साहित्यकार फणीश्वर नाथ रेणु 1972 के विधानसभा चुनाव में फारबिसगंज सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में खड़े हुए थे. लेकिन, वह बुरी तरह पराजित हुए. दिलचस्प बात यह थी कि इस सीट से जो चार प्रमुख प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे, वे आपस में दोस्त थे. समाजवादियों की ओर से लखन लाल कपूर, कांग्रेस से सरयुग मिश्र और एक और निर्दलीय हर्षवर्धन खड़े थे. राष्ट्रकवि दिनकर ने रेणु जी के पक्ष में अपील भी जारी की थी. लेकिन, रेणु जी को सिर्फ 6498 वोट मिले.
कांग्रेस के सरयुग मिश्र ने उन्हें पराजित कर दिया. समाजवादी खेमे और अपने इलाके की जनता से सहयोग नहीं मिलने से रेणु जी काफी दुखी हो गये थे. हालांकि 2010 के विधानसभा चुनाव में उनके पुत्र पद्म पराग वेणु को भाजपा ने टिकट दिया और वे 26824 मतों से जीते. उन्हें 70436 वोट मिले थे. रेणु जी की हार से राजनीति में स्वच्छ व ईमानदार छवि तथा बदलाव की सोच वाले लोगों को धक्का लगा.
यदि रेणु जी जीते होते, तो राजनीति पर कुछ तो अच्छी छाप छोड़ते.