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विलुप्त होती जा रही पंक्षियों की प्रजातियां

कभी घर आंगन में चहचहाती थी गोरैया/रकुर्था (अरवल): लगातार खड़े कि ये जा रहे मोबाईल टावर से संचार सुविधाएं तो बेहतर हुये हैं परन्तु उक्त टावर से निकलने वाली विकिरण का मनुष्यो से लेकर पशु-पक्षियो पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ा है .कभी घर आंगन से लेकर सुबह का आगाज होने पर इनकी जोरदार चहचहाट […]

कभी घर आंगन में चहचहाती थी गोरैया/रकुर्था (अरवल): लगातार खड़े कि ये जा रहे मोबाईल टावर से संचार सुविधाएं तो बेहतर हुये हैं परन्तु उक्त टावर से निकलने वाली विकिरण का मनुष्यो से लेकर पशु-पक्षियो पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ा है .कभी घर आंगन से लेकर सुबह का आगाज होने पर इनकी जोरदार चहचहाट की आवाज सुनाईदेने लगी थी जिससे लोगांें को यह अभास होता था कि सुबह हो गयी साथ ही दिन भर लोगों के घर आंगन से लेकर पेड़ पौधे पर गोरैया ,कौआ ,मैना समेत भिन्न-भिन्न प्रकार के पंक्षिया काफी संख्या में देखी जाती थी परन्तु इन सभी पक्षियों से कभी कभार ही दर्शन हो पाते हैं .जानकारों की मानें तो पक्षियों के विलुप्त होने के कारणों के मूल में ये मोबाईल टावर हैं जिससे निकलने वाली विकीरण से इनकी जन संख्या में लगातार ह्रास होता दिख रहा साथ ही उक्त बातें टावरों से निकलने वाली रेडि़येशन से पशु पक्षियों के साथ -साथ मनुष्यों के स्वास्थ्य पर भी कु प्रभाव डालती है. जिससे पशु पक्षियो से लेकर मनुष्यों में भिन्न प्र्रकार के रोग उत्पन्न होते है. इस बावत मवेशी चिकित्सक सतीश कुमार सुमन ने बताया कि मोबाइल टावर से निकलने वाली गैग्नाराईड किरण जिससे पक्षियों में प्रजनन की क्षमता को नष्ट कर देती है. जिसके बजह से पक्षियों की जन संख्या में लगातार ह्रास होता जा रहा है. वहीं चिकित्सक डा0 गया प्रसाद ने बताया कि उक्त टावर के रेडियेशन मनुष्यों व पशुओ पर भी खासा असर पड़ा है . जिसके कारण भी कई लोग उक्त रेडियेशन के चपेट में आकर अन्य प्रकार के रोगो से ग्रस्त हो जाते हैं.

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