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सही मायने में थे भारतरत्न : नीतीश कुमार
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दी पूर्व राष्ट्रपति को श्रद्धांजलि, कहा पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्व राष्ट्रपति डा एपीजे अब्दुल कलाम को श्रद्घांजलि देते हुए कहा कि वे सिर्फ देश के राष्ट्रपति ही नहीं बल्कि बहुत बड़े मार्गदर्शक एवं महान वैज्ञानिक थे. डा कलाम के पास देश के विकास का एक विजन था. युवा […]
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दी पूर्व राष्ट्रपति को श्रद्धांजलि, कहा
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्व राष्ट्रपति डा एपीजे अब्दुल कलाम को श्रद्घांजलि देते हुए कहा कि वे सिर्फ देश के राष्ट्रपति ही नहीं बल्कि बहुत बड़े मार्गदर्शक एवं महान वैज्ञानिक थे. डा कलाम के पास देश के विकास का एक विजन था.
युवा पीढ़ी को वे सबसे ज्यादा आकृष्ट करते थे. युवाओं के बीच जब वे अपनी बात रखते थे तो बहुत अधिक प्रभावित करते थे. उन्होंने कहा कि मेरी अपनी समझ है कि इस दौर में उन्होंने युवा पीढ़ी को सबसे अधिक प्रभावित किया है.
वे राष्ट्रपति बने और राष्ट्रपति के रूप में देश की सेवा की. एक वैज्ञानिक के रूप में भी जो उन्होंने काम किया और उसी के आधार पर भारत रत्न भी बने. वे सही मायने में भारत रत्न थे. हमारा तो उनसे बहुत ज्यादा लगाव था. मेरे निमंत्रण पर जब वे राष्ट्रपति थे तो राष्ट्रपति के रूप में बिहार आये. वे 2006 में बिहार आये और बिहार विधानमंडल के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित किया. बिहार के विकास के बारे में उन्होंने सुझाव दिया. मुङो आज भी याद है कि वे बिहार के विकास के लिए 10 सूत्री सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि बिहार का पुराना गौरवमयी इतिहास है, इसकी अपनी विरासत है, यह शिक्षा का बहुत बड़ा केंद्र रहा है.
उन्होंने यह सुझाव दिया कि नालंदा विश्वविद्यालय को पुनर्जीवित किया जाना चाहिए. इसके बाद हमलोगों ने इस काम को आगे बढ़ाया और खुशी है कि नालंदा विश्वविद्यालय मूर्त रूप ले रहा है. बिहार का विकास किस प्रकार होना चाहिए, इस विषय पर उन्होंने यह मार्गनिर्देश दिया कि हमारी यहां जो विविधतायें है, उसका सम्मान करते हुए किस तरह से समावेशी विकास हो सकता है. इससे गांव में भी शहर जैसी सुविधा मिल सकती है. जब वे राष्ट्रपति नहीं थे तब भी मेरे अनुरोध पर नालंदा आये.
नालंदा विश्वविद्यालय के विजिटर के रूप में भी काम किया. हम लोगों ने कानून बनाया, केंद्र का भी कानून बना. बहुत आग्रह के बाद भी उन्होंने विजीटर के रूप में रहना स्वीकार नहीं किया. कहा राष्ट्रपति को ही इसमें रहना चाहिए. उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि नालंदा विश्वविद्यालय को जब भी हमारी जरूरत होगी, हम आयेंगे. नये भारत के निर्माण एवं विकास के लिए कलाम साहब का जो सोच थी, उसका बहुत बड़ा प्रभाव लोगों के उपर था. राष्ट्रपति रहते हुए भी वे इतने लोकप्रिय थे.
वे पोपुलर प्रेसिडेंट थे. लगता था कि वे जनता के राष्ट्रपति थे. इस उम्र में भी शिक्षण कार्यों में सक्रिय दिलचस्पी रखते थे. उनका सबसे प्रिय विषय था छात्रों एवं युवाओं के बीच बोलना. वे शिलांग में बोल ही रहे थे कि एकाएक हमारे बीच से वे चले गये. इस प्रकार की मृत्यु विरले को ही प्राप्त होती है. सचमुच में वे महान व्यक्ति थे. सही मायने में भारत रत्न थे. वे जीवन पर्यंत शिक्षक की भूमिका में रहे. उन्होंने कहा था कि जब भी जरूरत होगी वे नालंदा विश्वविद्यालय में पढ़ाने के लिए आयेंगे.
स्वप्नद्रष्टा और एक महान शिक्षक : वशिष्ठ
पटना. जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति डा कलाम ने बिहार सरकार को नालंदा विवि को पुन: शुरू करने का प्रस्ताव दिया था. उन्होंने कहा कि मिसाइल मैन के नाम से मशहूर पूर्व राष्ट्रपति आज के विकासशील भारत के स्वप्नद्रष्टा और एक महान शिक्षक थे. अपने विज़न-2020 से पूर्व राष्ट्रपति ने पूरे देश को ऊंचे सपने देखने और उसे पूरा करने के लिए पूरी कर्मठता से क्रि याशील होने की प्रेरणा दी. 28 मार्च, 2006 को बिहार विधानमंडल के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए तत्कालीन राष्ट्रपति डा कलाम ने ही नालंदा विश्वविद्यालय को पुन: शुरू करने का प्रस्ताव किया था.
कलाम को थी बिहार की विशेष चिंता : चौधरी
सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के निधन से देश को अपूरणीय क्षति हुई है. अपने शोक संदेश में उन्होंने कहा कि कलाम साहब को बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की बड़ी चिंता थी. उन्होंने विकास की राजनीति करने की प्रेरणा दी थी. उन्होंने कहा कि डॉ कलाम का बिहार से गहरा लगाव था. वे एक वैज्ञानिक के रूप में विश्वविख्यात थे.
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