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टूटा जदयू-भाजपा का याराना, मोदी बने विलेन

पटना : अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा नीत राजग को झटका देते हुए जदयू ने नरेंद्र मोदी को भाजपा की चुनाव अभियान समिति का प्रमुख बनाये जाने के खिलाफ बिहार में भाजपा के साथ गठबंधन को समाप्त कर दिया और इस तरह राष्ट्रीय राजनीति में 17 साल पुराने मजबूत गठजोड़ में […]

पटना : अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा नीत राजग को झटका देते हुए जदयू ने नरेंद्र मोदी को भाजपा की चुनाव अभियान समिति का प्रमुख बनाये जाने के खिलाफ बिहार में भाजपा के साथ गठबंधन को समाप्त कर दिया और इस तरह राष्ट्रीय राजनीति में 17 साल पुराने मजबूत गठजोड़ में दरार पड़ गयी. बिहार में आठ साल पुरानी गठबंधन सरकार की अगुवाई कर रही जदयू ने राज्य मंत्रिमंडल से भाजपा के 11 मंत्रियों को हटा दिया और नई परिस्थिति में 19 जून को विश्वास मत के लिए प्रस्ताव रखने का फैसला किया.

रविवार का घटनाक्रम राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के लिए बड़े झटके वाली बात है जिसमें अब केवल तीन घटक दल-भाजपा, शिवसेना और अकाली दल रह गये हैं. जदयू अध्यक्ष शरद यादव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में गठबंधन तोड़ने की घोषणा की. इससे एक सप्ताह पहले ही मोदी को भाजपा की चुनाव अभियान समिति की कमान सौंपी गयी थी जिसे उन्हें प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनाने की दिशा में ही एक कदम माना जा रहा है. शरद यादव ने राजग के संयोजक का पद भी छोड़ दिया. नीतीश ने आधे घंटे के संवाददाता सम्मेलन में एक भी बार मोदी का नाम नहीं लिया लेकिन परोक्ष रुप से उन पर कई बार निशाना साधते हुए कहा, ‘‘भाजपा नये दौर से गुजर रही है. जब तक बिहार में गठबंधन पर कोई बाहरी हस्तक्षेप नहीं था, यह सहजता से चलता रहा. दिक्कतें उस समय शुरु हुईं जब बाहरी हस्तक्षेप होने लगा.’’

गोवा में भाजपा की कार्यकारिणी की बैठक में मोदी को चुनाव अभियान समिति का प्रमुख बनाये जाने के एक सप्ताह बाद जदयू ने अपने फैसले की घोषणा की जबकि पार्टी ने कुछ ही समय पहले अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भाजपा से दिसंबर तक अपना प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार तय करने के लिए कहा था. जदयू और नीतीश कुमार पिछले काफी समय से अनेक मौकों पर सीधे तौर पर मोदी पर अपना विरोध जाहिर करते रहे हैं. नीतीश ने तीन साल पहले मोदी की मौजूदगी के कारण लालकृष्ण आडवाणी समेत भाजपा के आला नेताओं के साथ रात्रिभोज में भाग नहीं लिया था. जब नीतीश कुमार से पूछा गया कि क्या वह नरेंद्र मोदी का जिक्र कर रहे हैं तो उन्होंने कहा, ‘‘समझने वाले समझ गये जो ना समङो वो अनाड़ी हैं.’’भाजपा में मोदी को नई जिम्मेदारी मिलने का परोक्ष रुप से उल्लेख करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा कि जब अतीत में अरण जेटली और दिवंगत नेता प्रमोद महाजन को अभियान समिति का प्रमुख बनाया गया था तो कोई दिक्कत नहीं थी. मोदी का नाम पेश किये जाने पर अपनी और अपनी पार्टी की गंभीर आपत्तियों को जाहिर करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘सब जानते हैं कि हमारी बुनियादी चिंता क्या है.’’

