जेई नियुक्ति के लिए परीक्षा आयोजित करने से लेकर रिजल्ट जारी करने तक हुए फर्जीवाड़े से सरकार पर कई गंभीर सवाल खड़ा हो गया है. मोदी ने कहा कि सरकार को यह बताना चाहिए कि जब 6017 अभ्यर्थियों के लिए परीक्षा आयोजित की गयी तो 13210 ओएमआर शीट क्यों नहीं जारिया किया गया. परीक्षा केंद्र पर दो घंटे पहले ओएमआर शीट देने के नियम है, लेकिन इस नियम को दरकिनार कर दो दिन पहले क्यों दे दिया गया. परीक्षा होने के बाद 7193 ओएमआर शीट का कोई लेखा-जोखा सरकार के पास क्यों नहीं है.
परीक्षा विवरण से संबंधित पुरानी सीडी को किसके आदेश पर नष्ट किया गया. अभ्यर्थियों के हस्ताक्षर में गद्यांश नहीं लिखे होने तथा हिंदी और अंगरेजी में हस्ताक्षर नहीं होने के बावजूद ओएमआर शीट की जांच कैसे हो गयी. मोदी ने कहा कि पांच जनवरी, 2012 को जारी रिजल्ट में ओएमआर शीट में हेराफेरी कर 22 ऐसे अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया था, जिन्हें जीरो या निगेटिव अंक मिले थे. इसका खुलासा पटना हाईकोर्ट के 17 अप्रैल 2013 के आदेश के बाद हुए पुनमरूल्यांकन में हुआ, जिसमें 26 ऐसे अभ्यर्थी सफल घोषित किये गये, जिन्हें पहले फेल कर दिया गया था. इससे संबंधित आरोपपत्र कर्मचारी चयन आयोग द्वारा सीएम के संज्ञान के लिए सामान्य प्रशासन विभाग को पांच बार भेजा गया, पर न तो कोई कार्रवाई हुई और न ही विसंगतियां दूर हुई.