।। कौशलेंद्र मिश्र ।।
पटना : राज्य पुलिस मुख्यालय ने 12 जिलों में मानव व्यापार निरोधी थाना खोलने का निर्णय किया है. ये जिले हैं– पटना, गया, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर, वैशाली, सीतामढ़ी, मोतिहारी, किशनगंज व अररिया. जिलों से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2012 में 552 बच्चे लापता हुए थे. इनमें 352 बच्चों की अब तक बरामदगी नहीं हो पायी है. इन बच्चों की तलाश के लिए विशेष रूप से गठित थानों को जिम्मेवारी दी जायेगी.
* दर्ज की जाये प्राथमिकी
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका संख्या– 75/2012, बचपन बचाओ आंदोलन बनाम भारत संघ एवं अन्य की सुनवाई करते हुए आदेश दिया है कि प्रत्येक गुमशुदा बच्चों को लेकर एफआइआर दर्ज की जाये. चार माह के अंदर अगर बच्चे की जानकारी नहीं मिलती है, तो ऐसे मामलों को जिला स्तरीय मानव व्यापार निरोध इकाई के माध्यम से जांच करायी जाये, ताकि ऐसे बच्चों की गहन छानबीन की जा सके.
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने जिला स्तरीय मानव व्यापार निरोध इकाई को प्रत्येक तीन माह पर लापता बच्चों की वस्तुस्थिति के बारे में विधिक सेवा प्राधिकार को रिपोर्ट देने का भी निर्देश दिया है. इस कारण इन थानों का गठन जरूरी हो गया है.
* 20 जिले संवेदनशील
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भौगोलिक स्थिति व रिपोर्ट के आधार पर 20 जिलों को मानव व्यापार की दृष्टि से बेहद संवेदनशील घोषित किया है. ये जिले हैं – पटना, गया, मुजफ्फरपुर, मोतिहारी, सीतामढ़ी, सीवान, बेतिया, बगहा, वैशाली, भागलपुर, मुंगेर, बेगूसराय, खगड़िया, किशनगंज, अररिया, कटिहार, सुपौल, पूर्णिया, मधुबनी व सहरसा.
* प्रति इकाई दिये 35 हजार
पुलिस मुख्यालय ने संवेदनशील जिलों में मानव व्यापार निरोधी इकाई का गठन किया है. प्रत्येक मानव व्यापार निरोधी इकाई को चारपहिया/दो पहिया वाहन, दो मोबाइल फोन, डिजिटल कैमरा, लैंडलाइन फोन व कार्यालय आदि उपलब्ध करा दिये गये हैं. केंद्र सरकार ने इन सभी कार्यालयों में खर्च के लिए प्रति इकाई 35 हजार रुपये दिये हैं.
* बच्चों की गुमशुदगी को लेकर पुलिस मुख्यालय बेहद संवेदनशील है. इस दिशा में ठोस कार्रवाई की जा रही है. इनमें मानव व्यापार निरोधी थाने के गठन का प्रस्ताव भी शामिल है.
अरविंद पांडे, आइजी, सीआइडी (कमजोर वर्ग)