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‘प्रपोज डे’ के दिन चलता रहा रिझाने का खेल

नीतीश कुमार और जीतन राम मांझी के खेमे में बंटे जदयू के नेता एक-दूसरे को अपनी तरफ खींचने में व्यस्त रहे कभी साथ रहकर भी जो एक दूसरे का हाल-चाल नहीं पूछते थे, आज फोन करके कई-कई बार कुशल क्षेम पूछते नहीं. थक रहे थे जीतन राम मांझी खेमा यह मान कर चल रहा है […]

नीतीश कुमार और जीतन राम मांझी के खेमे में बंटे जदयू के नेता एक-दूसरे को अपनी तरफ खींचने में व्यस्त रहे कभी साथ रहकर भी जो एक दूसरे का हाल-चाल नहीं पूछते थे, आज फोन करके कई-कई बार कुशल क्षेम पूछते नहीं. थक रहे थे जीतन राम मांझी खेमा यह मान कर चल रहा है कि बहुमत साबित करने का पहला मौका उन्हें मिलेगा और वे इसे हासिल कर लेंगे.
पटना: राजनीतिक गलियारों में भी वेलेंटाइन वीक में अलग तरह से ‘प्रपोज’ करने का नजारा दिखा. नीतीश कुमार और जीतन राम मांझी के खेमे में बंटे जदयू के नेता एक-दूसरे को अपनी तरफ खींचने में व्यस्त रहे. कभी साथ रह कर भी एक-दूसरे का हाल-चाल नहीं पूछने वाले फोन कर कुशल क्षेम पूछते नहीं थक रहे थे. एक बात यह स्पष्ट है कि वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में सीएम पद पर बरकरार होने के कारण फिलहाल जीतन राम मांझी मजबूत हैं, तो सबसे ज्यादा विधायकों का समर्थन हासिल कर नीतीश कुमार पार्टी स्तर पर मजबूत हैं.

मांझी खेमे के नेताओं की जद्दोजहद थी नीतीश खेमे के विधायकों को अपनी तरफ मिला लेने की. इसी जतन में मांझी खेमे के चकाई विधायक सुमित कुमार सिंह और मंत्री विनय बिहारी पर नीतीश खेमे की मंत्री बीमा भारती ने धमकी देने का मुकदमा कर डाला. सुमित कुमार सिंह मंत्री नरेंद्र सिंह के पुत्र हैं. सीतामढ़ी विधायक सुनीता सिंह ने मांझी खेमे के एक दूसरे मंत्री नरेंद्र सिंह पर भी धमकी देने का आरोप लगाते हुए थाने में इसकी शिकायत की. इस तरह कुछ अन्य विधायकों को भी एक दूसरे का ‘प्रपोज’ पसंद नहीं है जबकि कुछ ने इसे स्वीकार करने का इशारा भी किया. वहीं,नीतीश कुमार के खेमे के विधायकों को जैसे ही दूसरी तरफ की हलचल का पता चला, सब डैमेज कंट्रोल में जुट गये. मंत्री श्याम रजक और एमएलसी संजय सिंह ने तुरंत बीमा भारती के आवास पर पहुंच बैठक की. इसी तरह कुछ अन्य विधायकों की गतिविधि भी अपने-अपने खेमे को मजबूत करने में देर शाम तक लगी रही.

जाति के अनुसार पद के वादे और दावे
राजनीतिक सूत्र ने जानकारी दी कि मांझी खेमे के प्रमुख रणनीतिकार नरेंद्र सिंह कई विधायकों को फोन कर ऑफर देते रहे. कई विधायकों को अपनी ‘जाति’ के नाम पर भी खींचने की कोशिश होती रही. उन्होंने मंत्री लेसी सिंह को फोन कर उपमुख्यमंत्री बनने तक का ऑफर दे दिया. हालांकि लेसी सिंह ने इसे इनकार करते हुए अपनी आस्था नीतीश कुमार के खेमे में ही रहने की बात कही. मांझी खेमे के मंत्री नीतीश मिश्र के आवास पर भी विधायकों ने बैठक कर अपनी संख्या पुराने की जोर-अजमाइश करते रहे. नीतीश कुमार खेमे के नवादा विधायक कौशल यादव के आवास पर अजय सिंह, रणधीर सिंह, मनजीत सिंह व शैलेंद्र प्रताप सिंह समेत दर्जन भर विधायकों ने बैठक कर अपनी रणनीति मजबूत की.
दोनों खेमों के अपने-अपने ‘सक्सेस गणित’
जीतन राम मांझी खेमे के रणनीतिकार और विधायक अपने खेमे को मजबूती देने के लिए ‘सक्सेस गणित’ बैठाने में लगे रहे. नीतीश खेमे की तरफ से 130 विधायकों का संख्या बल जुटाते हुए रविवार को राज्यपाल को चिट्ठी सौंपी. हालांकि राज्यपाल के पटना में नहीं होने के कारण जदयू अध्यक्ष ने अपना दावा राज्यपाल के प्रधान सचिव को पेश किया. नीतीश खेमा जदयू, राजद, कांग्रेस व निर्दलीय समेत अन्य को मिला कर 130 से ज्यादा की संख्या बल होने का दावा कर रहा है, लेकिन उसके सामने बड़ी चुनौती इस संख्या को बरकरार रखने की भी है. दूसरी तरफ मांझी खेमा अलग तरह से अपना सक्सेस गणित बैठा रहा है. उसे भाजपा के 87 विधायकों का समर्थन मिलने की उम्मीद है. साथ ही 117 के बहुमत को पाने के लिए अपनी तरह से जुगत भी है. इस खेमे के सूत्र के अनुसार, चार निर्दलीय विधायक उनके समर्थन में हैं. बाराचट्टी की विधायक ज्योति मांझी पर अपनी ‘रिश्तेदारी धर्म’ को निभाने की पूरी उम्मीद इस खेमे के लोग लगाये बैठे हैं. चूंकि विधायक ज्योति सीएम जीतन राम मांझी की समधिन हैं, तो ऐन मौके पर वह अपने चार-पांच सहयोगियों के साथ मांझी सरकार को बनाने में मदद कर सकती है. इसके अलावा इस खेमे का यह भी दावा है कि वोटिंग या फ्लोर टेस्टिंग के समय राजद के सात विधायक अनुपस्थित रहेंगे. इस दावा का आधार बताते हैं कि राजद के तीन विधायक भाई दिनेश, अजय बुलगानि और राघवेंद्र प्रताप सिंह खुल कर विरोध कर चुके हैं. इनकी तरह चार और विधायक भी हैं. इसके अलावा आठ विधायकों का मामला हाइकोर्ट में चलने के कारण वे वोटिंग नहीं कर पायेंगे, जिसका फायदा भी यह खेमा उठाने की जुगत में है. इस खेमे के तमाम समीकरण को जोड़ने के बाद भी मांझी खेमा बहुमत से दूर दिख रहा है. इसे जुटाने के लिए यह खेमा जुगत में लगा है.
राज्यपाल की ओर टिकी हैं सबकी नजरें
सोमवार को राज्यपाल के आने के बाद राजनीति तसवीर काफी साफ होगी. लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार दोनों राज्यपाल से मिल सरकार बनाने का मौका देने की अपील करेंगे. जबकि मांझी खेमा इस बात से खुश दिख रहा है कि नियमानुसार उसे पहले मौका दिया जायेगा, बहुमत साबित करने का. इसका फायदा वह उठा लेंगे. नीतीश के समर्थकों का मानना है कि वे बहुमत जुटा नहीं पायेंगे और गेंद उनके पाले में आ जायेगी.

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