भाजपा ने नीतीश के जोर देने पर ही राज्य विधानसभा के चुनाव में बिहार भेजे जाने वाले अपने प्रचारकों की सूची से मोदी का नाम हटा दिया था. बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा में जदयू के 118 विधायक हैं और भाजपा के 91 सदस्य हैं. जदयू को बहुमत के लिए महज चार विधायकों के समर्थन की और जरुरत है. निर्दलीय और अन्य श्रेणी के विधायकों की संख्या 6 है. मुख्य विपक्षी दल राजद के 22 और कांग्रेस के 4 विधायक हैं. नीतीश ने कहा कि अगर राजग केंद्र में अगली सरकार बनाना चाहता है तो उसे नये सहयोगियों को जोड़कर अपना दायरा बढ़ाना होगा. उन्होंने कहा, ‘‘आप सरकार बनाना चाहते हैं लेकिन गलतफहमी में नहीं रहें. किसी एक पार्टी को बहुमत नहीं मिलने जा रहा. किसी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए 272 सांसदों की जरुरत होगी.’’उन्होंने मोदी को फिर से आड़े हाथ लेते हुए कहा, ‘‘इसके लिए राजग को और सहयोगी दलों की जरुरत होगी. अगर लोग सोचते हैं कि कोई हवा या आंधी या तूफान उनके पक्ष में चल रहा है तो वे गलतफहमी में हैं.’’

नीतीश ने कहा कि हालात इतने मुश्किल हो गये हैं कि जब उन्होंने जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान राजग सरकार में बिहार जैसे पिछड़े राज्य की सफलता की प्रशंसा की तो इसे किसी के खिलाफ समझा गया.उन्होंने कहा, ‘‘हालात ऐसे बन गये कि हम उपलब्धियों की बात भी नहीं कर सकते.’’नीतीश के मुताबिक बिहार में बाहरी दबाव इतना बढ़ गया है कि भाजपा के नेता अपनी मजबूरी के बारे में निजी तौर पर बात करते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हालात से समझौते की गुंजाइश नहीं थी.’’ भाजपा के मंत्रियों को सरकार से हटाने के फैसले को सही ठहराते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं नंदकिशोर यादव और सुशील कुमार मोदी को इस बारे में बातचीत के लिए बुलाया था कि शिष्टता के साथ किस तरह रास्ते अलग किये जाएं लेकिन वे नहीं आये.

उन्होंने कहा, ‘‘खबरें थीं कि भाजपा के मंत्रियों ने कामकाज बंद कर दिया है. इसलिए मैंने नियमित एजेंडा पर कैबिनेट की बैठक बुलाने के बारे में सोचा. लेकिन वे नहीं आये. संसदीय व्यवस्था में आप या तो मंत्री होते हो या नहीं होते.’’ नीतीश ने कहा, ‘‘इस्तीफा नहीं देना और कामकाज नहीं करना एक साथ नहीं चल सकते. इसलिए हमने 11 मंत्रियों को हटाने की सिफारिश राज्यपाल से की है.’’उन्होंने कहा कि गठबंधन कुछ सिद्धांतों के आधार पर चलता है और जदयू कुछ उसूलों पर चलता है.राजग के राष्ट्रीय एजेंडे का जिक्र करते हुए नीतीश ने कहा, ‘‘जब उससे हटकर कुछ चीजें की गयीं तो जदयू ने राजनीतिक फैसला लिया. अब एक राजनीतिक दल होने के नाते हमारे कुछ बुनियादी उसूल हैं.’’इस राष्ट्रीय एजेंड में भाजपा ने अपने तीन विवादास्पद मुद्दों- राम मंदिर, धारा 370 हटाने और समान आचार संहिता को नहीं रखा था. जदयू अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि उनकी पार्टी ने मोदी का कद बढ़ने को आंतरिक मामला कहा था लेकिन उसके बाद भाजपा के नेताओं के बयानों से हमें लगा कि वे राष्ट्रीय एजेंडा के दायरे से बाहर जा रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘हालात ऐसे बन गये कि देशभर में हमारे कार्यकर्ता बेचैन हो गये. इस समय दिक्कतें पेश आ रहीं हैं जो अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के समय के हमारे बीच विश्वास से अलग हैं.’’यादव ने कहा कि भाजपा के एक महासचिव कल लखनउ गये थे. उन्होंने कहा कि राम मंदिर उनके एजेंडे में है. हमने सोचा कि साथ रहने का कोई मतलब नहीं है. इससे न तो हमें फायदा होगा और न ही उन्हें. हमने फैसला किया कि हमारे और उनके रास्ते अलग हैं.’’

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