एनडीए से अलग होने के तीसरे दिन बुधवार को नीतीश कुमार के नेतृत्ववाली जद यू की सरकार ने विधानसभा में विश्वासमत हासिल किया. इसके साथ ही बिहार में नये राजनीतिक समीकरण का संकेत भी दिखा. विश्वासमत पर चर्चा के दौरान भाजपा जहां वाक आउट कर गयी, वहीं जद यू को कांग्रेस व भाकपा का साथ मिला. मुख्यमंत्री ने नरेंद्र मोदी का नाम लिये बगैर भाजपा को खरी-खरी सुनायी. उधर, दोनों सदनों में भाजपा मुख्य विपक्षी दल बन गयी है, लेकिन नेता पद को लेकर कुछ नेता नाराज दिख रहे हैं.
पटना: भाजपा और लोजपा के वाकआउट के बीच नीतीश कुमार के नेतृत्ववाली जदयू की सरकार ने बुधवार को विधानसभा में विश्वासमत हासिल कर लिया. सरकार के पक्ष में 126 वोट और विपक्ष में 24 वोट पड़े. 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में स्पीकर को छोड़ कर नीतीश सरकार के पक्ष में पड़े 126 मतों में जदयू के 117, कांग्रेस के चार, भाकपा के एक और चार निर्दलीय विधायकों ने मतदान किया.
राजद के 22 और दो निर्दलीय विधायकों (ज्योति रश्मि व दिलीप वर्मा) ने विरोध में मतदान किया. पवन कुमार जायसवाल, सोमप्रकाश सिंह, दुलालचंद गोस्वामी और विनय बिहारी ने पक्ष में मतदान किया. भाजपा के 91 और लोजपा के एकमात्र विधायक (जाकिर हुसेन) ने सदन से वाक आउट किया और मतदान में हिस्सा नहीं लिया. दोनों दलों के विधायकों के वाकआउट करने पर सदन में सदस्यों कुल संख्या 150 रह गयी थी.
तीन घंटे तक बहस के बाद वोट
विश्वासमत पर करीब तीन घंटों की बहस के बाद स्पीकर उदय नारायण चौधरी ने जब सदस्यों से इसके पक्ष और विपक्ष में राय जाननी चाही तो ‘हां’और ‘ना’ दोनों में उत्तर मिला. सत्तापक्ष की ओर से विजय चौधरी के अनुरोध के बाद अध्यक्ष ने मतदान कराये जाने की घोषणा की.
अपने भाषण में नीतीश ने नरेंद्र मोदी मोदी का नाम लिये बिना कहा कि बीजेपी में किसी के नाम की जो लहर बनी है, जल्द ही सपना उनका टूटने जा रहा है, क्योंकि बिना गठबंधन के बीजेपी सरकार नहीं बना सकती. उन्होंने अपनी सरकार के पक्ष में वोट करने के लिए कांग्रेस का शुक्रि या अदा किया, लेकिन बाद में यह भी साफ कर दिया कि फिलहाल जेडीयू कांग्रेस से हाथ मिलाने नहीं जा रही है. कांग्रेस के प्रवक्ता पीसी चाको ने दिल्ली में कहा कि सांप्रदायिक ताकतों को नाकाम करने के लिए विश्वास मत में बिहार की नीतीश सरकार समर्थन किया गया है.
भाजपा में विरोध के स्वर
उधर, बुधवार सुबह हुई भाजपा विधायक दल की बैठक में पार्टी के छह विधायक नहीं शामिल हुए. बताया जाता है कि ये सभी विधायक नंदकिशोर यादव को विधायक दल का नेता बनाये जाने से नाराज हैं.