संवाददाता, पटना विधान परिषद चुनाव में जहां रीतलाल यादव जेल में रह कर चुनाव जीतने में सफल हुए, वहीं नालंदा से चर्चित रंजीत डॉन को मुंह की खानी पड़ी. विधान परिषद चुनाव के नतीजों ने अलग-अलग संके त दिये हैं. सिर्फ राजनीतिक रूप से संपन्न और धन-बल के इस्तेमाल में महारत प्रत्याशी ही सफल नहीं होते, बल्कि चुनावी गणित में भी पारंगत होना जरूरी है. रीतलाल यादव को पहले राजद से समर्थन मिलने की उम्मीद जतायी जा रही थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. चर्चा यह भी चली कि उन्हें भाजपा समर्थन दे सकती है, लेकिन भाजपा ने भी उनसे पल्ला झाड़ लिया. भाजपा ने तो अपने प्रत्याशी भोला सिंह के समर्थन में पटना में बड़ी सभा भी की, जिसमें पार्टी के ही बड़े नेता नहीं, बल्कि केंद्रीय मंत्री और लोजपा अध्यक्ष रामविलास पासवान ने भी उन्हें जिताने की अपील की थी. राजद-जदयू-भाजपा-लोजपा और कांग्रेस के विरोध की तमाम कोशिशें धरी-की-धरी रह गयीं और जेल में रह कर रीतलाल यादव विजयश्री की माला पहनने में कामयाब हो गये. उधर नालंदा से रंजीत डॉन की जीत के कयास एक माह से लगाये जा रहे थे. हर कोई मान रहा था कि उन्हें धन-बल के इस्तेमाल में महारत हासिल है, इसलिए उनकी जीत की संभावना ज्यादा है. लेकिन, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले की इस सीट से आखिरकार जदयू को सफलता मिली. जदयू उम्मीदवार रीना यादव रंजीत डॉन को हराने में सफल रहीं. पिछले चुनाव में रीना के पति राजू यादव ने लोजपा के उम्मीदवार के तौर पर इस सीट से चुनाव जीता था, पर बाद में जदयू में शामिल हो गये थे.
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जेल में बंद रीतलाल जीते, रंजीत डॉन को मिली हार
संवाददाता, पटना विधान परिषद चुनाव में जहां रीतलाल यादव जेल में रह कर चुनाव जीतने में सफल हुए, वहीं नालंदा से चर्चित रंजीत डॉन को मुंह की खानी पड़ी. विधान परिषद चुनाव के नतीजों ने अलग-अलग संके त दिये हैं. सिर्फ राजनीतिक रूप से संपन्न और धन-बल के इस्तेमाल में महारत प्रत्याशी ही सफल नहीं […]
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