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नौकरी के नाम पर ठगी, दो गिरफ्तार

पटना: नौकरी देने का दावा करनेवाले एक गिरोह का जक्कनपुर पुलिस ने शनिवार को भंडाफोड़ किया है. पुलिस ने चिरैयाटांड़ के मारुति नगर में किराये के मकान में काफी दिनों से चल रहे बाल विकास कंप्यूटर शिक्षा योजना संस्था के कार्यालय में छापेमारी की और मौके से दो कर्मचारियों संतोष कुमार शर्मा (सिपारा) व मो […]

पटना: नौकरी देने का दावा करनेवाले एक गिरोह का जक्कनपुर पुलिस ने शनिवार को भंडाफोड़ किया है. पुलिस ने चिरैयाटांड़ के मारुति नगर में किराये के मकान में काफी दिनों से चल रहे बाल विकास कंप्यूटर शिक्षा योजना संस्था के कार्यालय में छापेमारी की और मौके से दो कर्मचारियों संतोष कुमार शर्मा (सिपारा) व मो अख्तर (खगड़िया) को पकड़ लिया. हालांकि, निदेशक मनोरंजन कुमार फरार होने में सफल रहा. कार्यालय से पुलिस ने काफी मात्र में आवेदन फार्म, एडमिट कार्ड, नियुक्ति पत्र, कंप्यूटर आदि बरामद किये हैं. पुलिस के अनुसार ये लोग कई बेरोजगार युवकों से अब तक लाखों की ठगी कर चुके हैं. सिटी एसपी जयंत कांत ने बताया कि यह गिरोह नौकरी देने के नाम युवकों से पैसे वसूल रहा था. निदेशक की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है. सचिवालय में भी इनके लिंक की जानकारी मिली है, जिसका सत्यापन किया जा रहा है.

ऐसे हो रहा था गोरखधंधा
बाल विकास कंप्यूटर शिक्षा योजना द्वारा इसी साल जनवरी में सरकारी स्कूल में कंप्यूटर ट्रेनर, ब्लॉक को-ऑर्डिनेटर एवं डिस्ट्रिक को-ऑर्डिनेटर के 200 पदों पर नियुक्ति के लिए आवेदन निकाला गया था. इसमें ट्रेनर का वेतनमान चार हजार, ब्लॉक को-ऑर्डिनेटर का छह हजार एवं डिस्ट्रिक को-ऑर्डिनेटर का 10 हजार रुपये प्रतिमाह बताया गया था. आवेदन के दौरान बाल विकास कंप्यूटर शिक्षा योजना के नाम से तीन सौ रुपये का बैंक ड्राफ्ट मांगा गया था.

आवेदन आने के बाद उन सभी अभ्यर्थियों को एडमिट कार्ड भेजा गया और मार्च में पटना में परीक्षा भी ली गयी. परीक्षा का नतीजा निकाला और कई युवकों को लिखित परीक्षा में सफल घोषित कर बाल विकास कंप्यूटर शिक्षा योजना के कार्यालय में शनिवार को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया. इस बीच कुछ युवक साक्षात्कार के लिए चिरैयाटांड़ स्थित मारुति नगर स्थित कार्यालय में पहुंचे.

मांग रहे थे 40-80 हजार
कर्मचारियों ने अभ्यर्थियों से साक्षात्कार में पास कराने के लिए पैसों की मांग की थी. इसमें ट्रेनर के लिए 40 हजार, ब्लॉक को-ऑर्डिनेटर के लिए 60 हजार व डिस्ट्रिक को-ऑर्डिनेटर के लिए 80 हजार रुपये की मांग की गयी थी. कई अभ्यर्थियों ने पैसे देकर नियुक्ति पत्र भी ले लिये. इस बीच पालीगंज के मंतोष कुमार को शक हुआ और उसने पटना के कई शिक्षा अधिकारियों को फोन कर इस तरह की नियुक्ति के संबंध में जानने का प्रयास किया. सभी अधिकारियों ने वैकेंसी से इनकार कर दिया. इसके बाद मंतोष ने घटना की जानकारी जक्कनपुर पुलिस को दे दी और पुलिस टीम ने छापेमारी कर दो कर्मियों को गिरफ्तार कर लिया.

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