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पर्यटन निगम के होटल खस्ता, मुंह मोड़ रहे विदेशी

पटना: बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम के नियंत्रण में चलनेवाले होटलों का हाल खस्ता है. सबसे बदतर हालत बोधगया, मुजफ्फरपुर, पटना और राजगीर के होटलों की है. इसके कारण विदेशी पर्यटक बिहार आने से कतराने लगे हैं. सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2013-14 में बिहार आनेवाले विदेशी पर्यटकों की संख्या में चार लाख 27 […]

पटना: बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम के नियंत्रण में चलनेवाले होटलों का हाल खस्ता है. सबसे बदतर हालत बोधगया, मुजफ्फरपुर, पटना और राजगीर के होटलों की है. इसके कारण विदेशी पर्यटक बिहार आने से कतराने लगे हैं. सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2013-14 में बिहार आनेवाले विदेशी पर्यटकों की संख्या में चार लाख 27 हजार की कमी आयी है. इससे न केवल राज्य को आर्थिक नुकसान हो रहा है, बल्कि राज्य की जगहंसाई भी हो रही है.
पर्यटन निगम ने तीन होटलों क्रमश : होटल विश्वमित्र, बक्सर, होटल शेरशाह, सासाराम व होटल कोसी बिहार, सहरसा को अपने प्रबंधन क्षेत्र से बाहर किया है. पर्यटन निगम के प्रबंधन में चल रहे होटलों में सर्वाधिक बदतर स्थिति बोधगया, मुजफ्फरपुर, पटना और राजगीर के होटलों की है. लेखा परीक्षा दल ने चारों जिलों के होटलों की जांच की है. जांच रिपोर्ट में होटल की जो तसवीर सामने आयी है, उससे कोई देसी-विदेशी पर्यटक पैसे खर्च कर ठहरने को तैयार नहीं हो रहा है. बोधगया के होटल सिद्धार्थ में बाथरूम के दरवाजों पर डोर-मैट उपलब्ध नहीं मिले. होटल के कमरों में लगाये गये डिजाइनर लैंपों में कोई काम नहीं कर रहा. वाश बेसिन में लैंप तक नहीं लगे हैं. होटल के कमरा नंबर-102 का झरना काम नहीं कर रहा. कमरा नंबर 102 व 103 में एसी के कैबिनेट टूटे मिले. यही नहीं, पंखों का रेगुलेटर तक काम नहीं कर रहा. बाथरूम की छत और दीवारें डैप कर रही हैं. राजगीर के होटल तथागत बिहार के कमरा नंबर 115 में रखी अलमारी जजर्र हो चली है. होटल के पिछवाड़े में सीवरेज बिना ढक्कन के हैं. यही नहीं, होटल के तीसरे तल्ले की छत से पानी टपक रहा है. होटलों के संचालन में त्रुटियां दूर न होने के कारण पर्यटन विकास निगम ने बक्सर के होटल विश्वमित्र बिहार, सासाराम के होटल शेरशाह बिहार और होटल कोसी बिहार को अपनी सूची से हटा दिया है.
पुराने बेडशीट, खिड़की बिना परदे के
पटना के होटल कौटिल्य के चार कमरों में पीओपी के चंक्स टूट कर गिर रहे हैं. कमरों में लगे डिजाइनर लैंपों में कोई काम नहीं कर रहा. यही नहीं, कमरा नंबर 209 में लगा एसी, गीजर और एक्जार्सट फैन भी काम नहीं कर रहा. होटल के कमरा नंबर 209 की सफाई व्यवस्था का हाल यह है कि दीवारों पर मकड़े का जाल लटक रहा. कमरे में रखा टीवी सेट्स भी काम नहीं कर रहा. होटल के सुइट गेट का डोर-बेल भी काम नहीं कर रहा. मुजफ्फरपुर के होटल लिच्छवी के कमरों में आज भी पुराने बेडशीट बिछे हैं. बिना परदे के खिड़की-दरवाजे हैं. बाथरूम में टोला प्लास्टिक टेबल भी नहीं रखा गया है. कमरा नंबर 306 की दीवारों में दरार हैं. यही नहीं, कमरा नंबर 103 और 104 में एसी काम नहीं कर रहे है. रिसेप्शन पर रखे सोफा सेट की भी सफाई नहीं हो रही है. होटल के आगे के प्रांगण में लाइट्स का कोई इंतजाम नहीं है. होटल के पार्क का रखरखाव भी नहीं हो रहा.
पर्यटन निगम अपने होटलों की स्थिति सुधारने में लगा है. निगम ने अपने तमाम होटलों की साज-सज्जा सुधारने की योजना बनायी है. पहले होटलों के सिविल वर्क होंगे, उसके बाद उनकी साज सज्जा और सुविधाओं का काम शुरू होगा. मई तक यह काम शुरू हो जायेगा
मो सोनल, प्रबंध निदेशक, पर्यटन विकास निगम
सिर्फ 9.92% विदेशी पर्यटकों ने बिहार का रुख किया
वर्ष 2012-13 में बिहार 10. 97 लाख विदेशी पर्यटक आये थे. 2013-14 में उनकी संख्या घट कर 6. 7 लाख पर आ गयी. सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक भारत भ्रमण पर आये विदेशी पर्यटक विदेशी पर्यटक अन्य राज्यों की तुलना में बिहार के पर्यटक स्थलों का कम भ्रमण कम कर रहे हैं. वर्ष 2013-14 में भारत आये 68. 48 लाख पयर्टक, लेकिन बिहार में भ्रमण के लिए सिर्फ 9. 92 प्रतिशत विदेशी पर्यटकों ने रुचि दिखायी. राज्य पर्यटक निगम के होटलों की खराब हालत के कारण यहां आनेवाले विदेशी पर्यटक भी निगम के होटल के बजाय निजी होटलों का रुख कर रहे हैं. सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष वर्ष 2009-10 में दो हजार विदेशी पर्यटकों ने निगम की आवासीय सुविधा का लाभ उठाया था, जो वर्ष 2013-14 में घट कर एक हजार पर आ गया. रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि पर्यटन निगम की सुविधाओं का लाभ उठाने में देसी-विदेशी पर्यटकों की रुचि कम रही है. वर्ष 2009-10 में 0. 22 प्रतिशत देसी-विदेशी पर्यटकों ने निगम की सुविधाओं का उपयोग किया था, जबकि वर्ष 2013-14 में यह प्रतिशत घट कर 0. 13 पर पहुंच गया.

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