लाइफ रिपोर्टर@पटनाकलाकारों की कला तब निखर जाती है, जब वे दूसरे को अपनी कला सिखाते हैं. कला प्रेमी कुछ ऐसे ही होते हैं. इस कारण ही अपने वतन से हजारों किलोमीटर दूर जर्मनी की इनग्रीड ने उपेन्द्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान में 50 स्टूडेंट्स को पेपर पल्प से हैंडमेड पेपर बनाना सिखाया. इनके साथ जयपुर के विनय कुमार शर्मा, दिल्ली के शरद कुमार, और हरिद्वार के रामलाल शामिल थे. शुक्रवार को इस कार्यशाला का अंतिम दिन था. कार्यशाला के समापन के मौके पर संस्थान के उपनिदेशक अशोक कुमार सिन्हा और संस्थान के अन्य कर्मचारी मौजूद दिखे. दस दिनों की इस कार्यशाला में 50 लोगों ने पेपर पल्प से हैंडमेड पेपर बनाने के तरीके को जाना. इस कार्यशाला में देश अन्य जानेमाने हैंडमेड पेपर बनानेवाले कलाकारों ने भी शिरकत की. अब बिहार में भी बन सकेगाकार्यशाला में प्रशिक्षक ने धान की भूसी, केले के छिलके और कॉटन फाइबर से हैंडमेड पेपर बनाना सिखाया. 18 फरवरी से शुरू यह कार्यशाला 27 फरवरी तक चलेगी. इसके बारे में संस्थान के उपनिदेशक अशोक कुमार सिन्हा कहते हैं कि शादी के कार्ड से लेकर पेंटिंग तक इसी हैंडमेड पेपर पर बनती है, लेकिन बि हार में इस पेपर का उत्पादन नहीं होता. इस पेपर को जयपुर से मंगवाना पड़ता है. इसमें भाग लेने वाले 50 लोग चाहे वह कलाकार हो या आम लोग इसे बनाना सीख कर खुद का निर्माण कार्य कर सकेंगे. कलाकार अपनी पेंटिंग के लिए खुद से इस पेपर को बना सकेंगे. कोई चाहे तो इसका व्यवसायिक इस्तेमाल भी कर सकता है. हमारी कोशिश है कि बिहार इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सके.
50 लोगों ने सीखा हैंडमेड पेपर बनाना
लाइफ रिपोर्टर@पटनाकलाकारों की कला तब निखर जाती है, जब वे दूसरे को अपनी कला सिखाते हैं. कला प्रेमी कुछ ऐसे ही होते हैं. इस कारण ही अपने वतन से हजारों किलोमीटर दूर जर्मनी की इनग्रीड ने उपेन्द्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान में 50 स्टूडेंट्स को पेपर पल्प से हैंडमेड पेपर बनाना सिखाया. इनके साथ जयपुर […]
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