पटना: सरकार के हर विभाग की अपनी-अपनी परेशानी है. कहीं अधिकारी व कर्मचारी नहीं हैं, तो कहीं विभाग व लॉ अफसर में तालमेल नहीं है. स्वास्थ्य विभाग की बात करें, तो 366 मुकदमों की सुनवाई हाइकोर्ट में चल रही है. हर रोज अधिकारियों व कर्मियों को तथ्य विवरणी (स्टेटस ऑफ फैक्ट्स) बनाने को लेकर प्रधान सचिव का सामना करना पड़ रहा है. प्रधान सचिव को भी कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना होता है. प्रधान सचिव का कहना है कि विभाग में कर्मियों की कमी है. जो हैं भी वे केवल मुकदमे की सुनवाई की तैयारी में लगे रहते हैं. इस कारण दूसरा काम प्रभावित होता है.
सृजित होगा निदेशक प्रशासन का पद : मुख्य सचिव ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को निर्देश दिया है कि विभाग में निदेशक प्रशासन का नया पद सृजित कराएं. इससे कर्मचारी व अधिकारियों से संबंधित मुकदमों का विभाग में ही निबटारा हो जायेगा. हाइकोर्ट में दर्ज मुकदमों में से अधिकतर सेवा, सेवांत लाभ, प्रोन्नति व पेंशन से जुड़ा है. बिहार मुकदमा नीति 2011 के तहत कर्मचारियों की शिकायतों को सुन उसका निबटारा करने का प्रावधान है, लेकिन इसका फायदा कर्मियों को नहीं मिलता है. मुख्य सचिव ने प्रधान सचिव को निर्देश दिया है कि वह हर सप्ताह मुकदमों की सुनवाई की प्रगति की समीक्षा करें और इसकी संख्या में कमी लायें. इसके अलावा जितने भी मुकदमे कोर्ट में लंबित हैं उनमें आठ सप्ताह के अंदर प्रति शपथपत्र दाखिल कराएं. फिलहाल विभाग में सेवा, सेवांत लाभ, प्रोन्नति व पेंशन के 366 मुकदमे हाइकोर्ट में चल रहे हैं.
जल संसाधन विभाग में होंगे कर्मचारी प्रतिनियुक्त : जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव अरुण कुमार सिंह ने मुख्य सचिव को बताया कि उनके यहां भी सहायकों की कमी के कारण स्टेटस ऑफ फैक्ट्स बनाने में परेशानी हो रही है. मुख्य सचिव ने कहा कि मुख्य अभियंता मॉनीटरिंग एवं मुख्य अभियंता रूपाकंन के कार्यालय में कार्यरत कर्मियों को विभाग में प्रतिनियुक्त कर मुकदमों के निबटारा के लिए कराये जाने वाले कार्य में लगाएं. उन्हें यह भी कहा गया कि जितने भी मुकदमे हाइकोर्ट में हैं. आठ सप्ताह के अंदर प्रति शपथपत्र दाखिल कराएं. स्वयं प्रधान सचिव हर सप्ताह विभाग के मुकदमों की सुनवाई की मॉनीटरिंग की समीक्षा करें. लघु जल संसाधन विभाग के अधिकारी यह नहीं बता पाये कि उनके विभाग का कितना मुकदमा कोर्ट में चल रहा है.