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दावं पर लगी है कई मंत्रियों की प्रतिष्ठा

निर्भय, पटना विधानसभा चुनाव में इस बार वीआइपी प्रत्याशियों की नींद हराम हो गयी है. जिनके इशारे पर हुकूमत चलती थी, चुनावी अखाड़े में उनके मुकाबले खड़े जमीनी कार्यकर्ताओं ने छक्के छुड़ा रखे हैं. विरोधी उनके सरकारी अमला के साथ घूमने की आदत को चुनावी मुद्दा बना लिया है. यह सिर्फ जदयू उम्मीदवारों की बात […]

निर्भय, पटना
विधानसभा चुनाव में इस बार वीआइपी प्रत्याशियों की नींद हराम हो गयी है. जिनके इशारे पर हुकूमत चलती थी, चुनावी अखाड़े में उनके मुकाबले खड़े जमीनी कार्यकर्ताओं ने छक्के छुड़ा रखे हैं. विरोधी उनके सरकारी अमला के साथ घूमने की आदत को चुनावी मुद्दा बना लिया है. यह सिर्फ जदयू उम्मीदवारों की बात नहीं रह गयी है, बल्किएनडीए सरकार में मंत्री रहे भाजपा और जीतन राम मांझी की सरकार में मंत्री रहे वीआइपी उम्मीदवारों को भी यही चिंता सता रही है. सरकार सरकार के कई मंत्रियों के खिलाफ एनडीए ने नये उम्मीदवार उतारे हैं. कमोबेश यही स्थिति एनडीए उम्मीदवारों की भी बन गयी है.
सरकार में दो नंबर की हैसियत रखनेवाले रसूखदार मंत्री विजय कुमार चौधरी के खिलाफ भाजपा ने सामान्य कार्यकर्ता रंजीत निर्ग़ुणी को उम्मीदवार बनाया है. विजय चौधरी कृषि, जल संसाधन और सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के मंत्री हैं. सत्ता के गलियारे में चौधरी की गिनती मुख्यमंत्री के बाद सेकेंड मैन की रूप में होती है. चौधरी का राजनीति से पुराना नाता रहा है. इनके पिता कांग्रेस के जमाने में विधायक हुआ करते थे. दूसरी ओर उनके मुकाबले खड़ा रंजीत का संबंध किसान परिवार से है. दिल्ली विवि से शिक्षा हासिल करने वाले रंजीत अपने को जमीन का आदमी बता रहे हैं.
जीतन राम मांझी राज्य के सीएम रहे हैं. हाल ही में केंद्र सरकार ने उन्हें जेड प्लस की सुरक्षा मुहैया करायी है. इसके कारण वोटरों के दरवाजे तक पहुंचने के समय भी वह सुरक्षा के कड़े घेरे में होंगे. मखदुमपुर(सु) सीट पर महागंठबंधन ने मांझी के मुकाबले साधारण परिवार से आये सूबेदार दास को उम्मीदवार बनाया है. यह सीट महागंठबंधन में राजद को मिली है.
सूबेदार दास जिला पर्षद के सदस्य रहे हैं. मांझी व सूबेदार की राजनीतिक हैसियत में जमीन-आसमान काअंतर है. यहां दूसरे चरण में 16 अक्तूबर को मतदान होना है. 2010 के चुनाव में जब जदयू और राजद एक दूसरे के खिलाफ चुनाव मैदान में थे, उस समय भी मांझी को महज पांच हजार मतों से जीत हुई थी.
श्रवण कुमार की गिनती सरकार में रसूखवाले मंत्रियों में होती है. वह अभी ग्रामीण विकास, ग्रामीण कार्य विभाग के मंत्री हैं. 1995 से लगातार विधायक निर्वाचित होते आये हैं.
कई सालों से सदन में मुख्य सचेतक की भूमिका निभानेवाले श्रवण कुमार के मुकाबले एनडीए ने सामान्य कार्यकर्ता कौशलेंद्र कुमार को अपना प्रत्याशी घोषित किया है. पहली बार विधानसभा चुनाव के प्रत्याशी बने कौशलेंद्र इसके पहले मुखिया रह चुके हैं. लघु सिंचाई मंत्री मनोज कुशवाहा के मुकाबले कुढ़नी विधनसभा क्षेत्र में मझौली खेतर पंचायत के मुखिया केदार गुप्ता को प्रत्याशी घोषित किया गया है. इधर, मनोज कुशवाहा को लंबा राजनीतिक अनुभव रहा है, जबकि केदार गुप्ता ग्राम पंचायत चुनाव से ऊपर पहली बार किस्मत आजमा रहे हैं.
10 मंत्री ऐसे हैं, जिनके खिलाफ अभी उम्मीदवार तय नहीं हो पाये हैं. इनमें रंजू गीता, विजेंद्र प्रसाद यादव, नौशाद आलम, दुलाल चंद गोस्वामी, नरेंद्र नारायण यादव और मंत्री रमई राम के नाम हैं. इसी प्रकार शेरघाटी विधानसभा क्षेत्र से मंत्री विनोद प्रसाद यादव के मुकाबले जीतन राम मांझी की पार्टी से मुकेश कुमार को प्रत्याशी घोषित किया गया है.
मंत्री श्याम रजक को सामान्य कार्यकर्ता की हैसियत रखनेवाला राजेश्वर मांझी, सुरसंड सीट पर पूर्व मंत्री शाहिद अली खान के मुकाबले सैयद अबू दोजना, झंझारपुर की सीट पर पूर्व मंत्री नीतीश मिश्र के खिलाफ में राजद के गुलाब यादव को उतारा है. इसी तरह भाजपा के संभावना वाले उम्मीदवार नंदकिशोर यादव के मुकाबले राजद ने संतोष मेहता को उम्मीदवार घोषित किया है.

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