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10वीं बोर्ड देने के बाद 11वीं में करवाना पड़ता है फिर से नामांकन, वसूलते हैं चार्ज

पटना: क्लास वन से टू में जाने की बात हो या क्लास थ्री से क्लास फोर में जाना हो, बिना रि-एडमिशन के दूसरे क्लास में पढ़ने की अनुमति स्टूडेंट्स को नहीं होती है. एक से दूसरे क्लास में जाने के लिए बिना फीस दिये काम नहीं चलता है. कहीं पर रि-एडमिशन, तो कहीं डेवलपमेंट के […]

पटना: क्लास वन से टू में जाने की बात हो या क्लास थ्री से क्लास फोर में जाना हो, बिना रि-एडमिशन के दूसरे क्लास में पढ़ने की अनुमति स्टूडेंट्स को नहीं होती है. एक से दूसरे क्लास में जाने के लिए बिना फीस दिये काम नहीं चलता है. कहीं पर रि-एडमिशन, तो कहीं डेवलपमेंट के नाम पर मोटी रकम स्कूल वाले वसूलते हैं.

कई ऐसे भी स्कूल है, जहां पर रि-एडमिशन और डेवलपमेंट के नाम पर भी पैसे लिये जाते हैं. कहा जाये तो पटना के अधिकांश स्कूलों में रि-एडमिशन का खेल चलता है. इसके नाम पर स्कूल वाले जहां मोटी रकम लेते हैं, वहीं तीन और छह माह पर डेवलपमेंट के नाम पर भी अच्छा-खासा पैसा ले लेते हैं. यही नहीं, हर क्लास में रि-एडमिशन चार्ज बढ़ता जाता है, साथ ही हर साल रि-एडमिशन के चार्ज भी बढ़ाये जाते हैं.

कई स्कूलों में रि-एडमिशन के नाम पर नर्सरी, प्राइमरी और सीनियर क्लास का ख्याल रखा जाता है. नर्सरी में तीन साल पढ़ाई करने के बाद जब बच्चे प्राइमरी क्लास में जाते हैं, तो रि-एडमिशन करवाना पड़ता है. वहीं प्राइमरी के बाद आगे के क्लास में जाने पर भी रि-एडमिशन लेना होता है. लोयला हाइस्कूल से मिली जानकारी के अनुसार नर्सरी में दो साल की पढ़ाई होती है. नर्सरी के बाद जब स्टूडेंट्स प्राइमरी क्लास में जाते हैं, तो उन्हें रि-एडमिशन करवाना होता है. ऐसा ही हाल सेंट माइकल हाइस्कूल और नॉट्रेडम एकेडमी में भी है.
यह है सीबीएसइ का नियम
सीबीएसइ के नियमानुसार कोई भी सीबीएसइ स्कूल एक बार ही किसी बच्चे से नामांकन फीस ले सकता है. जब कोई छात्र किसी स्कूल में पहली बार नामांकन लेता है, तो उससे नामांकन शुल्क लिया जायेगा, लेकिन उससे फिर आगे के क्लास में जाने पर स्कूल दोबारा नामांकन शुल्क नहीं लेगा. लेकिन पटना में ऐसा नहीं है. अप्रैल में नया सेशन शुरू होने के पहले स्टूडेंट्स को दूसरे क्लास में नामांकन की प्रक्रिया पूरी करनी पड़ती है. सीबीएसइ के अनुसार अगर कोई स्टूडेंट्स किसी क्लास में एक बार नामांकन ले लेता है, तो उसका दूसरे क्लास में खुद की नामांकन हो जायेगा. स्टूडेंट्स से स्कूल किसी दूसरे क्लास में जाने के लिए किसी तरह का चार्ज नहीं लेगा.
10वीं में पास करने और 11वीं में नामांकन लेने में भी देना होता है चार्ज
अधिकांश स्कूलों में 10वीं बोर्ड पास करने के बाद अगर स्टूडेंट्स उसी स्कूल में रहना चाहते हैं, तो उन्हें दुबारा स्कूल द्वारा लिये जानेवाले एंट्रेंस टेस्ट में शामिल होना होता है. इसमें पास करने के बाद फिर 11वीं में नामांकन के लिए स्टूडेंट्स 60 से 80 हजार रुपये देने होते हैं. यह हाल कोई एक स्कूल का नहीं, बल्कि पटना के अधिकांश स्कूलों में 11वीं में नामांकन की यही प्रक्रिया अपनायी जाती है. कोई भी स्टूडेंट 10वीं बोर्ड देने के बाद उसी स्कूल में नामांकन लेना चाहता है, तो उसे दुबारा टेस्ट देकर मोटी रकम देने के बाद ही नामांकन मिलता है.
डेवलपमेंट के नाम पर भी लेते हैं पैसे
कई स्कूल रि-एडमिशन के नाम पर सीधे तौर पर पैसे की वसूली नहीं करते हैं. उन्हें डर होता है कि कहीं सीबीएसइ की पकड़ में न आ जायें. ऐसे में स्कूल अभिभावकों से डेवलपमेंट के नाम पर एनुअल चार्ज लेता है. इस दौरान स्कूल यह कहता है कि रि-एडमिशन के नाम पर कोई चार्ज नहीं लिया जाता है. बस डेवलपमेंट के नाम पर चार्ज लिया जाता है, लेकिन इसके नाम पर भी वैसे स्कूल मोटी रकम वसूलते हैं.
अभिभावकों से बातचीत
क्लास वन में मेरे बेटे के नामांकन में 50 हजार रुपये लगे थे. क्लास टू में गया तो फिर रि-एडमिशन में 20 हजार रुपये देने पड़े. स्कूल से बताया गया कि बिना रि-एडमिशन के किसी भी दूसरे क्लास में बच्चे का ट्रांसफर नहीं हो सकता है. ऐसे में हमें हर साल मार्च में यह पैसे स्कूल को देना होता है.
प्रज्ञा राय, अभिभावक
रि-एडमिशन के नाम पर हर साल 10 हजार रुपये स्कूल को देते हैं. कई बार सोचा दूसरे स्कूल में नामांकन करवा लें. लेकिन हर स्कूल का यही हाल है. कहीं डेवलपमेंट, तो कहीं रि-एडमिशन के नाम पर मोटी रकम स्कूल वाले वसूलते हैं.
मृत्युंजय कुमार, अभिभावक
कई स्कूल में रि-एडमिशन के नाम पर मोटी रकम ली जाती है. अभिभावक शिकायत करते हैं, तो बच्चे को स्कूल से निकाल दिया जाता है. इस साल भी रि-एडमिशन के नाम पर कई स्कूल मोटी रकम लिये हैं.
नीरज कुमार, अध्यक्ष, छात्र अभिभावक संघर्ष मोरचा

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