पटना: मानव अधिकार को जनता तक पहुंचने में दो स्तर पर ले जाना बहुत ही जरूरी है. पहला है मुद्दे के स्वरूप में इसे सामने लाया जाये और वहीं दूसरी चेतना के स्तर पर खंडित हो रहे मानवाधिकार को रोकने के लिए जनता तक पहुंच.
ये बातें लोक स्वातंत्र्य संगठन के 12वें राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रभाकर सिन्हा ने कहीं. नवज्योति केंद्र, कुर्जी के प्रांगण में आयोजित सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए श्री सिन्हा ने कहा कि केवल जनता के मुद्दों को उठाने से काम नहीं चलेगा. इसे समर्थन देने की भी जरूरत है, जिससे मानवाधिकार की लड़ाई हर नागरिक खुद लड़ सके.
दबाव में हुए कई सुधार
इस मौके पर जस्टिस राजेंद्र सच्चर ने कहा कि देश में जनता की स्वतंत्रता का दायरा दिन-प्रतिदिन छोटा होता जा रहा है. अभी जितने भी जनपक्षीय कानून और विभिन्न क्षेत्रों में सुधार हुए हैं, वो सारे लोक स्वातंत्र्य संगठन के दबाव के परिणामस्वरूप हुआ है. संगठन की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका पर सुनवाई के कारण ही अब चुनाव लड़नेवाले प्रत्याशियों को आवेदन फार्म के साथ शैक्षणिक योग्यता, आपराधिक इतिहास, आर्थिक इतिहास आदि की जानकारी देनी होती है. दो दिनों के इस सम्मेलन का शनिवार को पहला दिन था. इस मौके पर संगठन की अध्यक्ष डेजी नारायण, प्रो एमएन कर्ण, नागेश्वर प्रसाद, रामेश पंकज, प्रो विनय कंठ मौजूद थे.