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उफनती कोसी के खतरे को लेकर सरकार सतर्क नहीं : नंदकिशोर

पटना : शनिवार को विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता नंद किशोर यादव ने उफनती कोसी के खतरों को ले कर सरकार पर लापरवाह बने रहे का आरोप लगाया है. कोसी के बढ़ते जल स्तर से पूर्वी तटबंध के टूटने का खतरा बना है. सहरसा और आस-पास के इलाके के लोग सहमे हैं. उन्होंने कहा है […]

पटना : शनिवार को विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता नंद किशोर यादव ने उफनती कोसी के खतरों को ले कर सरकार पर लापरवाह बने रहे का आरोप लगाया है. कोसी के बढ़ते जल स्तर से पूर्वी तटबंध के टूटने का खतरा बना है. सहरसा और आस-पास के इलाके के लोग सहमे हैं. उन्होंने कहा है कि एक तरफ सहरसा के डीएम कह रहे हैं कि प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद है.
संभावित बाढ़ से निबटने के लिए राहत और बचाव कार्य की रुप-रेखा तैयार है, किंतु स्थानीय लोग बता रहे हैं कि तैयारी आधी-अधूरी है. नवहट्टा में विभिन्न घाटों पर सिर्फ 34 और महिषी में 18 सरकारी नावें ही मुहैया करायी गयी हैं. जो नावें मुहैया करायी गयी हैं, उनमें कई काम के लायक नहीं हैं. बाढ़ के हालात में प्रभावितों को आश्रय के लिए बनाये गये केंद्रों पर भी समुचित व्यवस्था का अभाव है. यहां कम-से-कम पेयजल, राशन, रोशनी व महिला शौचालय की व्यवस्था तो होनी चाहिए.
महिषी के रकठी, आगर और घमसैनी जैसे गांवों के लिए नजदीक में कोई बाढ़ प्रभावित आश्रय केंद्र अभी तक नहीं बनाये गये हैं. पूर्वी कोसी तटबंध के भीतर उटसेरा पंचायत के लोग कटाव को ले कर पहले से ही विस्थापितों जैसा जीवन बसर कर रहे हैं. कमराडीह टोला तो कोसी में विलीन होने के कगार पर है.
यहां ज्यादर घर ध्वस्त हो चुके हैं. लोग खुले में रहने को विवश हैं. तीन दिन पहले ही लोगों ने राहत और पुनर्वास को ले कर सहरसा के एसडीओ को ज्ञापन सौंपा है, किंतु अब-तक उन्हें कोई राहत नहीं मिली है.
नंद किशोर यादव ने कहा है कि आपदा से निबटने में किसी तरह की राजनीति नहीं होनी चाहिए. सरकार और प्रशासन को कोसी क्षेत्र के लोगों की मुश्किलें सुलझाने के लिए तत्पर रहने की जरूरत है. हाल के दिनों में बिहार ने भूकंप और तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं में जानमाल का नुकसान ङोला है. ऐसे में किसी आपदा को ले कर सरकार को सतर्क रहने की जरूरत है.

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