पटना: तीन जिलों और सात प्रखंडों में भाजपा संगठन का चुनाव नहीं करा सकी है. इसमें पटना महानगर का चुनाव भी शामिल है. भागलपुर जिला संगठन का चुनाव सांसद शाहनवाज हुसैन और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे की अहं की लड़ाई में अटका है. गोपालगंज की भी यही कहानी है. भाजपा ने 57 हजार बूथ कमेटियां बनाने की प्रक्रिया पिछले वर्ष ही शुरू कर दी थी. 82 प्रतिशत कमेटियां मार्च-अप्रैल तक बन गयी थी.
शेष 29 जून से 141 विधानसभा क्षेत्रों में विधानसभा सम्मेलनों के दौरान गठित की गयी. छह हजार बूथ कमेटियां विधानसभा के मॉनसून सत्र के बाद बनाने का पार्टी ने लक्ष्य तय किया है. भाजपा ने 8,486 पंचायतों तक भी अपनी पहुंच बनाने में सफलता हासिल की है. लोकसभा चुनाव में स्थानीय स्तर की कमेटी कहीं से कमजोर न पड़े, भाजपा ने इसकी व्यवस्था कर ली है. पार्टी को बड़े नेताओं के प्रभाव क्षेत्र वाले जिलों में चुनाव कराने में परेशानी हो रही है. पटना महानगर के 12 मंडलों में अब-तक संगठन चुनाव नहीं हुए हैं. पटना में मनोनयन पद्धति से ही अध्यक्ष बनते आ रहे हैं. विधानसभा में भाजपा विधायक दल के मुख्य सचेतक अरुण सिन्हा तक महानगर भाजपा के अध्यक्ष रह चुके हैं. उनके बाद राम जी सिंह, हरेंद्र सिंह, विश्वनाथ भागत और किरण शंकर भी पटना महानगर के अध्यक्ष रहे हैं.
वर्तमान में टीएन सिंह महानगर के अध्यक्ष हैं. यानी पटना महानगर का अध्यक्ष सुशील मोदी या नंद किशोर यादव की पसंद का ही नेता बनता रहा है. भागलपुर जिला अध्यक्ष की कुरसी पर भी अश्विनी चौबे के समर्थक ही काबिज होते रहे हैं. वर्तमान भागलपुर जिला अध्यक्ष नभय चौधरी उनके समर्थक माने जाते हैं. इसके पहले के अध्यक्ष क्रमश: सत्यनारायण पांडेय और विजय प्रमुख भी उन्हीं के ग्रुप के थे. मात्र एक बार शाहनवाज हुसैन के ग्रुप के अभय वर्मन जिला अध्यक्ष बनने में सफल हुए थे. शेष जिलों और प्रखंडों में ग्रुपबाजी समाप्त कर संगठन चुनाव कराने की पार्टी तैयारी कर रही है.