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लोकतंत्र का स्वास्थ्य कमजोर हुआ है : प्रो एनके चौधरी

‘देश की राजनीति और लोकतंत्र का स्वास्थ्य’ विषय पर विचार गोष्ठी संवाददाता, पटना देश की राजनीति पर आर्थिक रूप से सबल लोगों का वर्चस्व स्थापित हो गया है. भारत गणराज्य को पूरी तरह से कॉरपोरेट ने हाइजैक कर लिया है. चुनाव पर धर्म का प्रभाव पड़ गया है. मतदान धर्म से प्रभावित हो रहा है. […]

‘देश की राजनीति और लोकतंत्र का स्वास्थ्य’ विषय पर विचार गोष्ठी संवाददाता, पटना देश की राजनीति पर आर्थिक रूप से सबल लोगों का वर्चस्व स्थापित हो गया है. भारत गणराज्य को पूरी तरह से कॉरपोरेट ने हाइजैक कर लिया है. चुनाव पर धर्म का प्रभाव पड़ गया है. मतदान धर्म से प्रभावित हो रहा है. कार्यकारिणी भ्रष्ट हो गयी है. न्यायपालिका पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं. मीडिया पर कॉरपोरेट का प्रभाव पड़ रहा है. ऐसी स्थिति में लोकतंत्र का स्वास्थ्य कमजोर हुआ है. ये बातें अर्थशास्त्री व पीयू में समाजशास्त्र के पूर्व डीन प्रो एनके चौधरी ने बातें कहीं. प्रो चौधरी ‘देश की राजनीति और लोकतंत्र का स्वास्थ्य’ विषय पर विचार गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतंत्र व संसदीय प्रक्रिया जिन पार्टियों पर आधारित है, आज वही पार्टियां स्वतंत्र नहीं हैं. अधिनायकवाद वहां हावी हो गया है. गोष्ठी में उद्घाटनकर्ता विवि सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रो शशिशेखर तिवारी ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र व्यक्ति की गरिमा और क्षमता के विकास समान अवसर देता है. लोकतंत्र अच्छी के लिए सबको सहयोग करना चाहिए. मुख्य अतिथि राज्य के पूर्व लोकायुक्त न्यायमूर्ति नर्मदेश्वर पांडेय ने कहा कि लोकतंत्र अच्छी व्यवस्था है, उसे मजबूत किया जाना चाहिए. कार्यक्रम का आयोजन डॉ शांति ओझा के 78वें जन्मदिन पर किया गया था. इस मौके पर वे स्वयं भी मौजूद थीं. कार्यक्रम में डॉ त्रियुगी प्रसाद, डॉ अनिल सुलभ ने भी अपने विचार रखे. कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्यकार बलभद्र कल्याण ने की. मौके पर नृपेंद्रनाथ गुप्त, प्रो केदारनाथ सिंह, डॉ शिववंश पांडेय आदि लोग मौजूद थे.

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