य है.

पशु एवं मत्स्य संसाधन : साढ़े तीन लाख में से डेढ़ लाख पशुओं का टीकाकरण हुआ. चार लाख परिवार की तुलना में एक को भी जीविकोपाजर्न के लिए बकरी नहीं बांटे गये. जीविका के लिए नौ लाख परिवार में से मात्र दस हजार परिवार के बीच मुर्गी बांटे गये.

50 हैचरी में से मात्र नौ और 1800 हेक्टेयर तालाब का जीर्णोद्धार के लक्ष्य की तुलना में मात्र 26.14 हेक्टेयर पर काम हुआ. सीएस ने डेयरी, बकरी पालन मुरगी पालन के लिए ब्रिडिंग की योजना पर विशेष ध्यान देने को कहा है.

पर्यावरण एवं वन : नये पौधे 428.97 लाख हेक्टेयर में लगाने हैं. इसमें मात्र 228.65 लाख हेक्टेयर में पौधे लगे हैं. नदी तटबंध नहर किनारे 1682 किमी में 383 किमी, कृषि वानिकी में 110.41 लाख के विरुद्ध 48 लाख वृक्ष संरक्षण योजना में 54 हजार हेक्टेयर के विरुद्ध 24 हजार क्षेत्र में पौधे लगाये गये हैं. अन्य योजनाओं में प्रगति शून्य है.

ग्रामीण कार्य : चालू वित्तीय वर्ष 2013-14 में 17080 किमी रोड और 2391 मीटर पुल बनाना है. लगभग तीन हजार किमी रोड 100 मीटर पुल बना है. पुल निर्माण की प्रगति पर मुख्य सचिव ने नाराजगी जाहिर की है.

उद्योग : कोल्ड स्टोर भंडारण क्षमता एक लाख मीटरिक टन में मात्र 67 हजार मीटरिक टन, राइस मिलिंग 22 लाख मीटरिक टन में 1.65 लाख खाद्य प्रसंस्करण में 28 के विरुद्ध 11 की उपलब्धि है. राइस मिलिंग क्षमता में वृद्धि की प्रगति पर सीएस ने नाराजगी जाहिर की है.

राजस्व एवं भूमि सुधार : नालंदा, सारण, भागलपुर, मुंगेर शेखपुरा जिले के सभी 5663 गांवों का हवाई फोटोग्राफी की गयी है. नालंदा के 53 राजस्व गांवों में फिर से हवाई सर्वे हो रहा है. दूसरे चरण में 15594 गांवों के ग्राउंड कंट्रोल प्वाइंट का निर्माण 2033 गांवों की हवाई फोटोग्राफी पूरी की गयी. 2033 गांवों की हवाई फोटोग्राफी से डाटा प्रोसेसिंग का काम चल रहा है.

खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण : विभाग को 8.64 लाख मीटरिक टन गोदाम क्षमता करना है. इसमें से एक लाख 61 हजार मीटरिक टन गोदाम क्षमता विकसित की गयी है. गेहूं की खरीद शून्य है. विभाग ने दलील दी कि बाजार से न्यूनतम समर्थन मूल्य कम होने के कारण लोगों ने गेहूं नहीं दिये.

गन्ना उद्योग : कृषि रोड मैप के तहत चयनित योजनाओं पर काम ही शुरू नहीं हो सका है. गन्ना के साथ दलहन, तेलहन सब्जी की खेती, गन्ना के उत्तम प्रकार या चीनी का रिकवरी प्रतिशत की प्रगति शून्य है. विभाग ने कहा कि अक्तूबर से जब न्‍नों की खेती शुरू होगी तो उपलब्धि मिल सकेगी.

सहकारिता : पैक्स के माध्यम से 4.69 लाख मीटरिक टन भंडारण क्षमता में से मात्र 0.270 लाख मीटरिक टन ही क्षमता बढ़ सकी है. बिहार राज्य भंडारण निगम की ओर से 3.60 लाख मीटरिक टन का लक्ष्य है, जिसकी प्रगति शून्य है.

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