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अतिक्रमण करने वाले हैं बड़े जिद्दी

पटना: अतिक्रमणकारियों पर निगम के डंडे का भी कोई असर नहीं हो रहा है. अब ऐसा लग रहा है कि निगम चाहे लाख कोशिश कर ले ये हटनेवाले नहीं. जब भी निगम के अमले ने इन्हें हटाया उसके दूसरे दिन ये फिर वहीं जम गये. कहीं अतिक्रमणकारियों ने फुटपाथ पर चाय की दुकान सजा रखी […]

पटना: अतिक्रमणकारियों पर निगम के डंडे का भी कोई असर नहीं हो रहा है. अब ऐसा लग रहा है कि निगम चाहे लाख कोशिश कर ले ये हटनेवाले नहीं. जब भी निगम के अमले ने इन्हें हटाया उसके दूसरे दिन ये फिर वहीं जम गये. कहीं अतिक्रमणकारियों ने फुटपाथ पर चाय की दुकान सजा रखी है, तो कही झोंपड़ी बना कर निवास भी कर रहे हैं. अगस्त में छह दिनों तक नगर निगम ने जिला नियंत्रण कक्ष और पुलिस बल के साथ मिल कर अभियान चलाया और न्यू सचिवालय, पुराना सचिवालय और इको पार्क के आस-पास चल रहे फुटपाथी दुकानों को हटाया. अतिक्रमण हटाने के लिए कुछ ही घंटे बाद एक-एक कर दुकानें सजनीं शुरू हो गयीं.

नहीं हट सकीं दुकानें
सचिवालय थाना से लेकर न्यू सचिवालय के बीच करीब एक सौ से अधिक फुटपाथी दुकानें अब भी चल रही हैं. बेडशीट बेचनेवाले, चाय दुकानदार, फुटपाथी होटल, पान दुकान, फल विक्रेता, आइसक्रीम, छोले-भटूरे आदि कई तरह की दुकानें खुली हैं. इन दुकानों को पुरी तरह हटा दिया गया था. इसके बावजूद ये दुकानें यहां फिर शुरू हो गयीं.

जब्त किया था सामान
अतिक्रमण हटाओ अभियान के दौरान जिन दुकानदारों ने हिदायत के बाद भी वहां से दुकान नहीं हटाया था, उसके समान को जब्त किया गया था. चाय दुकान में बने चूल्हे को तोड़ा गया था और ठेला, टेंट जब्त किया गया था. फुटपाथों पर बनी झोंपड़ी को उखाड़ कर उसके सामान को जब्त किया गया था.

थाने की है जिम्मेवारी
अतिक्रमण हटाये जाने के बाद भी अगर वहां अतिक्रमण लगता है, तो इसे रोकने की जिम्मेवारी संबंधित थाने की है. हाइकोर्ट ने कई साल पहले यह आदेश दिया था. इसका असर थाना प्रभारी पर नहीं हुआ है. पुलिस इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं कर रही है.

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