बरखास्तगी खत्म, दो महीने में चलेगी विभागीय कार्रवाई, दोष सिद्ब नहीं हुआ तो होंगे निर्दोष साबितपेंशन और जीविकोपार्जन के लायक मिलेगी राशिविधि संवाददाता.पटना नेपाल के एक होटल में रंगरेलिया मनाने के आरोप में सरकारी सेवा से बरखास्त तीन जजों को मंगलवार को बड़ी राहत मिली, जब पटना हाइकोर्ट ने उनकी बरखास्तगी के आदेश को खारिज कर दिया. मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेडी और न्यायाधीश सुधीर सिंह के दो सदस्यीय खंडपीठ ने आरा के सब जज जेएन सिंह, मुजफ्फरपुर के फैमिली कोर्ट के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश हरि नारायण गुप्ता और नवादा के सब जज कोमल राम के बरखातगी आदेश को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि तीनों के खिलाफ बिना उनका पक्ष जाने उनकी नौकरी खत्म करने का एकतरफा आदेश दिया गया था. पूर्व मुख्य न्यायाधीश रेखा एम दोशित के कार्यकाल में पटना हाइकोर्ट के पूर्ण पीठ ने 14 फरवरी, 2014 को इन तीनों जजों की सेवा समाप्त करने का आदेश दिया था. मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेड्डी की अध्यक्षतावाले खंडपीठ ने हाइकोर्ट प्रशासन को आदेश दिया कि वह तीनों जजों के खिलाफ दो महीने के भीतर विभागीय कार्यवाही पूरी करे. यदि उन पर दोष साबित हुआ, तो कार्रवाई की जायेगी और दोष साबित नहीं हुआ, तो उन पर लगे सभी आरोप वापस ले लिये जायेंगे. खंडपीठ ने तीनों जजों को पेंशन और जीविकोपार्जन भत्ता भी देने का आदेश दिया. तत्कालीन पीठ ने तीनों जजों को बरखास्त करने के साथ ही उन्हें पेंशन और जीविका के लिए देय न्यूनतम भत्ता देने से भी मना कर दिया था. तीन जजों में मुजफ्फरपुर फैमिली कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश हरिनिवास गुप्ता रिटायर हो गये हैं, जबकि आरा के एडीजे की सेवाकाल आजकल में समाप्त होनेवाली है.
बरखास्त तीन जजों को राहत
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