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बिहार के लिए मांगा सहयोग, मुख्यमंत्री ने पीएम को सौंपा ज्ञापन

14वें वित्त आयोग की अनुशंसा से बिहार की क्षति पर जतायी चिंता पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गुरुवार को एक ज्ञापन सौंपा. 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा से बिहार के संसाधनों में संभावित कमी की मुख्यमंत्री ने ज्ञापन के जरिये चिंता जतायी है और इसकी भरपाई के लिए विशेष व्यवस्था […]

14वें वित्त आयोग की अनुशंसा से बिहार की क्षति पर जतायी चिंता
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गुरुवार को एक ज्ञापन सौंपा. 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा से बिहार के संसाधनों में संभावित कमी की मुख्यमंत्री ने ज्ञापन के जरिये चिंता जतायी है और इसकी भरपाई के लिए विशेष व्यवस्था करने की मांग है.
उन्होंने कहा कि 14 वें वित्त आयोग की अनुशंसा, आर्थिक सर्वेक्षण प्रतिवेदन वर्ष 2014-15 और केंद्रीय बजट 2015-16 की समीक्षा के बाद स्पष्ट हो रहा है कि जहां एक ओर केंद्रीय करों में राज्यों को हस्तांतरण की जानेवाली राशि को तो बढ़ाया गया है, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को राज्य योजनाओं में केंद्रीय सहायता के रूप में दी जानेवाली बजटीय सहायता में काफी कटौती हो रही है.
इस साल केंद्र सरकार ने राज्य योजना के तहत चलने वाली कई योजनाओं को बंद कर दिया है. साथ ही अधिकांश केंद्र प्रायोजित योजनाओं के बजट को घटा दियागया है. बिहार जैसे पिछड़े राज्यों के लिए यह चिंता का विषय है कि राज्यों के बीच राशि के बंटवारे के लिए 14वें वित्त आयोग ने जो फॉमरूला दिया है उसके आधार पर कुल राशि में बिहार का हिस्सा घट कर 9.665 हो गया है. इसके अलावा पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि योजना के बंद हो जाने से इसके माध्यम से मिल रही विशेष सहायता के भविष्य पर भी प्रश्न चिह्न् लग गया है.
सर्वदलीय बैठक में नहीं आयी भाजपा
नीतीश कुमार ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के संसद में दिये बजट अभिभाषण में आंध्र प्रदेश की तर्ज पर बिहार को विशेष सहायता देने का प्रस्ताव किया गया है. साथ ही बिहार राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 के अंतर्गत प्रावधान है कि बिहार की विशेष आवश्यकताओं को देखा जाना है. इस मुद्दे को लेकर बिहार सरकार ने 23 मार्च को सर्वदलीय बैठक भी बुलायी. बार-बार अनुरोध किये जाने के बाद भी भाजपा से कोई प्रतिनिधि बैठक में शामिल नहीं हुए. बैठक में ही तय हुआ कि राज्य सरकार एक ज्ञापन केंद्र सरकार को देगी. इस को लेकर ज्ञापन दिया जा रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की प्रति व्यक्ति आय बहुत नीचे स्तर पर है.
विकास दर में बढ़ेगी खाई
2013-14 के आंकड़ों को लिया जायेगा तो 2004-05 के स्थिर मूल्यों पर बिहार की प्रति व्यक्ति आय 15,650 रुपये है, जबकि राष्ट्रीय औसत 39,904 रुपये हैं. अगर इसे एक समय सीमा में वर्तमान राष्ट्रीय औसत तक पहुंचाना है, तो बिहार के विकास की दर पूरे देश के विकास की औसत पर दर से कम से कम दोगुनी होनी चाहिए. अगर बिहार के विकास की दर भी उतनी ही होगी जितनी पूरे देश के विकास की दर है तो राष्ट्रीय औसत और बिहार की प्रति व्यक्ति आय के बीच की खाई और भी बढ़ती जायेगी. बिहार में निजी क्षेत्र की उपस्थिति कमजोर है. ऐसी स्थिति में विकास मुख्य तौर पर राज्य सरकार द्वारा सामाजिक और आर्थिक प्रक्षेत्र में किये जाने वाले निवेश पर निर्भर करता है.

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