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एक इंजेक्शन से नींद, दूसरे से मौत

इलाज के दौरान पांच साल के बच्चे की मौत, लोगों का सड़क जाम और हंगामा पटना : कंकड़बाग थाने के पोस्टल पार्क चौराहा स्थित डॉ सुरेश प्रसाद गुप्ता के क्लिनिक में इलाज के दौरान प्रिंस कुमार (5) की मौत होने पर लोगों ने जम कर हंगामा किया. गुस्साये लोगों ने चिकित्सक को क्लिनिक में ही […]

इलाज के दौरान पांच साल के बच्चे की मौत, लोगों का सड़क जाम और हंगामा
पटना : कंकड़बाग थाने के पोस्टल पार्क चौराहा स्थित डॉ सुरेश प्रसाद गुप्ता के क्लिनिक में इलाज के दौरान प्रिंस कुमार (5) की मौत होने पर लोगों ने जम कर हंगामा किया. गुस्साये लोगों ने चिकित्सक को क्लिनिक में ही बंधक बना लिया और पोस्टल पार्क चौराहे को जाम कर विरोध प्रदर्शन किया. इसकी जानकारी मिलते ही कंकड़बाग व जक्कनपुर थानों की पुलिस पहुंची और डॉक्टर को हिरासत में ले लिया. प्रिंस के पिता श्याम कुमार (ऑटोचालक) ने डॉक्टर पर गलत इंजेक्शन देने के कारण मौत होने का आरोप लगाया है.
पुलिस लिखित शिकायत के आधार पर जांच कर रही है. पिता ने बताया कि रविवार को दिन में अचानक उसके बेटे प्रिंस के पेट में दर्द हुआ. वे तुरंत डॉ सुरेश के क्लिनिक में ले गये. वहां चिकित्सक ने एक इंजेक्शन दिया और कहा कि बच्चे को नींद आ जायेगी. थोड़ी ही देर में उसे नींद आने लगी, तो वे उसे लेकर अपने घर चले आये. इसी बीच प्रिंस के शरीर में खुजलाहट होने लगी और बदहवास होकर इधर-उधर भागने लगा. इसके बाद पुन: वे उसे लेकर क्लिनिक में पहुंचे, तो चिकित्सक उन पर ही बरसने लगाऔर कहा कि बहुत तंग करते हो. इसके बाद उसने फिर से एक और इंजेक्शन दे दिया. इसके कुछ देर बाद ही उसकी मौत हो गयी.
सबसे छोटा था प्रिंस
श्याम कुमार पोस्टल पार्क के बंगाली टोले में रवींद्र राय के मकान में किराये पर रहते हैं. वह अपनी पत्नी शीला देवी तथा दो बेटों व एक बेटी के साथ कई साल से रह रहे हैं. बड़ी बेटी खुशबू 12 तथा बड़ा बेटा कारू 10 साल का है. प्रिंस तीनों में सबसे छोटा था और एक निजी स्कूल में प्रथम वर्ग का छात्र था. प्रिंस की मां शीला देवी व पिता श्याम कुमार का रो-रो कर बुरा हाल था.
रिएक्शन से हुई मौत!
पोस्टल पार्क में बच्चे की मौत की वजह दवा का रिएक्शन प्रतीत होता है. पहले इंजेक्शन के डेढ़-दो घंटे बाद ही बच्चे की स्थिति बिगड़ने लगी. उसे बेचैनी महसूस होने लगी. इसके बाद परिजन दोबारा उसे डॉक्टर के पास ले गये, जहां डॉक्टर ने उसकी बेचैनी दूर करने के लिए फिर इंजेक्शन दिया. इंजेक्शन के करीब आधे-पौन घंटे बाद ही बच्चे की मौत हो गयी. स्थानीय लोगों के मुताबिक डॉक्टर के पास कोई डिग्री नहीं है. बोर्ड पर भी डिग्री का जिक्र नहीं है. वह लंबे समय से झोला छाप डॉक्टर के तौर पर प्रैक्टिस कर रहे थे. उनके यहां पहले भी दवा रिएक्शन की घटना हुई थी.

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