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पैक्स में महिला आरक्षण का विरोध

* सहकारी संस्थाओं के अध्यक्षों ने कहा, पहले संसद व विस में कीजिए प्रावधान * ऑडिट के प्रावधानों पर भी जतायी आपत्ति पटना : सर, पैक्स की महिला अध्यक्ष धान खरीद नहीं कर सकेंगी. महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान सही नहीं है. सहकारी संस्थाओं में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत का प्रावधान […]

* सहकारी संस्थाओं के अध्यक्षों ने कहा, पहले संसद विस में कीजिए प्रावधान

* ऑडिट के प्रावधानों पर भी जतायी आपत्ति

पटना : सर, पैक्स की महिला अध्यक्ष धान खरीद नहीं कर सकेंगी. महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान सही नहीं है. सहकारी संस्थाओं में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत का प्रावधान करने के पहले संसद विधानसभाओं में भी महिलाओं के लिए इस तरह की व्यवस्था हो. बिहार सहकारी सोसायटी अधिनियम 1935 में किये गये संशोधन के आधार पर प्रस्तावित नियमावली पर डीएनएस सहकारी संस्थान में शनिवार को कार्यशाला में सहकारी संस्थाओं के अध्यक्षों ने यह राय दी. नये प्रावधानों के कई बिंदुओं पर जोरदार विरोध दर्ज कराया गया.

* बढ़ेंगी सहकारी समितियां

निबंधक (सहयोग समितियां) मनीष कुमार ने कहा कि अभी राज्य में लगभग 40 हजार सहकारी समितियां निबंधित हैं. पांच साल में एक लाख से अधिक समितियां हो सकती हैं. सहकारी बैंकों में आइबीपीएस के माध्यम से जल्द ही कर्मियों की नियुक्ति होने से कई समस्याओं का समाधान हो जायेगा. बिस्कोमान के अध्यक्ष डॉ सुनील कुमार सिंह ने कहा कि सहकारी समितियों को अधिकसेअधिक सदस्य बनाने का आदेश थोपा नहीं जा सकता है. समिति में जितने सदस्य हैं, उन्हें भी खाद, बीज और ऋण की सुविधा नहीं मिल पाती है.

सहकारी संस्थाओं के बोर्ड की बैठक समय पर नहीं बुलानेवाले अधिकारियों पर भी कार्रवाई का प्रावधान होना चाहिए. संस्थाओं के ऑडिट की सही व्यवस्था हो. इसके पहले सेवानिवृत्त संयुक्त निबंधक अशोक कुमार झा ने अधिनियम में संशोधन पर कहा कि सहकारी समितियों का चुनाव बिहार राज्य निर्वाचन प्राधिकार के माध्यम से होना है.

सूचना के अधिकार के तहत सदस्यों को पूरी जानकारी लेना मौलिक अधिकार होगा. उपनिबंधक (सहयोग समितियां) बीएन झा ने प्रस्तावित नियमावली के प्रावधानों का पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन दिया. धन्यवाद ज्ञापन संयुक्त सचिव शत्रुघ्न कुमार चौधरी संचालन आइसीडीपी के सहायक अनुश्रवण पदाधिकारी संजय कुमार ने किया. स्वागत डॉ केपी रंजन ने किया.

मौके पर एनसीएफ के उपाध्यक्ष विशाल कुमार सिंह, स्टेट कोऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष रमेशचंद्र चौबे, एमडी पीके सिन्हा, विधायक जितेंद्र कुमार, विनय कुमार शाही, अंजली मेहता, विकास कुमार बरियार, कॉफ्फेड के अध्यक्ष ऋषिकेश कश्यप, छोटे सहनी सहित सहकारिता विभाग के अधिकारी और पैक्स, व्यापार मंडल सहित विभिन्न सहकारी संस्थाओं के अध्यक्ष मौजूद थे.


* महिलाओं
के लिए अलग पैक्स बैंक स्थापित हो

दर्जन भर अध्यक्षों ने कहा कि महिलाओं को सहकारी संस्थाओं में आगे लाना है, तो प्रत्येक प्रखंड में महिलाओं के लिए अलग पैक्स जिलों में महिला सहकारी बैंक स्थापित हों. सहकारिता विभाग के प्रधान सचिव अतुल प्रसाद ने कहा कि सहकारी संस्थाओं के प्रबंध निदेशक मंडल में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण लागू होगा.

अभी यह तय नहीं है कि 50 प्रतिशत अध्यक्ष पद महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे. प्रस्तावित नियमावली को फाइनल करने के पहले सभी लोगों को राय रखने के लिए एक माह का समय दिया जायेगा. पैक्स में सरकार की 25 प्रतिशत हिस्सा पूंजी है, इसलिए जो गांवों में जो पैक्स का सदस्य बनना चाहते हैं, उन्हें बनाया जा सकता है. पैक्स अध्यक्ष के नहीं चाहने के बाद भी सहकारी समितियों के सहायक निबंधक सदस्य बना सकते हैं.


– बदलाव
के मुख्य बिंदु

* प्रबंध समिति का कार्यकाल पूरा होने की तिथि से 180 दिन पहले राज्य निर्वाचन प्राधिकार के माध्यम से निर्वाचन शुरू होगा

* निर्वाचन के उपरांत 50 प्रतिशत से कम सदस्यों के निर्वाचन की स्थिति में शेष पदों पर प्राधिकार द्वारा पुनर्निर्वाचन

* प्रबंध समिति में कुल 21 सदस्य होंगे. दो एससी, दो पिछड़ा दो अतिपिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण, इसमें 50 प्रतिशत महिलाओं के लिए आरक्षण सामान्य में भी महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण

* भ्रष्टाचार, अधिनियम के तहत दोषी पाये जाने आम सभा की बैठक आयोजित नहीं करने और वार्षिक ऑडिट विवरणी नहीं देने पर प्रबंध समिति के सभी पदधारक पांच वर्षो के लिए अयोग्य होंगे

* सचिव, सदस्य सचिव या मुख्य कार्यपालक द्वारा प्रबंध समिति की तीन माह बैठक नहीं बुलाने पर समिति के अध्यक्ष को बैठक बुलाने का अधिकार

* किसी भी प्रबंध समिति को छह माह से अधिक दिनों तक भंग नहीं रखा जा सकता है

* प्रबंध समिति भंग रहने की स्थिति में तदर्थ समिति आम सभा के माध्यम से कमसेकम तीन या अधिकतम पांच सदस्य होंगे. तदर्थ समिति के गठन के 45 दिनों के अंदर मतदाता सूची प्राधिकार को सौंपना होगा

* जुर्माना की राशि 25 से बढ़ा कर 500 रुपये करने का प्रावधान

* प्रबंध समिति द्वारा वित्तीय वर्ष की समाप्ति के 45 दिनों में आम सभा द्वारा नियुक्त ऑडिटर से ऑडिट करा कर संबंधित अधिकारी को देना होगा. समय पर ऑडिट नहीं कराने पर 60 दिनों में निबंधक द्वारा ऑडिट करा कर समिति से खर्च वसूला जायेगा

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