पटना: मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि स्कूलों में पढ़नेवाले गरीब बच्चों को छात्रवृत्ति समेत अन्य योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. शिक्षकों और समाज में पल रहे दलालों की चल रही है. अटेंडेंश के नाम पर आधा से ज्यादा छात्रवृत्ति की राशि डकार जा रहे हैं. स्कूलों में दो रजिस्टर रखे जा रहे हैं.
एक कच्चा और दूसरा पक्का. स्कूल का दलाल या शिक्षक गरीब के घर जाता है और कहता है कि उनके बच्चे की उपस्थिति 75 फीसदी नहीं है और अगर छात्रवृत्ति, पोशाक या साइकिल योजना का लाभ पाना है तो आधी राशि देनी होगी. इससे कुछ पैसा आने की बात सोच कर वह गरीब तैयार हो जाता है.
सीएम ने कहा कि जो गरीब उस स्कूल में पढ़ रहा होता है उसका अटेंडेंश 75 फीसदी भी नहीं रहता, लेकिन जो बड़े परिवार का छात्र जो पढ़ता तो शहर के प्राइवेट स्कूल में है, लेकिन नामांकन सरकारी स्कूल में होता है उसका अटेंडेश 90 फीसदी रहता है. मुख्यमंत्री ऐसे शिक्षकों पर लगाम कसने के लिए टोला सेवक व विकास मित्र को समानांतर रजिस्टर बनाने का निर्देश दिया है. साथ कहा कि हर दिन वो भी अटेंडेश बनाये. अगर राशि बांटने समय कोई दिक्कत हुई तो संबंधित स्कूल के शिक्षक की खैर नहीं.
सम्मेलन में थे मौजूद
मुसहर राज्यस्तरीय चेतना सम्मेलन में विधायक रत्नेश सदा, महादलित आयोग के पूर्व अध्यक्ष विश्वनाथ सदा, अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के अध्यक्ष विद्यानंद विकल, बिहार बोर्ड के पूर्व चेयरमैन एकेपी यादव, सत्येंद्र गौतम, कृषि उत्पादन आयुक्त विजय प्रकाश, कल्याण विभाग के प्रधान सचिव एसएम राजू और पुअरेस्ट एरिया सिविल सोसाइटी के पदाधिकारी ने भी अपने-अपने विचार भी दिये.
सामंतवादी लोग नहीं चाहते कि गरीब का बच्च बढ़े
सीएम ने कहा कि समाज के सामंतवादी दिमाग रखने वाले लोग नहीं चाहते कि दलित का बच्च पढ़े और आगे बढ़े. वे स्कूलों में शिक्षक को जाति-धर्म के नाम पर भड़का रहे हैं. स्कूल में अगर शिक्षक ठीक काम नहीं कर रहे हैं या गैर हाजिर रह रहे हैं तो ग्राम समिति इसे देखे. लेकिन ग्राम समिति के लोगों का बेटा दिल्ली-मुंबई में पढ़ता है तो गांव के स्कूल के बच्चों का कुछ भी उन्हें फर्क नहीं पड़ता है. ऐसा खास वर्ग के लोग राजनीति के तहत करते हैं. सीएम ने कहा गांव में जब स्कूल है तो उसे देखने का फर्ज आपका है. आप बताये कि फलां शिक्षक नहीं आते हैं, तो उन पर सीधी कार्रवाई की जायेगी.