जीवन रूपी यात्रा को सुगम बनाएं : स्वामी प्रभंजनानंदबख्तियारपुर. मानव जीवन एक यात्रा के समान है. इस यात्रा में मां-पिता, भाई-बहन, पति-पत्नी व पुत्र-पुत्री रूपी अनेक यात्रियों से भेंट होती है. हमारा व्यवहार इन यात्रियों के साथ मर्यादित होता है , तो यात्रा सुगम हो जाती है. अन्यथा इस यात्रा में कठिनाई -ही -कठिनाई है. उक्त बातें स्थानीय शीलभद्रयाजी नगर में आयोजित श्री रामकथा के दौरान अयोध्या निवासी आचार्य प्रभंजनानंद स्वामी ने कहीं. उन्होंने कहा कि व्यक्ति की जीवन यात्रा उसके कर्मों पर आधारित होती है. यदि हम सुकर्म करते हैं , तो हमें सांसारिक बंधनों से मुक्ति मिल जाती है. यदि हम कुकर्म करते हैं, तो हमें बार-बार संसार में आकर कष्टकारक यात्रा करनी होती है. प्रवचन के दौरान आयोजन समिति के सदस्य अच्युतानंद याजी, मुलुर याजी, शैलेंद्र कुमार मुन्ना व राम सागर शर्मा मौजूद थे.
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बख्तियारपुर-एक सं / पेज 6
जीवन रूपी यात्रा को सुगम बनाएं : स्वामी प्रभंजनानंदबख्तियारपुर. मानव जीवन एक यात्रा के समान है. इस यात्रा में मां-पिता, भाई-बहन, पति-पत्नी व पुत्र-पुत्री रूपी अनेक यात्रियों से भेंट होती है. हमारा व्यवहार इन यात्रियों के साथ मर्यादित होता है , तो यात्रा सुगम हो जाती है. अन्यथा इस यात्रा में कठिनाई -ही -कठिनाई है. […]
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