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हाइकोर्ट ने नगर आयुक्त और थानेदारों को सौंपा जिम्मा, कहा डेढ़ माह में हटाएं खटाल

पटना: पटना हाइकोर्ट ने राजधानी से खटाल हटाने की जिम्मेवारी नगर आयुक्त और थानेदारों को सौंपी है. इस मामले में दायर लोकहित याचिका का निष्पादन करते हुए मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेड्डी व न्यायाधीश गोपाल प्रसाद के खंडपीठ ने गुरुवार को कहा कि डेढ़ महीने में नगर आयुक्त और थानेदार राजधानी को पूरी तरह खटालमुक्त […]

पटना: पटना हाइकोर्ट ने राजधानी से खटाल हटाने की जिम्मेवारी नगर आयुक्त और थानेदारों को सौंपी है. इस मामले में दायर लोकहित याचिका का निष्पादन करते हुए मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेड्डी व न्यायाधीश गोपाल प्रसाद के खंडपीठ ने गुरुवार को कहा कि डेढ़ महीने में नगर आयुक्त और थानेदार राजधानी को पूरी तरह खटालमुक्त कर दें.

खंडपीठ ने यह भी कहा कि निजी जमीन पर खटाल को लेकर यदि किसी व्यक्ति ने शिकायत की, तो नगर निगम तत्काल खटाल हटायेगा और नहीं हटाने पर संचालक पर प्रति दिन पांच सौ रुपये का जुर्माना लगा सकेगा.

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि राजधानी में कई जगहों पर गोबर बिखरे पड़ा है. इसे तीन दिनों के भीतर खंडपीठ ने हटाने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने प्रदूषण पर चिंता जताते हुए कहा कि कोई भी व्यक्ति इसकी शिकायत कर सकेगा. कोर्ट ने अधिकारियों को हर हाल में राजधानी को खटाल व प्रदूषणमुक्त कराने का निर्देश दिया.
पूर्व थानेदार के खिलाफ विभागीय कार्रवाई
हाइकोर्ट ने पीरबहोर के पूर्व थाना प्रभारी रवींद्र प्रसाद और परवेज आलम के खिलाफ विभागीय कार्रवाई चलाने का निर्देश दिया है. जबकि पटना सिटी की अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी प्रीति वर्मा को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. मुख्य न्यायाधीश के एकलपीठ ने गुरुवार को एक जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया. ब्रजकिशोर गुप्ता की याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि दहेज मामले की शिकायत में धारा 498ए के तहत शिकायत दर्ज की जानी चाहिए थी. जबकि, पुलिस ने धारा 306 के तहत शिकायत दर्ज की. यह धारा आत्महत्या के लिए उकसाने पर लगायी जाती है. पुलिस की रिपोर्ट के बाद आरोप पत्र भी दायर कर दिया गया. इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि पुलिस ने तो गलती की और अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने इसे कैसे समर्पित होने दिया. कोर्ट ने अपर मुख्य दंडाधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है.
किस आधार पर रोक दी सबकी प्रोन्नति
हाइकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि आम सरकारी कर्मियों की प्रोन्नति किस आधार पर रोकी गयी है. न्यायाधीश वीएन सिन्हा व आरके मिश्र के खंडपीठ ने गुरुवार को देवानंद नामक एक कनीय अभियंता की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि जब कोर्ट ने अनुसूचित जाति और जनजाति के कर्मियों के परिणाम वरीयता पर रोक लगायी गयी थी, तो किस आधार पर सारे कर्मियों का प्रोमोशन रोका गया है. कोर्ट में सुनवाई के दौरान पथ निर्माण विभाग की सचिव हरजोत कौर भी उपस्थित थीं. कोर्ट ने उनसे इसका कारण बताने को कहा. याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को कहा कि सरकार ने सभी कर्मचारियों के प्रोमोशन पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने तीन सप्ताह में सरकार को हलफनामा दायर कर जवाब उपलब्ध कराने को कहा है.
चलेगा अवमाननावाद का मुकदमा
हाइकोर्ट ने मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, नगर विकास सचिव और पटना नगर निगम के आयुक्त को कहा है कि दो महीने के भीतर शहर में मृत जानवरों के शरीर के निष्पादन की व्यवस्था नहीं की गयी, तो सबके खिलाफ अवमाननावाद का मुकदमा चलेगा. न्यायाधीश वीएन सिन्हा व आरके मिश्र के खंडपीठ ने गुरुवार को यह निर्देश दिया. खंडपीठ ने कहा कि 2010 में ही इस आशय का निर्देश सरकार को दिया गया था, लेकिन इस दिशा में अब तक कुछ नहीं किया गया. सरकारी वकील ने कहा कि धनरुआ में इसके लिए जगह आवंटित की गयी है. इस पर खंडपीठ ने कहा कि जमीन ले ली, तो इसे बनाते भी. कोर्ट ने कहा कि यदि सरकार फैसले से संतुष्ट नहीं थी, तो उसे ऊपरी अदालत में अपील करनी चाहिए थी.

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